Randeep choudhary

Randeep choudhary Lives in Udaipur, Rajasthan, India

हिंदी के विशाल आसमान में उड़ता हुआ एक छोटा सा पंछी....

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#भरतपुरिया #गुलाबी #प्यार #आशिकी #पिंकी #bharatpuriya

दुश्मनी हमसे भले हज़ार रक्खो मगर अपने घर पर भी पहरेदार रक्खो ये जो मेरी हार के,चर्चे तमाम करते हैं मैं लौट आया हूँ, हथियार तैयार रक्खो सारी मोहब्बत आज ही लुटा दोगी क्या थोड़ी बहुत कल के लिए भी उधार रक्खो इस हिंदुत्व , इस शरीयत से नफ़रत है मुझे इंसां का खून हो, इंसां से थोड़ा प्यार रक्खो अगर पानी में भँवर उठा है, उठने दो तुम नज़र दरिया के बस उस पार रक्खो इश्क़ में थोड़ा सा इनकार भी जायज़ है तुम बस दिल को इसी कदर बेक़रार रक्खो -रणदीप 'भरतपुरिया'

#भरतपुरिया #bharatpuriya #ग़ज़ल #Religion #mohabbat  दुश्मनी हमसे भले हज़ार रक्खो
मगर अपने घर पर भी पहरेदार रक्खो

ये जो मेरी हार के,चर्चे तमाम करते हैं
मैं लौट आया हूँ, हथियार तैयार रक्खो

सारी मोहब्बत आज ही लुटा दोगी क्या
थोड़ी बहुत कल के लिए भी उधार रक्खो

इस हिंदुत्व , इस शरीयत से नफ़रत है मुझे
इंसां का खून हो, इंसां से थोड़ा प्यार रक्खो

अगर पानी में भँवर उठा है, उठने दो
तुम नज़र दरिया के बस उस पार रक्खो

इश्क़ में थोड़ा सा इनकार भी जायज़ है
तुम बस दिल को इसी कदर बेक़रार रक्खो

-रणदीप 'भरतपुरिया'

सुख दुख आते जाते हैं, सब दिन-दो दिन का किस्सा है है कोई नई ये बात नहीं, ये सब जीवन का हिस्सा है full poem in caption....

#भरतपुरिया #जीवन #bharatpuriya  सुख दुख आते जाते हैं, सब दिन-दो दिन का किस्सा है
है कोई नई ये बात नहीं, ये सब जीवन का हिस्सा है

full poem in caption....

सुख दुख आते जाते हैं, सब दिन दो दिन का किस्सा है है कोई नई ये बात नहीं,ये सब जीवन हिस्सा है अंगारों पर चलने वाले, शोलों से नही डरा करते जो ऊंची मंजिल चढ़ते हैं, गिरने से नहीं डरा करते जिस सज़ा में आंसू ना निकले वो सज़ा ही क्या राहों में जबतक गिरे नहीं तो मज़ा ही क्या सागर में चक्रवात आये तो क्या गम है

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ये जो हाल-ए-दिल है, क्या बयाँ करूँ दिख रहा है बेहाल है, क्या बयाँ करूँ ज़मीन नाप दी सारी ज़ुस्तज़ु में तेरी अब तो कोशिश है कि नज़रों में आसमां करूँ यहाँ कदम कदम पे साया है अंधेरों का कहाँ कहाँ पर मैं रोशन शमा करूँ किसी को शोहरत किसी को कामयाबी चाहिए मेरी आरज़ू ये है कि दिल में कैद ये जहाँ करूँ -रणदीप चौधरी 'भरतपुरिया'

#हाल_ए_दिल #bharatpuriya #ग़ज़ल #Nojoto  ये जो हाल-ए-दिल है, क्या बयाँ करूँ
दिख रहा है बेहाल है, क्या बयाँ करूँ

ज़मीन नाप दी सारी ज़ुस्तज़ु में तेरी 
अब तो कोशिश है कि नज़रों में आसमां करूँ

यहाँ कदम कदम पे साया है अंधेरों का
कहाँ कहाँ पर मैं रोशन शमा करूँ

किसी को शोहरत किसी को कामयाबी चाहिए
मेरी आरज़ू ये है कि दिल में कैद ये जहाँ करूँ

-रणदीप चौधरी 'भरतपुरिया'

जब अंधकार उठकर सूरज का गला दबाये जब नभ में पापों के ही बादल मंडराए जब झूठ भरे बाज़ार सत्य की इज़्ज़त नोंचे जब कोई बहन बेटी सकुशल घर को ना आये तब साहित्य संभाले अपनी बागडोर फिर तोड़ तिमिर का दंभ, प्रजा की आंखे खोले जन-जन में नव ऊर्जा का संचार कराए काश मैं इन हाथों से कुछ ऐसा लिख जाऊं काश मैं इन हाथों से कुछ ऐसा कर जाऊं

#भरतपुरिया #हिंदी #bharatpuriya #sahitya #Nojoto  
जब अंधकार उठकर सूरज का गला दबाये
जब नभ में पापों के ही बादल मंडराए
जब झूठ भरे बाज़ार सत्य की इज़्ज़त नोंचे
जब कोई बहन बेटी सकुशल घर को ना आये
तब साहित्य संभाले अपनी बागडोर फिर
तोड़ तिमिर का दंभ, प्रजा की आंखे खोले
जन-जन में नव ऊर्जा का संचार कराए
काश मैं इन हाथों से कुछ ऐसा लिख जाऊं
काश मैं इन हाथों से कुछ ऐसा कर जाऊं

जिसे लोगों ने पैरों से नाक़ाबिल समझा मैंने उस शख़्श में उड़ने की आरज़ू देखी

#bharatpuriya #Nojoto #arzoo  जिसे लोगों ने पैरों से नाक़ाबिल समझा
मैंने उस शख़्श में उड़ने की आरज़ू देखी
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