Abdul Azim Shaikh

Abdul Azim Shaikh Lives in Pune, Maharashtra, India

गजब की शख्सियत है मेरी जब मिला खुद से तो ये राज जाना इतनी आसानी से खुद के समझ में नहीं आया बाकी तो बहुत दूर है

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#शायरी #ballet  हम तुम्हे चाहते थे चाहते है चाहते रहेंगे 
ये खता एक बार की है, सजा उम्रभर मिलेंगी।

©Abdul Azim Shaikh

#ballet

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#कोट्स  मिटा दे दिल से डर की छटा की ज़िंदा है तू

जीतकर जमीन ओ आसमान बता दे कि ज़िंदा है तू।

©Abdul Azim Shaikh

Internet Jockey

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मैं इंकलाब लिखूंगा तुम हुकूमत लिखना मैं बगावत लिखूंगा तुम किस्मत लिखना मैं मेहनत लिखूंगा। तुम बरबाद लिखना मैं आबाद लिखूंगा। तुम मुझे कैद रखना मैं आजाद रहूंगा। तुम फसाद लिखना मैं अमन लिखूंगा तुम बर्बादी लिखना मैं आजादी लिखूंगा तुम सैलाब लिखना मैं इंकलाब लिखूंगा मैं इंकलाब लिखूंगा मैं इंकलाब लिखूंगा। ©Abdul Azim Shaikh

 मैं इंकलाब लिखूंगा

तुम हुकूमत लिखना
मैं बगावत लिखूंगा

तुम किस्मत लिखना 
मैं मेहनत लिखूंगा।

तुम बरबाद लिखना 
मैं आबाद लिखूंगा।

तुम मुझे कैद रखना 
मैं आजाद रहूंगा।

तुम फसाद लिखना
मैं अमन लिखूंगा

तुम बर्बादी लिखना 
मैं आजादी लिखूंगा

तुम सैलाब लिखना 
मैं इंकलाब लिखूंगा

मैं इंकलाब लिखूंगा
मैं इंकलाब लिखूंगा।

©Abdul Azim Shaikh

मैं इंकलाब लिखूंगा तुम हुकूमत लिखना मैं बगावत लिखूंगा तुम किस्मत लिखना मैं मेहनत लिखूंगा। तुम बरबाद लिखना मैं आबाद लिखूंगा। तुम मुझे कैद रखना मैं आजाद रहूंगा। तुम फसाद लिखना मैं अमन लिखूंगा तुम बर्बादी लिखना मैं आजादी लिखूंगा तुम सैलाब लिखना मैं इंकलाब लिखूंगा मैं इंकलाब लिखूंगा मैं इंकलाब लिखूंगा। ©Abdul Azim Shaikh

10 Love

मै हक और बातिल को नहीं जानता मसरूफ हूं दुनिया में सच नहीं जानता। मेरी ही बस्ती में मेरा कातिल रहता अंधा हूं जो मै उनको नहीं पहचानता। मेरे हक में उठती आवाज नहीं सुनता कौम के लिए लड़नेवालों को नहीं जानता। क्यों ख़ामोश हूं मै ये नहीं जानता मेरे ही कातिल को मै नहीं पहचानता। मेरे दुश्मन ही दोस्त बन बैठे मै नहीं जानता कौन खंजर मारेगा मै उसे नहीं जानता। कौम के शहीदों को मै नहीं जानता और कुरदोग्लो को नहीं पहचानता। बुलाता है मुआज्जीन तो मै नहीं सुनता अज़ान बुलाती है तो मै नहीं जाता। सच ये है मै मेरा इस्लाम नहीं जानता क्यों की मै पढ़ना नहीं जानता। मेरे ही कौम से कई कलाम बने ये मै नहीं जानता मसरूफ हूं दुनिया में मै खुद को नहीं पहचानता। मिटती हुई तारीख नहीं पहचानता क्यों की मै पढ़ना नहीं जानता। इतनी सारी गलतियां है पर मै नहीं मानता क्यों की मै कलम की ताकत नहीं जानता।

#अनुभव #IndiaLoveNojoto  मै हक और बातिल को नहीं जानता
मसरूफ हूं दुनिया में सच नहीं जानता।

मेरी ही बस्ती में मेरा कातिल रहता
अंधा हूं जो मै उनको नहीं पहचानता।

मेरे हक में उठती आवाज नहीं सुनता
कौम के लिए लड़नेवालों को नहीं जानता।

क्यों ख़ामोश हूं मै ये नहीं जानता
मेरे ही कातिल को मै नहीं पहचानता।

मेरे दुश्मन ही दोस्त बन बैठे मै नहीं जानता
कौन खंजर मारेगा मै उसे नहीं जानता।

कौम के शहीदों को मै नहीं जानता
और कुरदोग्लो को नहीं पहचानता।

बुलाता है मुआज्जीन तो मै नहीं सुनता
अज़ान बुलाती है तो मै नहीं जाता।

सच ये है मै मेरा इस्लाम नहीं जानता
क्यों की मै पढ़ना नहीं जानता।

मेरे ही कौम से कई कलाम बने ये मै नहीं जानता
मसरूफ हूं दुनिया में मै खुद को नहीं पहचानता।

मिटती हुई तारीख नहीं पहचानता
क्यों की मै पढ़ना नहीं जानता।

इतनी सारी गलतियां है पर मै नहीं मानता 
क्यों की मै कलम की ताकत नहीं जानता।

तेरे लब खामोश है तू कब बोलेंगी तेरा भी है वजूद जब तू मुंह खोलेंगी।

#विचार  तेरे लब खामोश है तू कब बोलेंगी

 तेरा भी है वजूद जब तू मुंह खोलेंगी।

तेरे लब खामोश है तू कब बोलेंगी तेरा भी है वजूद जब तू मुंह खोलेंगी।

3 Love

वाह रे! शायर तुम्हारे नखरे खूबसूरत हूं तो ही हुस्न के चर्चे।

 वाह रे! शायर तुम्हारे नखरे 

खूबसूरत हूं तो ही हुस्न के चर्चे।

वाह रे! शायर तुम्हारे नखरे खूबसूरत हूं तो ही हुस्न के चर्चे।

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