Bharat Puri

Bharat Puri

  • Latest
  • Popular
  • Video

Good evening quotes in Hindi 😊संध्या मिलन😊 आई थी परसो शाम को संध्या, अपने चिर परिचित अंदाज में। हमने एक नजर उसको देखा, पीतांबर धारिणी संध्या निस्तेज थी। हमने नजरे फेर ली, वो उस दिन तो लौट गई। कल फिर हम निकले घर से, चाह नहीं थी कि उससेे मिलन हो, वो लौट चुकी थी फिर अपने घर, बिखरके एक मेघ में,। पूरे गगन में थे कई सारे बादल, पर फिर भी उसने चुना एक ऐसे बादल को, जो मेरे दाई ओर फैला था पूरब में। हाँ, दूर क्षितिज मे कुछ और मेघ भी उसकी कृपा पाने को आतुर थे, पर उसने चुना वही बादल जो मेरे करीब था। फिर क्या , हम निहारते रहे उसकी ढलती जवानी को। उस निस्तेज प्रकाश में भी एक ऐसी जादुई प्रवृत्ति थी, जो खींच रही थी हमें उसकी ओर बारम्बार। हम लौट आये घर , उसकी निस्तेज जादुई आभा के साथ।।।। 😊😊 ✍🏻ललित गोस्वामी सामुजा ©Bharat Puri

 Good evening quotes in Hindi  😊संध्या मिलन😊

आई थी परसो शाम को संध्या,
अपने चिर परिचित अंदाज में।
हमने एक नजर उसको देखा, 
पीतांबर धारिणी संध्या निस्तेज थी। 
हमने नजरे फेर ली, 
वो उस दिन तो लौट गई। 
कल फिर हम निकले घर से, 
चाह नहीं थी कि उससेे मिलन हो,
वो लौट चुकी थी फिर अपने घर, 
बिखरके एक मेघ में,। 
पूरे गगन में थे कई सारे बादल, 
पर फिर भी उसने चुना एक ऐसे बादल को, 
जो मेरे दाई ओर फैला था पूरब में। 
हाँ, दूर क्षितिज मे कुछ और मेघ भी उसकी कृपा पाने को आतुर थे, 
पर उसने चुना  वही बादल जो मेरे करीब था। 
फिर क्या , हम निहारते रहे उसकी ढलती जवानी को। 
उस निस्तेज प्रकाश में भी एक ऐसी जादुई प्रवृत्ति थी, 
जो खींच रही थी हमें उसकी ओर बारम्बार। 
हम लौट आये घर , उसकी निस्तेज जादुई आभा के साथ।।।। 😊😊
                     ✍🏻ललित गोस्वामी सामुजा

©Bharat Puri

Good evening quotes in Hindi 😊संध्या मिलन😊 आई थी परसो शाम को संध्या, अपने चिर परिचित अंदाज में। हमने एक नजर उसको देखा, पीतांबर धारिणी संध्या निस्तेज थी। हमने नजरे फेर ली, वो उस दिन तो लौट गई। कल फिर हम निकले घर से, चाह नहीं थी कि उससेे मिलन हो, वो लौट चुकी थी फिर अपने घर, बिखरके एक मेघ में,। पूरे गगन में थे कई सारे बादल, पर फिर भी उसने चुना एक ऐसे बादल को, जो मेरे दाई ओर फैला था पूरब में। हाँ, दूर क्षितिज मे कुछ और मेघ भी उसकी कृपा पाने को आतुर थे, पर उसने चुना वही बादल जो मेरे करीब था। फिर क्या , हम निहारते रहे उसकी ढलती जवानी को। उस निस्तेज प्रकाश में भी एक ऐसी जादुई प्रवृत्ति थी, जो खींच रही थी हमें उसकी ओर बारम्बार। हम लौट आये घर , उसकी निस्तेज जादुई आभा के साथ।।।। 😊😊 ✍🏻ललित गोस्वामी सामुजा ©Bharat Puri

7 Love

Trending Topic