Imran SambhalShahi

Imran SambhalShahi

मै "इमरान" हूं दिल का आइना व इश्क़ का हूं फ़लसफ़ा। मुझे नाज़ है अपनी क़लम पर जो पामाल संग चल रहा।। ~इमरान सम्भलशाही (कवि व अभिनेता)

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कविताएं अगर रिश्तों से संबंधित रिक्त स्थानों की पूर्ति के लिए लिखी जाती तो मै केवल "मां" लिखता! ~Imran SambhalShahi

#MothersDay  कविताएं 
अगर

रिश्तों से संबंधित
 रिक्त स्थानों की
पूर्ति के लिए

लिखी जाती तो

मै केवल

"मां"

लिखता!

~Imran SambhalShahi

ऐ!प्रकृति प्रदत्त चीज़ों से इंशा,मत करो खिलवाड़ तुम रौद्र सा तेवर जागेगा जब,क्या सह पाओगे दहाड़ तुम? युगों युगों से देती आई जो, जीवनदायिनी सतरंग भी "मां" बन पोषी अपने आंचल में, सदा निभाई संग भी सुख सागर सा प्राण दिया है, अनंतमय हरियाली भी क्रिसमस होली राखी संग दी, ईद और दिवाली भी वक्त हुआ है सम्हल भी जाओ,प्रकृति शक्ति को छेड़ना नहीं तो,प्रकृति अपने क्रोधों से,आरंभ करेंगे खदेड़ना सिंहनाद सा गूंज उठेगा,भीषण प्रकृति शिवजी जैसा आओ प्रकृति से प्रेम करें,ललना "मां" की प्रेम के जैसा ध्यान से देखो कोरोना आया है,जो लॉकडाउन स्वरूपा कर वंदना ईश की तुम!ना आए प्रकृति शक्ति रौद्र रूपा इमरान संभलशाही

#footsteps  ऐ!प्रकृति प्रदत्त चीज़ों से इंशा,मत करो खिलवाड़ तुम
रौद्र सा तेवर जागेगा जब,क्या सह पाओगे दहाड़ तुम?


युगों युगों से देती आई जो, जीवनदायिनी सतरंग भी
"मां" बन पोषी अपने आंचल में, सदा निभाई संग भी


सुख सागर सा प्राण दिया है, अनंतमय हरियाली भी
क्रिसमस होली राखी संग दी, ईद और दिवाली भी


वक्त हुआ है सम्हल भी जाओ,प्रकृति शक्ति को छेड़ना
नहीं तो,प्रकृति अपने क्रोधों से,आरंभ करेंगे खदेड़ना


सिंहनाद सा गूंज उठेगा,भीषण प्रकृति शिवजी जैसा
आओ प्रकृति से प्रेम करें,ललना "मां" की प्रेम के जैसा


ध्यान से देखो कोरोना आया है,जो लॉकडाउन स्वरूपा
कर वंदना ईश की तुम!ना आए प्रकृति शक्ति रौद्र रूपा

इमरान संभलशाही

#footsteps

10 Love

ऐ!प्रकृति प्रदत्त चीज़ों से इंशा,मत करो खिलवाड़ तुम रौद्र सा तेवर जागेगा जब,क्या सह पाओगे दहाड़ तुम? युगों युगों से देती आई जो, जीवनदायिनी सतरंग भी "मां" बन पोषी अपने आंचल में, सदा निभाई संग भी सुख सागर सा प्राण दिया है, अनंतमय हरियाली भी क्रिसमस होली राखी संग दी, ईद और दिवाली भी वक्त हुआ है सम्हल भी जाओ,प्रकृति शक्ति को छेड़ना नहीं तो,प्रकृति अपने क्रोधों से,आरंभ करेंगे खदेड़ना सिंहनाद सा गूंज उठेगा,भीषण प्रकृति शिवजी जैसा आओ प्रकृति से प्रेम करें,ललना "मां" की प्रेम के जैसा ध्यान से देखो कोरोना आया है,जो लॉकडाउन स्वरूपा कर वंदना ईश की तुम!ना आए प्रकृति शक्ति रौद्र रूपा *इमरान संभलशाही* *

#Art  ऐ!प्रकृति प्रदत्त चीज़ों से इंशा,मत करो खिलवाड़ तुम
रौद्र सा तेवर जागेगा जब,क्या सह पाओगे दहाड़ तुम?


युगों युगों से देती आई जो, जीवनदायिनी सतरंग भी
"मां" बन पोषी अपने आंचल में, सदा निभाई संग भी


सुख सागर सा प्राण दिया है, अनंतमय हरियाली भी
क्रिसमस होली राखी संग दी, ईद और दिवाली भी


वक्त हुआ है सम्हल भी जाओ,प्रकृति शक्ति को छेड़ना
नहीं तो,प्रकृति अपने क्रोधों से,आरंभ करेंगे खदेड़ना


सिंहनाद सा गूंज उठेगा,भीषण प्रकृति शिवजी जैसा
आओ प्रकृति से प्रेम करें,ललना "मां" की प्रेम के जैसा


ध्यान से देखो कोरोना आया है,जो लॉकडाउन स्वरूपा
कर वंदना ईश की तुम!ना आए प्रकृति शक्ति रौद्र रूपा

