मोहन लाल सींवर

मोहन लाल सींवर

सरदारशहर,चुरू,राज.(काव्य मेरा कलेजा)

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#विचार  जब अस्पताल में रहना होता है।
जज्बात,आंसुओं को कहना होता है।
डाॅ. खुदाई लिबास पहना होता है।
सत्कर्म खुदा को सहना होता है।।

OT में,मरीज संग डॉ.जब होते हैं।
परिवारजन देवता को,सब ढोते हैं।
बहते आंसू को बाहर,कब रोते हैं?
हो सफल शल्य,अर्द्ध तब सोते हैं।।

उच्च लाभ लेने जब,रेफर होते है।
एंबुलेंस में सांस,फर फर होते है।
सुन सायरन आवाज,थर थर होते हैं।
पहुंचते ठिकाने तब,मनभर होते हैं।। 

वेंटीलेटर के अंक,ऊपर नीचे चलते है।
परिजनों के सांस_तार नीचे ढलते है।
O2,पल्स रेट,Bp अपना नृत्य करते हैं।
देख निगाहों से,गम भाव सब भरते हैं।।

कैथेटर से,तरल पदार्थ पिलाते हैं।
गटके बूंद तब,मन मन हर्षाते हैं।
इनपुट_आउटपुट रोज मिलाते हैं।
देख उन्हें डॉ. दिलाशा दिलाते हैं।।

जब मरीज,हलचल पैदा करता है।
तब वह,पुनर्जन्म सा भाव भरता है।
आंखों से लगे देखने,तब गम हरता है।
अस्पताल का जीवन,चक्र सा चलता है।।

कल्चर रिपोर्ट इन्फेक्शन जताती है।
खुशी सारी तब,गम में बदल जाती है।
तब एंटीबायोटिक,असर दिखाती है।
लैब रिपोर्ट, तरह तरह से नचाती है।।

NK गोरा,नरेंद्र जी जैसे चिकित्सक।
लगता है,जैसे ये भगवान हैं बेशक।
मरीज सेवा हेतु तत्पर रहते,देर तक।
खुदा उनपर मेहरबान रहे,जीने तक।।

भाई जिसने,बचपन में मुझे गोद उठाया।
घुमाया,फिराया,पढ़ाया,सिर सहलाया।
ऋण से उऋण होना,असमय वक्त आया।
भरेंगे किलकारी दोनों,भरोसा मुझे आया।।

 मोहन लाल सींवर

©मोहन लाल सींवर

अस्पताल का जीवन

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#मोटिवेशनल  जब अस्पताल में रहना होता है।
जज्बात,आंसुओं को कहना होता है।
डाॅ. खुदाई लिबास पहना होता है।
सत्कर्म खुदा को सहना होता है।।

OT में,मरीज संग डॉ.जब होते हैं।
परिवारजन देवता को,सब ढोते हैं।
बहते आंसू को बाहर,कब रोते हैं?
हो सफल शल्य,अर्द्ध तब सोते हैं।।

उच्च लाभ लेने जब,रेफर होते है।
एंबुलेंस में सांस,फर फर होते है।
सुन सायरन आवाज,थर थर होते हैं।
पहुंचते ठिकाने तब,मनभर होते हैं।। 

वेंटीलेटर के अंक,ऊपर नीचे चलते है।
परिजनों के सांस_तार नीचे ढलते है।
O2,पल्स रेट,Bp अपना नृत्य करते हैं।
देख निगाहों से,गम भाव सब भरते हैं।।

कैथेटर से,तरल पदार्थ पिलाते हैं।
गटके बूंद तब,मन मन हर्षाते हैं।
इनपुट_आउटपुट रोज मिलाते हैं।
देख उन्हें डॉ. दिलाशा दिलाते हैं।।

जब मरीज,हलचल पैदा करता है।
तब वह,पुनर्जन्म सा भाव भरता है।
आंखों से लगे देखने,तब गम हरता है।
अस्पताल का जीवन,चक्र सा चलता है।।

कल्चर रिपोर्ट इन्फेक्शन जताती है।
खुशी सारी तब,गम में बदल जाती है।
तब एंटीबायोटिक,असर दिखाती है।
लैब रिपोर्ट, तरह तरह से नचाती है।।

NK गोरा,नरेंद्र जी जैसे चिकित्सक।
लगता है,जैसे ये भगवान हैं बेशक।
मरीज सेवा हेतु तत्पर रहते,देर तक।
खुदा उनपर मेहरबान रहे,जीने तक।।

भाई जिसने,बचपन में मुझे गोद उठाया।
घुमाया,फिराया,पढ़ाया,सिर सहलाया।
ऋण से उऋण होना,असमय वक्त आया।
भरेंगे किलकारी दोनों,भरोसा मुझे आया।।

 मोहन लाल सींवर

©मोहन लाल सींवर

अस्पताल का जीवन

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श्रृंगार रस में कविता ©मोहन लाल सींवर

 श्रृंगार रस में कविता

©मोहन लाल सींवर

#कविता #Poetry #

11 Love

प्रकाशन

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Monday, 21 March | 07:57 pm

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मोदी दे दो,वही अंधकार। ©मोहन लाल सींवर

#कविता  मोदी दे दो,वही अंधकार।

©मोहन लाल सींवर

poems Er.ABHISHEK SHUKLA Aryan Shivam Mishra Anshu writer Anshu writer सुमन

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कदम से कदम मिलाता हूँ। न छूटे पीछे अपने,बढ़ाता हूँ। बैठे शिथिल जो,चलाता हूँ। कदम से कदम मिलाता हूँ। ********************* स्वेद बहा, सकून पाता हूँ। शोषित हो शिखर,चाहता हूँ। देख शिखा पर, इतराता हूँ। कदम से कदम मिलाता हूँ। ******************** छुट्टे,साथ चले,हाथ बढ़ाता हूँ। खिंचे हाथ,करुण कराहता हूँ । दर्द के मारे, ख़ूब सहलाता हूँ । कदम से कदम मिलाता हूँ। ******************** राही तुम चलो,पथ दिखाता हूँ। कर पार''मोहन''अमृत लाता हूँ। चाहे पिपासु,पिपासा बुझाता हूँ। कदम से कदम मिलाता हूँ। *********************** आपका : मोहन सींवर ©मोहन लाल सींवर

#Darknight  कदम से कदम मिलाता हूँ।                                                                                          न छूटे पीछे अपने,बढ़ाता हूँ।                                                                                     बैठे शिथिल जो,चलाता हूँ।                                                                                         कदम से कदम मिलाता हूँ।                                                *********************                                                                                    स्वेद बहा, सकून पाता हूँ।                                                                                          शोषित हो शिखर,चाहता हूँ।                                                                                    देख शिखा पर, इतराता हूँ।                                                                                   कदम से कदम मिलाता हूँ।                                                       ********************                                                                                                   छुट्टे,साथ चले,हाथ बढ़ाता हूँ।                                                                                      खिंचे हाथ,करुण कराहता हूँ ।                                                                                      दर्द के मारे, ख़ूब सहलाता हूँ ।                                                                                  कदम से कदम मिलाता हूँ।                                                      ********************                                                                                                                                                             राही तुम चलो,पथ दिखाता हूँ।                                                                              कर पार''मोहन''अमृत लाता हूँ।                                                                               चाहे पिपासु,पिपासा बुझाता हूँ।                                                                                  कदम से कदम मिलाता हूँ।                                               ***********************                                                                         आपका : मोहन सींवर

©मोहन लाल सींवर

#Darknight सुुमन कवयित्री Radhika sweety Rk Gouri Mahima Kashyap poonam_singla

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