Himanshu Gour

Himanshu Gour Lives in Jaipur, Rajasthan, India

Professional : Game Analyst working in an IT industry. Poem and words lover. Contact : 8946886181, 9079912192 Email: Himanshu580.gour@gmail.com

https://youtu.be/mDzrudLbqUs

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God to Humans

5 Love

नजर लगाना चाहा आइना तुम्हे देख कर। पर अफसोश ये भी ना तुमने होने दिया। गैर काजल लगाते है नज़र लगने से बचने को। पर तुमने अपना नाम ही रख लिया।

 नजर लगाना चाहा आइना तुम्हे देख कर।
पर अफसोश ये भी ना तुमने होने दिया।
गैर काजल लगाते है नज़र लगने से बचने को।
पर तुमने अपना नाम ही रख लिया।

नजर लगाना चाहा आइना तुम्हे देख कर। पर अफसोश ये भी ना तुमने होने दिया। गैर काजल लगाते है नज़र लगने से बचने को। पर तुमने अपना नाम ही रख लिया।

6 Love

अंधकार से घिरा, उजाला तुझको दिख रहा। मुर्ख है तू यहाँ बैठा, विद्धवान खुद को समझ रहा। रंक तेरी औकाद है, पर तू है राजा के पोशाक में। मानव तेरी रचना है, पर तू है दानव के जात में।

 अंधकार से घिरा, उजाला तुझको दिख रहा।
मुर्ख है तू यहाँ बैठा, विद्धवान खुद को समझ रहा।
रंक तेरी औकाद है, पर तू है राजा के पोशाक में।
मानव तेरी रचना है, पर तू है दानव के जात में।

अंधकार से घिरा, उजाला तुझको दिख रहा। मुर्ख है तू यहाँ बैठा, विद्धवान खुद को समझ रहा। रंक तेरी औकाद है, पर तू है राजा के पोशाक में। मानव तेरी रचना है, पर तू है दानव के जात में।

9 Love

मेहरबान है मेहरबाँ भी मुझपे, तब ये एहसास हुआ। जब आहट तेरे आने की, और दिल में एक आवास हुआ। सिलसिला अगर यूँ ही चला, तो शुक्रगुज़ार रहूँगा रब का मैं। वरना मान लूँगा औरों की तरह ये सपना भी खाक हुआ।

 मेहरबान है मेहरबाँ भी मुझपे, तब ये एहसास हुआ।
जब आहट तेरे आने की, और दिल में एक आवास हुआ।
सिलसिला अगर यूँ ही चला, तो शुक्रगुज़ार रहूँगा रब का मैं।
वरना मान लूँगा औरों की तरह ये सपना भी खाक हुआ।

मेहरबान है मेहरबाँ भी मुझपे, तब ये एहसास हुआ। जब आहट तेरे आने की, और दिल में एक आवास हुआ। सिलसिला अगर यूँ ही चला, तो शुक्रगुज़ार रहूँगा रब का मैं। वरना मान लूँगा औरों की तरह ये सपना भी खाक हुआ।

5 Love

गुजारिशो की बरसात में तुझको यु भिगाया था। की रूह ने भी साथ छोड़ देने तक का इशारा किया। यु तो मिटटी हो कर भी खुशबू के साथ हु। क्योकि खुश रहने का वादा तुमसे जो मैंने निभाया था।

 गुजारिशो की बरसात में तुझको यु भिगाया था।
की रूह ने भी साथ छोड़ देने तक का इशारा किया।
यु तो मिटटी हो कर भी खुशबू के साथ हु।
क्योकि खुश रहने का वादा तुमसे जो मैंने निभाया था।

गुजारिशो की बरसात में तुझको यु भिगाया था। की रूह ने भी साथ छोड़ देने तक का इशारा किया। यु तो मिटटी हो कर भी खुशबू के साथ हु। क्योकि खुश रहने का वादा तुमसे जो मैंने निभाया था।

3 Love

इसकदर महफूज था मैं अपने आशियाने के शान और शौकत में | की इजहार ना हुआ किसी से ना दिल ने किया जिक्र तेरा || गुफ्तगू की मैंने शराब से तुम्हारी पर एक लफ्ज़ ना सुना तुम्हारे खिलाफ तुम्हारी बेवफाई ने जब साथ छोड़ा तब इसने ही हाथ थामा था मेरा | अर्जमन्द था वो जिसने मुझको परखा तेरे ख्यालो के लिए | और तूने अपनी राह ही बदल डाली कुछ उलझते सवालो के लिए || तब से अब तक पूछ रहा हु मेरे उस रब से मैं  | की तुझे कितनी मिट्टी लगेगी मुझे वापस इंसान बनाने के लिए  | शिकायते कर जाते है राह में मिले मुसाफिर भी| की तुम मुझे भूल गए उसके यादो में जाने के लिए | शराब का सहारा लिया मैंने बस चलती जिंदगी को ख़ुशी से काटने के लिए। वरना तेरी आदत ही काफी थी आँखों में आँशु लाने के लिए।

 इसकदर महफूज था मैं अपने आशियाने के शान और शौकत में |
की इजहार ना हुआ किसी से ना दिल ने किया जिक्र तेरा ||
गुफ्तगू की मैंने शराब से तुम्हारी पर एक लफ्ज़ ना सुना तुम्हारे खिलाफ
तुम्हारी बेवफाई ने जब साथ छोड़ा तब इसने ही हाथ थामा था मेरा |
अर्जमन्द था वो जिसने मुझको परखा तेरे ख्यालो के लिए |
और तूने अपनी राह ही बदल डाली कुछ उलझते सवालो के लिए ||
तब से अब तक पूछ रहा हु मेरे उस रब से मैं  |
की तुझे कितनी मिट्टी लगेगी मुझे वापस इंसान बनाने के लिए  |
शिकायते कर जाते है राह में मिले मुसाफिर भी|
की तुम मुझे भूल गए उसके यादो में जाने के लिए |
शराब का सहारा लिया मैंने बस चलती जिंदगी को ख़ुशी से काटने के लिए।
वरना तेरी आदत ही काफी थी आँखों में आँशु लाने के लिए।

#love #poem

9 Love

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