माँ नसीब है
नवीन नव बीगोद
माँ से बचपन ,माँ से लड़कपन है ।
माँ से खिलता यौवन, पूरा जीवन है ।।
माँ से मेवे मक्खन ,महकते बर्तन ।
माँ के हाथों का भोजन,भोग छप्पन हैं ।।
माँ से ही भूख प्यास, सारी मनुहार हैं ।
माँ के आशीष से ,पूरे होते सपन हैं ।।
माँ से रोशन है घर ,उजियारी दर ।
माँ कान्हा- सा रखती, करती जतन हैं ।।
माँ से त्योहार,उपहार और प्यार हैं ।
माँ से पूजन भजन ,दान कीर्तन हैं ।।
माँ ने आज भी संजोये है रीति रिवाज ।
छुअन से छूमंतर, करती क्रंदन है ।।
माँ नहीं तो कुछ नहीं फीकी है जिन्दगी ।
महलों में बस, पसरा सूनापन है ।।
माँ नहीं तो जग में कोई अपना नहीं ।
चहुंओर अक्खड़-पन ,रूखापन है ।।
नसीब तेरा नव ,तुझे माँ नसीब है ।
लाखों ने बिन माँ के, गुज़ारा जीवन है ।।
©नवीन नव
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