तू गई वैसे ही जिस तरह आई थी
खुशी ना तेरे आने की थी इतनी
ना तेरे जाने का इतना कोई ग़म है
तेरे आने-जाने के बीच
जिस वक़्त में तुझसे मुलाक़ात हुई
बस उन्हीं मुनासिब लम्हों के लिए
... मेरी आँखें ज़रा नम हैं ।
शुक्रगुज़ार हूँ उन सभी लड़कियों का तहे दिल से
हर एक को याद किया गया है कल रात
जमघट में सारे यारों के साथ
हर एक दोस्त ने क़िस्सा बताया अपना-अपना कि
कैसे टूटा उसका दिल और साथ जीने का सपना,
फिर आई मेरी बारी
क्या बताऊँ यार..ना याद आया कोई किस्सा
ना याद आई कोई नारी ।
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here