"तुम"
खुलती आँखो में तुम,
मन की गीतो में तुम
सुबह की ठंडी फिजाओं में तुम,
शीतल जल धाराओं में तुम
मेरे आराध्य भी तुम,
मेरी आराधना भी तुम
मेरी मन्नत में तुम,
मेरी दुआओं में तुम
बरसते बादल में तुम,
बदलते मौसम में तुम
खेत खलिहानों में तुम,
हरे मैदानों में तुम
सुरीली गीतो में तुम,
"उदास" के गजलों में तुम
पग-पग चलती भीड़ में तुम,
तन्हा चलते साथी भी तुम
उगते चांद में तुम,
डूबते सुय॔ में तुम
आंसु की धारा भी तुम,
होठो की मुस्कान भी तुम
सुख के सागर में तुम,
दुख की लहरों में तुम
हकीकत भी तुम,
ख्वाब भी तुम
मेरी चाहत भी तुम,
मेरी अरदास भी तुम
मेरे छोटे से संसार के कण-कण में
तुम,बस तुम, सिर्फ तुम।।
-खुशी प्रिया✍
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