Sumit Upadhyay

Sumit Upadhyay Lives in Jalandhar, Punjab, India

Being simple is my way of leaving.

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#अनुभव #MyTopics

Motivational #MyTopics

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तेरी मासूमियत तेरे चेहरे पर झलकती हैं तूझे देखने के बाद दिल मे हलचल सी उठती हैं, ना जाने क्या कशमकश है तुझमे आँखो से ही मार गिराने का हुनर रखती हैं। ©Sumit Upadhyay

#haseen #aankhe #kitni  तेरी मासूमियत तेरे चेहरे पर झलकती हैं
तूझे देखने के बाद दिल मे हलचल सी उठती हैं,
ना जाने क्या कशमकश है तुझमे
आँखो से ही मार गिराने का हुनर रखती हैं।

©Sumit Upadhyay

Maa वक़्त की नाजुकता को बड़े करीब से नाप लेती हैं, माँ मेरी मुस्कुराहट को मेरी आवाज़ से पहचान लेती हैं, और कभी मालुम नहीं होने देती वो दुख अपना, बच्चों के खातिर माँ अपना सब कुछ भुला देती हैं। ©Sumit Upadhyay

#unconditionallove #maa  Maa  वक़्त की नाजुकता को बड़े करीब से नाप लेती हैं,
माँ मेरी मुस्कुराहट को मेरी आवाज़ से पहचान लेती हैं,
और कभी मालुम नहीं होने देती वो दुख अपना,
बच्चों के खातिर माँ अपना सब कुछ भुला देती हैं।

©Sumit Upadhyay

तूझे अपना खास बताते बताते मैं आम हो गया, खेतों में बनी रही हरियाली तू और मै वीरान हो गया। और तू गया हैं दोबारा लौटकर ना आने के लिये, की तेरे जाने के बाद मैं तेरे नाम से बदनाम हो गया। ©Sumit Upadhyay

#wordaddict #ishq  तूझे अपना खास बताते बताते मैं आम हो गया,
खेतों में बनी रही हरियाली तू और मै वीरान हो गया।
और तू गया हैं दोबारा लौटकर ना आने के लिये,
की तेरे जाने के बाद मैं तेरे नाम से बदनाम हो गया।

©Sumit Upadhyay

फर्श से उठा कर आस्माँ तक का सफ़र कराया हैं, एक बाप ने सन्तान के लिये अपना सब कुछ दांव पर लगाया हैं, ज़िक्र नही है उसका कहीं क्युकी प्यार करना तो माँ ने सिखाया हैं, उसने तो परिवार की खुशी के लिये सालों साल पसीना बहाया हैं, कड़ी धूप मे भी उसने खुद को मसीन की तरह चलाया हैं, एक बाप ने सन्तान के लिये अपना सब कुछ दांव पर लगाया हैं। आखिर मे मिला क्या हैं उसको की हमारे लिये किया क्या हैं, उनको खबर कहाँ बाप ने कैसे खून पसीना एक किया तब जाके वो पल पाया हैं। पिता से हैं जान तेरी जीये जिस सहारे पे तू उसी से वो सास मिली। ©Sumit Upadhyay

#walkingalone #father  फर्श से उठा कर आस्माँ तक का सफ़र कराया हैं,
एक बाप ने सन्तान के लिये अपना सब कुछ दांव पर लगाया हैं,
ज़िक्र नही है उसका कहीं क्युकी प्यार करना तो माँ ने सिखाया हैं,
उसने तो परिवार की खुशी के लिये सालों साल पसीना बहाया हैं,
कड़ी धूप मे भी उसने खुद को मसीन की तरह चलाया हैं,
एक बाप ने सन्तान के लिये अपना सब कुछ दांव पर लगाया हैं।

आखिर मे मिला क्या हैं उसको की हमारे लिये किया क्या हैं,
उनको खबर कहाँ बाप ने कैसे खून पसीना एक किया तब जाके वो पल पाया हैं।
पिता से हैं जान तेरी जीये जिस सहारे पे तू उसी से वो सास मिली।

©Sumit Upadhyay
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