प्रेयसी आज तैयार रहना करके
सोलह श्रृंगार,
आज सालगिरह है हमारी जैसे जेठ में मौसम बहार,
तन मन धन से तेरा हूं, क्या दूं
तुम्हें उपहार
साथ फेरे सात जन्मों का यह बंधन आपसे प्यार है बेशुमार
जग के सामने किया हमने आपको
सहर्ष स्वीकार
अब मैं बन बैठा हूं आपका
तलबगार
©अनुराग अचल
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here