Abhimanyu Dwivedi

Abhimanyu Dwivedi

सदगुरु ... स - सातत्य , सत्य , साधू , सागर , शिव ,... द - देने वाला , दानी , दाता. .. गु - गुण, ज्ञान , गूढ़ ,गुणातीत ,... रू - रूद्र , ऋग, रूप , रूपातीत ,.....

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🍀🌹🍀 *चैतन्यमयम*🍀🌹🍀 जीव का व्यक्तित्व , उसके चरित्र का पदार्पण है एवम् चेतन अस्तित्व आत्मा का श्रेष्ठ दर्पण है 🍀 अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)🍀 ©Abhimanyu Dwivedi

#विचार  🍀🌹🍀 *चैतन्यमयम*🍀🌹🍀


जीव का व्यक्तित्व , उसके चरित्र का पदार्पण है
एवम् चेतन अस्तित्व आत्मा का श्रेष्ठ दर्पण है


🍀 अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)🍀

©Abhimanyu Dwivedi

चेतन पथ

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*संतोष धन* जिनकी जरुरते सीमित होती हैं उनके पास संतोष असीमित होता है *क्यू कि* आवश्यकताएं और जरुरते तो हर किसी की पुरी हो ही जाती हैं किन्तु इच्छाएं कभी भी किसी की भी पुर्ण नही हो सकती 🍀अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)🍀 ©Abhimanyu Dwivedi

#विचार  *संतोष धन*

जिनकी जरुरते सीमित होती हैं
उनके पास संतोष असीमित होता है

*क्यू कि*

आवश्यकताएं और जरुरते तो हर किसी की पुरी हो ही जाती हैं
किन्तु इच्छाएं कभी भी किसी की भी पुर्ण नही हो सकती

🍀अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)🍀

©Abhimanyu Dwivedi

संतोष

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🍀🙏🌱 *जीवन मर्म*🍀🙏🍀 *हे दिव्य जीवात्माओ समय रहते जीवन को खोज लो* *अन्यथा फिर मृत्यु तो तुम्हे खोज ही लेगी* 🍃 *अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)*🍃 ©Abhimanyu Dwivedi

#विचार  🍀🙏🌱 *जीवन मर्म*🍀🙏🍀

*हे दिव्य जीवात्माओ समय रहते जीवन को खोज लो*
*अन्यथा फिर मृत्यु तो तुम्हे खोज ही लेगी*


🍃 *अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)*🍃

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जीवन मंत्र

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🌱अविराम विश्रांति 🌱 सूक्ष्म स्वांसे ही गहन चित्त के स्थिरता की आधारशिला हैं और स्थिर निस्तब्द चित्त ही अविराम विश्रांति का मूलांकुर है 🙏 अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)🙏 ©Abhimanyu Dwivedi

#विचार  🌱अविराम विश्रांति 🌱


सूक्ष्म स्वांसे ही गहन चित्त के स्थिरता की आधारशिला हैं
और स्थिर निस्तब्द चित्त ही अविराम विश्रांति का मूलांकुर है


🙏 अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)🙏

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शांत चित्त

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*संकल्प से सिद्धि पथ* संकल्प रेणु में आशा के अंकुर उगते हैं आशा के अंकुर से ही स्फूर्ति चेतना दल निकसे हैं चेतन आनंद मगन चित में बोधि दिव्य सुमन खिलते हैं बोधि पुष्प से ही अनुभूति की गहन सुगन्ध उठती है अनुभूति की गहन साधना से प्रज्ञा होश पुंज मिलते हैं प्रज्ञा के प्रखर प्रवर तेजपुंज से अभ्युदय के रहस्य सहज खुलते हैं प्रज्ञा रहस्योदय से अंतरचछु दिव्य दरस करते हैं तब सहज ही जीवात्मा में त्रिनेत्र योग जगते हैं त्रिनेत्र योग से आत्मज्ञान के मूलबंध खुलते हैं तब आत्मज्ञान से आत्मसाक्षात्कार तक का दुर्लभ लक्ष्य सधता है आत्मसाक्षात्कार के मूल बोधि से परम् मोक्ष के द्वार सहज खुलते हैं 🌱 *अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)*🌱 ©Abhimanyu Dwivedi

#विचार  *संकल्प से सिद्धि पथ*

संकल्प रेणु में आशा के अंकुर उगते हैं
आशा के अंकुर से ही स्फूर्ति चेतना दल निकसे हैं
चेतन आनंद मगन चित में बोधि दिव्य सुमन खिलते हैं
बोधि पुष्प से ही अनुभूति की गहन सुगन्ध उठती है
अनुभूति की गहन साधना से प्रज्ञा होश पुंज मिलते हैं
प्रज्ञा के प्रखर प्रवर तेजपुंज से अभ्युदय के रहस्य सहज खुलते हैं
प्रज्ञा रहस्योदय से अंतरचछु दिव्य दरस करते हैं
तब सहज ही जीवात्मा में त्रिनेत्र योग जगते हैं
त्रिनेत्र योग से आत्मज्ञान के मूलबंध खुलते हैं
तब आत्मज्ञान से आत्मसाक्षात्कार तक का दुर्लभ लक्ष्य सधता है 
आत्मसाक्षात्कार के मूल बोधि से परम् मोक्ष के द्वार सहज खुलते हैं

🌱 *अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)*🌱

©Abhimanyu Dwivedi

बोधि दर्शनम

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🙏 *परम शान्ति के दिव्य शुभारंभ का मूल उद्घोष*🙏 1) *मैं ईश्वर का अंश हूं* 2) *मैं आनंदित हूं* 3) *मैं प्रफुल्लित हूं* 4) *मैं प्रसन्न हूं* 5) *मैं शांत हूं* 6) *मैं स्वस्थ हूं* 7) *मैं दिव्य चेतना हूं* 8) *मैं सच्चिदानन्दमय हूं* 9) *मुझ पर ईश्वर की अनंत कृपा है* 10) *मुझ पर परमात्मा का परम आशीर्वाद है* 🙏 *ॐ शांतिः शांतिः शांतिः* 🙏 🙏 *अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)*🙏 ©Abhimanyu Dwivedi

#विचार  🙏 *परम शान्ति के दिव्य शुभारंभ का मूल उद्घोष*🙏


1) *मैं ईश्वर का अंश हूं*
2) *मैं आनंदित हूं*
3) *मैं प्रफुल्लित हूं*
4) *मैं प्रसन्न हूं*
5) *मैं शांत हूं*
6) *मैं स्वस्थ हूं*
7) *मैं दिव्य चेतना हूं*
8) *मैं सच्चिदानन्दमय हूं*
9) *मुझ पर ईश्वर की अनंत कृपा है*
10) *मुझ पर परमात्मा का परम आशीर्वाद है*

🙏 *ॐ शांतिः शांतिः शांतिः* 🙏


🙏 *अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)*🙏

©Abhimanyu Dwivedi

बोध

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