Mohammad sarim

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#शायरी

Maine roze si ibadat nahi dekhi

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जिस दिन से वो खुदपरस्ती पर उतर आएगा मेरे एहसास ए कुर्बत से दूर हो जाएगा हो सकता है किसी वेहम मैं इल्म न हो यकीनन एक रोज़ इस कोताही पर पछताएगा तेरे ज़ुल्मो ने हमे कुछ यूं तोड़ा है पलट कर देखना चेहरा ही सच्चाइ बताएगा कहां बिगड्डा था कुछ सब कुछ वही था संभल जाता और ना जाने कितना दिल दुखआएगा ये जो बदल कर रंग बढ़ाआई है तकलीफ अब तक तो हमारी थी अब खुद की बढ़ायेगा जा तुझे माफ़ किया बता उसे जाकर सारिम अफ्सोस यूं है वो खुदा से कैसे माफ करायेगा ©Mohammad sarim

#कविता #nojato #Heart #SAD  जिस दिन से वो खुदपरस्ती पर उतर आएगा
 मेरे  एहसास ए  कुर्बत  से  दूर  हो   जाएगा

हो  सकता  है  किसी  वेहम  मैं  इल्म  न  हो 
यकीनन एक रोज़ इस कोताही पर पछताएगा

तेरे   ज़ुल्मो   ने   हमे   कुछ   यूं  तोड़ा  है 
पलट कर देखना चेहरा ही सच्चाइ बताएगा

कहां  बिगड्डा   था  कुछ   सब  कुछ  वही  था 
संभल जाता और ना जाने कितना दिल दुखआएगा

ये   जो  बदल  कर   रंग  बढ़ाआई  है  तकलीफ 
अब तक तो  हमारी  थी  अब  खुद  की  बढ़ायेगा

जा  तुझे  माफ़  किया  बता  उसे  जाकर  सारिम
अफ्सोस यूं  है  वो  खुदा  से  कैसे  माफ  करायेगा

©Mohammad sarim

चलो आज कुछ हकीकत बयान करदु  बीते दिनो की वहशत जुबान करदु छोड मुझेको युंही क्या तुम जा पाउगे  चलो मैं खुदा ही मोहलत आसान करदु मजबूरी ये आदतन मुंतज़िर नहीं रहता  बेहतर है खतम इज्जत ए इम्तिहान करदु हां नहीं मुझे अब कोई इंतजार सच है  कहो तो मैं ही फुरकत ए एहसान करदु अज़ीब फलसफ़ा है यहाँ दिल दुखाने का सारिम अब सोचा है बस खुद ही कुर्बत कुर्बान करदु ©Mohammad sarim

#शायरी #Dard #SAD  चलो  आज  कुछ   हकीकत बयान  करदु
 बीते  दिनो   की वहशत  जुबान   करदु

छोड  मुझेको   युंही क्या   तुम   जा पाउगे 
चलो मैं  खुदा ही   मोहलत   आसान करदु

मजबूरी   ये  आदतन  मुंतज़िर  नहीं रहता 
बेहतर  है  खतम  इज्जत ए  इम्तिहान  करदु

हां   नहीं  मुझे अब  कोई  इंतजार  सच है 
कहो  तो  मैं   ही  फुरकत ए एहसान करदु

अज़ीब फलसफ़ा है यहाँ दिल दुखाने का सारिम
 अब सोचा है बस खुद ही कुर्बत कुर्बान करदु

©Mohammad sarim

#SAD #Dard

12 Love

क्यों ये दिन हर रोज़ यूँही ढल जाते हैं तुम्ही बदले हो या सभी बदल जाते हैं मेरा वक़्त बदलेगा तो मै उसे पूछूँगा क्या वक़्त बदलने पर पत्थर भी पिघल जाते हैं Kyun ye din har roz yunhi dhhal jaate hain Tumhi badle ho ya sabhi badal jaate hain Mera waqt badlega to mai usey puchunga Kya waqt badalne par patthar bhi pighal jaate hain ©Mohammad sarim

#sadpoetry #Waqt  क्यों  ये  दिन  हर  रोज़  यूँही   ढल   जाते   हैं 
तुम्ही  बदले  हो  या  सभी   बदल   जाते   हैं

मेरा   वक़्त   बदलेगा   तो  मै   उसे   पूछूँगा 
क्या वक़्त बदलने पर पत्थर भी पिघल जाते हैं

 Kyun ye din har roz yunhi dhhal jaate hain 
Tumhi badle ho ya sabhi badal jaate hain  

Mera waqt badlega to mai usey puchunga 
Kya waqt badalne par patthar bhi pighal jaate hain

©Mohammad sarim

#sadpoetry #Dard_e_dil #Waqt

9 Love

अफ़सोस के आँख तुम को न पायेगी बता फिर ईद कैसे मनाई जाएगी Afsos ke aankh tum ko na payegi Bata phir eid kaise manayi jayegi ©Mohammad sarim

#eidmubarak  अफ़सोस के आँख तुम को न पायेगी
 बता फिर ईद  कैसे  मनाई  जाएगी



Afsos ke aankh tum ko na payegi 
Bata phir eid kaise manayi jayegi

©Mohammad sarim

अब तू जो रूठेगा तो कौन मनायेगा फिर मेरे बाद तुझे मेरा कहा याद आयेगा फिर अपनी फितरत के मर्ज़ का जब एहसास होगा अफ़सोस के वो ला इलाज रह जायेगा फिर ये जो अब की मुश्किल है मुश्किल कहाँ थी मेरे साथ न रह सका उससे भी हाथ छुड़ायेगा फिर मेरी ग़ुरबत से दामन बचाने वाले अपनी बेबसी से खुद को कैसे बचाएगा फिर वो जो बुरे वक़्त मे अन्जान हुआ सारिम आइंदा भी सख्ती से दूर खुद को भगाएगा फिर ©Mohammad sarim

#Broken💔Heart #sadpoetry #mohabbat #Zindagi #Dard  अब तू जो रूठेगा तो कौन मनायेगा फिर 
मेरे बाद तुझे मेरा कहा याद आयेगा फिर

अपनी फितरत के मर्ज़ का जब एहसास होगा 
अफ़सोस के वो ला इलाज रह जायेगा फिर

ये जो अब की मुश्किल है मुश्किल कहाँ थी 
मेरे साथ न रह सका उससे भी हाथ छुड़ायेगा फिर

 मेरी   ग़ुरबत   से   दामन   बचाने  वाले 
अपनी बेबसी से खुद को कैसे बचाएगा फिर

वो  जो  बुरे  वक़्त मे  अन्जान  हुआ   सारिम 
आइंदा भी सख्ती से दूर खुद को भगाएगा फिर

©Mohammad sarim
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