Khushi Priya

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ये आंखे.... इन्हे सिर्फ आंख समझने की भूल ना करना!! कई कहानियां छिपी है इनमें..... कई राज दफ्न किए इसने!! कभी किसकी कटिली बातों पर.....गुर्राई ये आंखें!! कभी किसकी यादों में....मेघा बन बरसी ये आंखें!! कभी बच्चों संग अल्हड़पन करती.... शरारती आंखें!! तो कभी घर से दूर.....अपनो को खोजती ये आंखें!! सफलता की चाहत में.... रात-रात भर जगती ये आंखें!! दोस्तों से कई महीनों बाद मिलने पर.... चमकती हुई नूर वाली ये आंखें!! कभी जब थक हारकर अकेले में बैठती..... बीते पालों को याद कर मुस्कुराती ये आंखें!! ये आंखें........ इन्हें सिर्फ आंख समझने की भूल ना करना!! ©Khushi Priya

#Eyes  ये आंखे....
इन्हे सिर्फ आंख समझने की भूल ना करना!!

कई कहानियां छिपी है इनमें.....
कई राज दफ्न किए इसने!!

कभी किसकी कटिली बातों पर.....गुर्राई ये आंखें!!

कभी किसकी यादों में....मेघा बन बरसी ये आंखें!!

कभी बच्चों संग अल्हड़पन करती.... शरारती आंखें!!



तो कभी घर से दूर.....अपनो को खोजती ये आंखें!!

सफलता की चाहत में.... रात-रात भर जगती ये आंखें!!

दोस्तों से कई महीनों बाद मिलने पर.... चमकती हुई नूर वाली ये आंखें!!

कभी जब थक हारकर अकेले में बैठती.....
बीते पालों को याद कर मुस्कुराती ये आंखें!!

ये आंखें........
इन्हें सिर्फ आंख समझने की भूल ना करना!!

©Khushi Priya

#Eyes

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"तुम" खुलती आँखो में तुम, मन की गीतो में तुम सुबह की ठंडी फिजाओं में तुम, शीतल जल धाराओं में तुम मेरे आराध्य भी तुम, मेरी आराधना भी तुम मेरी मन्नत में तुम, मेरी दुआओं में तुम बरसते बादल में तुम, बदलते मौसम में तुम खेत खलिहानों में तुम, हरे मैदानों में तुम सुरीली गीतो में तुम, "उदास" के गजलों में तुम पग-पग चलती भीड़ में तुम, तन्हा चलते साथी भी तुम उगते चांद में तुम, डूबते सुय॔ में तुम आंसु की धारा भी तुम, होठो की मुस्कान भी तुम सुख के सागर में तुम, दुख की लहरों में तुम हकीकत भी तुम, ख्वाब भी तुम मेरी चाहत भी तुम, मेरी अरदास भी तुम मेरे छोटे से संसार के कण-कण में तुम,बस तुम, सिर्फ तुम।। -खुशी प्रिया✍

#sunrays  "तुम"

खुलती आँखो  में तुम,
               मन की गीतो में तुम 
सुबह की ठंडी फिजाओं में तुम,
              शीतल जल धाराओं में तुम 
मेरे आराध्य भी तुम,
           मेरी आराधना भी तुम 
मेरी मन्नत में तुम,
              मेरी दुआओं में तुम
बरसते बादल में तुम,
               बदलते मौसम में तुम 
खेत खलिहानों में तुम,
              हरे मैदानों में तुम 
सुरीली गीतो में तुम,
          "उदास" के गजलों में तुम
पग-पग चलती भीड़ में तुम,
                तन्हा चलते साथी भी तुम
उगते चांद में तुम,
              डूबते सुय॔ में तुम
आंसु की धारा भी तुम,
            होठो की मुस्कान भी तुम
सुख के सागर में तुम,
             दुख की लहरों में तुम 
हकीकत भी तुम,
             ख्वाब भी तुम
मेरी चाहत भी तुम,
              मेरी अरदास भी तुम
मेरे छोटे से संसार के कण-कण में
तुम,बस तुम, सिर्फ तुम।।
            -खुशी प्रिया✍

#sunrays

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