Avantika A

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critic, poem lover !

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अनेकों प्रश्न ऐसे हैं, जो दुहराये नहीं जाते। मगर उत्तर भी ऐसे हैं, जो बतलाए नहीं जाते। इसी कारण अभावों का सदा स्वागत किया मैंने, कि घर आए हुए, मेहमान लौटाए नहीं जाते। हुआ क्या आँख से आँसू अगर बाहर नहीं निकले, बहुत से गीत भी ऐसे हैं जो गाये नहीं जाते। अनेकों प्रश्न ऐसे हैं, जो दुहराये नहीं जाते। मगर उत्तर भी ऐसे हैं, जो बतलाए नहीं जाते। बनाना चाहते हैं , स्वर्ग तक सोपान सपनों की, मगर चादर से बाहर पाँव फैलाए नहीं जाते। सितारों में बड़ा मतभेद है इस बात को लेकर, धरा पर ‘लोग’ हम जैसे पाये नहीं जाते।

#बातें  अनेकों प्रश्न ऐसे हैं, जो दुहराये नहीं जाते।
मगर उत्तर भी ऐसे हैं, जो बतलाए नहीं जाते।

इसी कारण अभावों का सदा स्वागत किया मैंने,
कि घर आए हुए, मेहमान लौटाए नहीं जाते।
हुआ क्या आँख से आँसू अगर बाहर नहीं निकले,
बहुत से गीत भी ऐसे हैं जो गाये नहीं जाते।



अनेकों प्रश्न ऐसे हैं, जो दुहराये नहीं जाते।
मगर उत्तर भी ऐसे हैं, जो बतलाए नहीं जाते।

बनाना चाहते हैं , स्वर्ग तक सोपान सपनों की,
मगर चादर से बाहर पाँव फैलाए नहीं जाते।
सितारों में बड़ा मतभेद है इस बात को लेकर,
धरा पर ‘लोग’ हम जैसे  पाये नहीं जाते।

#Nojoto #बातें

48 Love

कल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना था भावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना था। स्वप्न ने अपने करों से था जिसे रुचि से सँवारा स्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों से, रसों से जो सना था ढह गया वह तो जुटाकर ईंट, पत्थर, कंकड़ों को एक अपनी शांति की कुटिया बनाना कब मना है है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है। - हरिवंश राय बच्चन

 कल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना था
भावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना था।

स्वप्न ने अपने करों से था जिसे रुचि से सँवारा
स्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों से, रसों से जो सना था
ढह गया वह तो जुटाकर ईंट, पत्थर, कंकड़ों को
एक अपनी शांति की कुटिया बनाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है।

 - हरिवंश राय बच्चन

बच्चन

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काग़ज़ प हर्फ़ हर्फ़ निखर जाना चाहिए बे-चेहरगी को रंग में भर जाना चाहिए मुमकिन है आसमान का रस्ता इन्हीं से हो नीले समुंदरों में उतर जाना चाहिए हर-दम बदन की क़ैद का रोना फ़ुज़ूल है मौसम सदाएँ दे तो बिखर जाना चाहिए सहरा में कौन भीक किसे देगा छाँव की ख़ुद अपनी ओट में ही ठहर जाना चाहिए तन्हा सफ़र में रात के इस पिछले वक़्त में आवाज़ कोई दे तो किधर जाना चाहिए जिस से बिछड़ के हो गए सहरा-नवर्द हम अब तक तो उस के ज़ख़्म भी भर जाना चाहिए

#rain  काग़ज़ प हर्फ़ हर्फ़ निखर जाना चाहिए 

बे-चेहरगी को रंग में भर जाना चाहिए 

मुमकिन है आसमान का रस्ता इन्हीं से हो 

नीले समुंदरों में उतर जाना चाहिए 

हर-दम बदन की क़ैद का रोना फ़ुज़ूल है 

मौसम सदाएँ दे तो बिखर जाना चाहिए 

सहरा में कौन भीक किसे देगा छाँव की 

ख़ुद अपनी ओट में ही ठहर जाना चाहिए 

तन्हा सफ़र में रात के इस पिछले वक़्त में 

आवाज़ कोई दे तो किधर जाना चाहिए 

जिस से बिछड़ के हो गए सहरा-नवर्द हम 

अब तक तो उस के ज़ख़्म भी भर जाना चाहिए

#rain

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अपने आप से कब तक लड़ा करें जो हो सके तो अपने भी हक़ में दुआ करें हम से ख़ता हुई है कि इंसान हम भी हैं नाराज़ अपने आप से कब तक रहा करें अपने हज़ार चेहरे हैं, सारे हैं दिलनशीं किससे वफ़ा निभाएं तो किससे जफ़ा करें नंबर मिलाया फ़ोन पे दीदार कर लिया मिलना हुआ है सह्‌ल तो अक्सर मिला करें तेरे सिवा तो अपना कोई हमज़ुबां नहीं तेरे सिवा करें भी तो किस से ग़िला करें दी है क़सम उदास न रहने की तो बता जब तू न हो तो कैसे ये हम मोजिज़ा करें

#twilight  अपने आप से कब तक लड़ा करें
जो हो सके तो अपने भी हक़ में दुआ करें

हम से ख़ता हुई है कि इंसान हम भी हैं
नाराज़ अपने आप से कब तक रहा करें

अपने हज़ार चेहरे हैं, सारे हैं दिलनशीं
किससे वफ़ा निभाएं तो किससे जफ़ा करें

नंबर मिलाया फ़ोन पे दीदार कर लिया
मिलना हुआ है सह्‌ल तो अक्सर मिला करें

तेरे सिवा तो अपना कोई हमज़ुबां नहीं
तेरे सिवा करें भी तो किस से ग़िला करें

दी है क़सम उदास न रहने की तो बता
जब तू न हो तो कैसे ये हम मोजिज़ा करें

#twilight

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