काव्य मंजूषा

काव्य मंजूषा Lives in Delhi, Delhi, India

Poetic Soul

https://youtu.be/q4jdoPAvbfs

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जिन-जिन के बिन लगता था ज़िंदगी एक पल भी मुमकिन नहीं आज उनसे कोई राब्ता नहीं मेरा पर ताज्जुब है साँसें चल रही हैं, ज़िंदगी की गाड़ी चल रही है ©काव्य मंजूषा

 जिन-जिन के बिन लगता था
ज़िंदगी एक पल भी मुमकिन नहीं
आज उनसे कोई राब्ता नहीं मेरा
पर ताज्जुब है
साँसें चल रही हैं,
ज़िंदगी की गाड़ी चल रही है

©काव्य मंजूषा

जिन-जिन के बिन लगता था ज़िंदगी एक पल भी मुमकिन नहीं आज उनसे कोई राब्ता नहीं मेरा पर ताज्जुब है साँसें चल रही हैं, ज़िंदगी की गाड़ी चल रही है ©काव्य मंजूषा

11 Love

हर माँ-बाप को चाहिये कि वो अपनी औलाद को इतनी रियायत तो ज़रूर बख्शें कि वो अपने हिस्से की ग़लतियाँ कर सके, गिर सके, संभल सके, भटक सके, भटक कर फ़िर सही राह पकड़ सके उसपर अपनी अनगिनत उम्मीदों का बोझ न डाल दें कि गिरना तो दूर महज़ लड़खड़ाने भर से ही उसकी रूह कांप जाए ©काव्य मंजूषा

 हर माँ-बाप को चाहिये कि
वो अपनी औलाद को
इतनी रियायत तो ज़रूर बख्शें कि
वो अपने हिस्से की ग़लतियाँ कर सके,
गिर सके, संभल सके,
भटक सके, भटक कर फ़िर सही राह
पकड़ सके
उसपर अपनी अनगिनत उम्मीदों का
बोझ न डाल दें कि गिरना तो दूर
महज़ लड़खड़ाने भर से ही उसकी रूह कांप जाए

©काव्य मंजूषा

हर माँ-बाप को चाहिये कि वो अपनी औलाद को इतनी रियायत तो ज़रूर बख्शें कि वो अपने हिस्से की ग़लतियाँ कर सके, गिर सके, संभल सके, भटक सके, भटक कर फ़िर सही राह पकड़ सके उसपर अपनी अनगिनत उम्मीदों का बोझ न डाल दें कि गिरना तो दूर महज़ लड़खड़ाने भर से ही उसकी रूह कांप जाए ©काव्य मंजूषा

9 Love

होंठ और तिल सुंदर रूप का घमंड करने वाले आमतौर पर सोच-विचार से अति कुरूप होते हैं ©काव्य मंजूषा

#honth  होंठ और तिल सुंदर रूप का घमंड करने वाले
आमतौर पर
सोच-विचार से अति कुरूप होते हैं

©काव्य मंजूषा

#honth

11 Love

चेहरे पे कौन-सा भोगौलिक नक्शा छपा है, यह ठीक-ठीक इस पर निर्भर करता है कि बटुए में माल कितना पड़ा है ©काव्य मंजूषा

#poor  चेहरे पे कौन-सा भोगौलिक नक्शा छपा है,
यह ठीक-ठीक
इस पर निर्भर करता है कि
बटुए में माल कितना पड़ा है

©काव्य मंजूषा

#poor

9 Love

सबके हिस्से संघर्ष वाली घड़ी ज़रूर आनी चाहिए। ©काव्य मंजूषा

#adventure  सबके हिस्से संघर्ष वाली घड़ी 
ज़रूर आनी चाहिए।

©काव्य मंजूषा

#adventure

7 Love

तन की आधी-पूरी नग्नता के पीछे सरपट भागती दुनिया में विरले मन का नंगापन ढूंढ रहा हूँ मैं ©काव्य मंजूषा

 तन की आधी-पूरी नग्नता
के पीछे सरपट भागती दुनिया में
विरले मन का नंगापन
ढूंढ रहा हूँ मैं

©काव्य मंजूषा

तन की आधी-पूरी नग्नता के पीछे सरपट भागती दुनिया में विरले मन का नंगापन ढूंढ रहा हूँ मैं ©काव्य मंजूषा

6 Love

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