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नैमिषारण्य सीतापुर 9044447260
Praveen shukla प्रशु
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तुम चली गयी बिना कुछ कहे लेकिन मैं तुमसे हमेशा बातें करता रहा तुम गयीं ऐसा की न तो तुमको याद आई और न ही तुमने कभी पीछे मुड़ कर देखा तुम चली गयी शायद तुमको जाना था लेकिन मैं नही जा सका वही जम सा गया खमोशी से कई संदेश भेजे मन से तुम्हारे मन तक लेकिन तुम्हारे मन को शायद नही थी मेरे मन की प्रतिक्षा तुमको बिन बताये न जाने कितना खोजा तुमको की कहीं तो छोड़े होंगे तुमने अपने चिन्ह की जिससे मैं तुम तक पहुंच सकू सरलता से लेकिन ये ख़याल भी मेरे ही मन की उपज थी तुम तो चली गयी थी अपने सारे निशान मिटा कर जानती हो इतने दिन बीत जाने के बाद भी तुम मेरे पास ही हो जो कभी तुम मेरे पास हुआ करती थी मेरी वाली तुम आज भी मन करता है कि तुम्हारा हाथ पकड़ कर बोलू चलो कहीं बैठते हैं तुमसे बहुत सारी बातें करनी हैं तुमको सुनना है ©Praveen shukla प्रशु
13 Love
जानती हो, अब ऐसा लगता है हम लोगों का वो साथ वो प्यार ही सच्चा था बाकी ये जो सब अब हो रहा है, सब बिना मन के सब बस करना पड़ रहा है। तुम्हारी बहुत याद आती है कभी कभी. ©Praveen shukla प्रशु
10 Love
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हमारा कुछ पल का मिलना युगों की दूरियों को पाट देता है । ©Praveen shukla प्रशु
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