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अपनों के चलाए तीर दिल के पार हो जाने दो,
जाने क्यों सहते रहना है अब तो आखरी बार हो जाने दो।
सह ली बहुत चालाकियां, कुछ पराए से अपनों की।
उन अपनों को पराया करने खुद को तैयार हो जाने दो।
कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना।
एक कान से सुनकर, दूजे से पार हो जाने दो।
नादान समझ कर सबने, कर ली बहुत मनमानियां।
आ गया है वक्त की खुद को, होशियार हो जाने दो।
ईश्वर का एक नाम ही जग में, सबसे बड़ा सहारा है।
वोही मांझी, वोही नैया, उसको ही पतवार हो जाने दो।
©Anita Agarwal
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