Hamirsha Juneja

Hamirsha Juneja

student of high secondary school...

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शायद हमारा कुछ हिस्सा यहाँ छुट गया है, वो देखो बचपन का अरिसा टूट गया है। शायद दीवारे अब बात नहीं करेंगी मुझसे, वो मेरा अंदाजे मासूमियत कही छूट गया है।

#river  शायद हमारा कुछ हिस्सा यहाँ छुट गया है, 
वो देखो बचपन का अरिसा टूट गया है। 

शायद दीवारे अब बात नहीं करेंगी मुझसे, 
वो मेरा अंदाजे मासूमियत कही छूट गया है।

#river

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#अनुभव #myvoice  😊

#myvoice

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kuchh bate vakht bhulata hai, kuchh bate vakht yad dilata hai

 kuchh bate vakht bhulata hai, 
kuchh bate vakht yad dilata hai

pls follow me for new saayri

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मतलब के मंजर का आज मुझे अहसास हुआ ,कुछ न था मै वहीं खास हुआ। जो मंजर खाली हाथ किसी और के पास देखा ,वहीं मंजर आज पास हुआ ।

 मतलब के मंजर का आज मुझे अहसास हुआ ,कुछ न था मै वहीं खास हुआ।
जो मंजर खाली हाथ किसी और के पास देखा ,वहीं मंजर आज पास हुआ ।

मतलब के मंजर का आज मुझे अहसास हुआ ,कुछ न था मै वहीं खास हुआ। जो मंजर खाली हाथ किसी और के पास देखा ,वहीं मंजर आज पास हुआ ।

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इतनी भीड़में मुझे एक अजीब मिजाज का मुसाफिर मिला। इंसानियत के राह पर चलने वाला अनोखा राहगीर मिला। जहाँ भी देखी मैंने अपनी कामयाबी वहा वो हरबार मिला। मैं ढूंढता रहा एक फूल उसके पास तो सारा गुलजार मिला। मैंने चाहा जब भी परखना उसे तो वो हर तरफ बेसुमार मिला। चाहा की करदू कविता में शामिल पर वो मेरी समज से बाहर मिला। चाहा बन जाऊ उसके जैसा मैं भी मगर वो मुझसे बहेतर मिला। न लिख पाउँगा उसे न समझ पाउँगा उसे मुझे अजीब मुसाफिर मिला।

 इतनी भीड़में मुझे एक अजीब 
मिजाज का मुसाफिर मिला। 
 इंसानियत के राह पर चलने वाला 
अनोखा राहगीर मिला। 

जहाँ भी देखी मैंने अपनी कामयाबी 
वहा वो हरबार मिला। 
मैं ढूंढता रहा एक फूल उसके पास 
तो सारा गुलजार मिला। 

मैंने चाहा जब भी परखना उसे तो 
वो हर तरफ बेसुमार मिला। 
चाहा की करदू कविता में शामिल पर 
वो मेरी समज से बाहर मिला। 

चाहा बन जाऊ उसके जैसा मैं भी मगर
 वो मुझसे बहेतर मिला। 
 न लिख पाउँगा उसे न समझ पाउँगा उसे
 मुझे अजीब मुसाफिर मिला।

इतनी भीड़में मुझे एक अजीब मिजाज का मुसाफिर मिला। इंसानियत के राह पर चलने वाला अनोखा राहगीर मिला। जहाँ भी देखी मैंने अपनी कामयाबी वहा वो हरबार मिला। मैं ढूंढता रहा एक फूल उसके पास तो सारा गुलजार मिला। मैंने चाहा जब भी परखना उसे तो वो हर तरफ बेसुमार मिला। चाहा की करदू कविता में शामिल पर वो मेरी समज से बाहर मिला। चाहा बन जाऊ उसके जैसा मैं भी मगर वो मुझसे बहेतर मिला। न लिख पाउँगा उसे न समझ पाउँगा उसे मुझे अजीब मुसाफिर मिला।

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बड़ी सिद्दत से मिलते हैं वे लोग, जिन्हे समझना आसान नहीं। वख़्त खुद कर देगा परेशान तुम्हे, पास जब वो इन्शान नहीं।

 बड़ी सिद्दत से मिलते हैं वे लोग, 
जिन्हे समझना आसान नहीं। 
वख़्त खुद कर देगा परेशान तुम्हे, 
पास जब वो इन्शान नहीं।

बड़ी सिद्दत से मिलते हैं वे लोग, जिन्हे समझना आसान नहीं। वख़्त खुद कर देगा परेशान तुम्हे, पास जब वो इन्शान नहीं।

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