अब नहीं भागता मैं पीछे पीछे रिश्ते को बचाने के लिए
मेरी आंखों से धुंधलाती
तुम्हारी तस्वीर से मै,
तुमको खुद से दूर जाता समझू
या किसी गैर के करीब आता।।
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बिखरते अल्फाज़
जो हमदम बात बात पर हसाया करता था मुझे।
अब मुझसे ही सताया हुआ लगता है।।
जब से बहस होने लगी है,
छोटी छोटी सी बातों पर।
मेरी ही खामियों से सताया हुआ लगता है।।
मैंने शहर क्या छोड़ा कमाने को,
उनका मिजाज़ गड़बड़ाया हुआ लगता है।।
~~~ बिखरते अल्फाज़
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