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क्षण क्षण में कण-कण कटता गया, ये छूट गया ये मिल गया तू बस यही रटता रहा जो होना है वो होगा ये भूल तू भविष्य की चिंता में वर्तमान से लडता रहा सूरज और चाँद के बीच की दूरी को तू अपने घड़ी के काटों में गढता गया वक़्त तुझे चलाता रहा और तू चलता रहा ©खामोशी
खामोशी
19 Love
समुंद्र का नीर हमेशा धर धीर रहता है , मन की हलचल से ही सुनामी में बदलता है , वरना , हर इंसाँ गंभीर कहा रहता है..... ©खामोशी
16 Love
प्यार साथ चाहता है , जज़्बात चाहता है, बिगडे हुए हालातों में जो हाथ पकड़े, वो हाथ चाहता है. ©no name
12 Love
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खुद से खुद की जंग में अपने बदले हुए ढंग में, उलझी हुई सोच में, अपने आप को रख के होश में, बस ये पूछना चाहता हूँ, खुद को मैं खुद कितना चाहती हूँ. . . ©no name
3 Love
कोशिशें हजार कर, अगर हारा तो उठ खड़ा हो , और फिर वार कर , अपनी जीत की डर से ना अपनी हार कर, अपने अहसासों को दाव पे लगा, और इच्छाओं का व्यापार कर , ना बैठ हार कर, उठ खड़ा हो , और फिर वार कर...
32 Love
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