*इमरान संभलशाही*


*

#Art

9 Love

क्या हैं ?भारत देश! भारतवर्ष हम तो वास्तविक रूप से, इसे जानते ही नहीं बस इसी में जीते खाते हैं और यहीं रहते हुए इसी में ही कुछ न कुछ सही गलत भी कर जाते हैं पर हमे, इसकी वास्तविकता को जानना व इसके मर्म को अवश्य पहचानना चाहिए क्योंकि हम इसी के उत्पाद व उपज है और इसी की परंपरा निभाते हुए सदियों से आज तलक, इसी की कड़ी बने हुए है हम जो कुछ भी है यथा, आधुनिक -पौराणिक सहिष्णु -असहिष्णु जातिवादी -मानवतावादी क्षेत्रीय अस्मिताओं के भंवर में फंसे या जकड़े हुए वसुधैवकुटुंबकम के पैरोकार हो रूढ़िग्रस्त व भयभीत हो इतिहास के अतीत की आत्माओं में सीमित या असीमित हो भय व निर्भय हो भिन्न -भिन्न प्रक्रियाओं के तहत निर्मिति हैं इतने विविधपूर्ण रूप -स्वरूप में अपने निवासियो व अपनी सार संस्कृतियों को नहीं ही गढ़ पायेगा? कोई अन्य देश! मेरा विश्वास है ये और यथार्थ परक सोच भी जितना कि सदियों से अद्यतन गंगा जमुनी तहजीब का मालिक इस महान भारत देश ने गढ़ा है ~अपरिचित सलमान

 क्या हैं ?भारत देश!

भारतवर्ष
हम तो 
वास्तविक रूप से, इसे जानते ही नहीं 
बस इसी में जीते खाते हैं 
और यहीं रहते हुए
इसी में ही कुछ न कुछ सही गलत भी कर जाते हैं

पर हमे, इसकी वास्तविकता को जानना व
इसके मर्म को अवश्य पहचानना चाहिए 
क्योंकि हम इसी के उत्पाद व उपज है
और इसी की परंपरा निभाते हुए
सदियों से आज तलक, इसी की कड़ी बने हुए है

हम जो कुछ भी है 
यथा,
आधुनिक -पौराणिक 
सहिष्णु -असहिष्णु
जातिवादी -मानवतावादी 
क्षेत्रीय अस्मिताओं के भंवर में फंसे या जकड़े हुए
वसुधैवकुटुंबकम के पैरोकार हो
रूढ़िग्रस्त व भयभीत हो
इतिहास के अतीत की आत्माओं में 
सीमित या असीमित हो
भय व निर्भय हो
भिन्न -भिन्न प्रक्रियाओं के तहत निर्मिति हैं

इतने विविधपूर्ण रूप -स्वरूप में 
अपने निवासियो व अपनी सार संस्कृतियों को 
नहीं ही गढ़ पायेगा? कोई अन्य देश!
मेरा विश्वास है ये और यथार्थ परक सोच भी

जितना कि
सदियों से अद्यतन
गंगा जमुनी तहजीब का मालिक
इस महान भारत देश ने गढ़ा है

~अपरिचित सलमान

क्या हैं ?भारत देश! भारतवर्ष हम तो वास्तविक रूप से, इसे जानते ही नहीं बस इसी में जीते खाते हैं और यहीं रहते हुए इसी में ही कुछ न कुछ सही गलत भी कर जाते हैं पर हमे, इसकी वास्तविकता को जानना व इसके मर्म को अवश्य पहचानना चाहिए क्योंकि हम इसी के उत्पाद व उपज है और इसी की परंपरा निभाते हुए सदियों से आज तलक, इसी की कड़ी बने हुए है हम जो कुछ भी है यथा, आधुनिक -पौराणिक सहिष्णु -असहिष्णु जातिवादी -मानवतावादी क्षेत्रीय अस्मिताओं के भंवर में फंसे या जकड़े हुए वसुधैवकुटुंबकम के पैरोकार हो रूढ़िग्रस्त व भयभीत हो इतिहास के अतीत की आत्माओं में सीमित या असीमित हो भय व निर्भय हो भिन्न -भिन्न प्रक्रियाओं के तहत निर्मिति हैं इतने विविधपूर्ण रूप -स्वरूप में अपने निवासियो व अपनी सार संस्कृतियों को नहीं ही गढ़ पायेगा? कोई अन्य देश! मेरा विश्वास है ये और यथार्थ परक सोच भी जितना कि सदियों से अद्यतन गंगा जमुनी तहजीब का मालिक इस महान भारत देश ने गढ़ा है ~अपरिचित सलमान

9 Love

क्या हैं ?भारत देश! भारतवर्ष हम तो वास्तविक रूप से, इसे जानते ही नहीं बस इसी में जीते खाते हैं और यहीं रहते हुए इसी में ही कुछ न कुछ सही गलत भी कर जाते हैं पर हमे, इसकी वास्तविकता को जानना व इसके मर्म को अवश्य पहचानना चाहिए क्योंकि हम इसी के उत्पाद व उपज है और इसी की परंपरा निभाते हुए सदियों से आज तलक, इसी की कड़ी बने हुए है हम जो कुछ भी है यथा, आधुनिक -पौराणिक सहिष्णु -असहिष्णु जातिवादी -मानवतावादी क्षेत्रीय अस्मिताओं के भंवर में फंसे या जकड़े हुए वसुधैवकुटुंबकम के पैरोकार हो रूढ़िग्रस्त व भयभीत हो इतिहास के अतीत की आत्माओं में सीमित या असीमित हो भय व निर्भय हो भिन्न -भिन्न प्रक्रियाओं के तहत निर्मिति हैं इतने विविधपूर्ण रूप -स्वरूप में अपने निवासियो व अपनी सार संस्कृतियों को नहीं ही गढ़ पायेगा? कोई अन्य देश! मेरा विश्वास है ये और यथार्थ परक सोच भी जितना कि सदियों से अद्यतन गंगा जमुनी तहजीब का मालिक इस महान भारत देश ने गढ़ा है ~अपरिचित सलमान

 क्या हैं ?भारत देश!

भारतवर्ष
हम तो 
वास्तविक रूप से, इसे जानते ही नहीं 
बस इसी में जीते खाते हैं 
और यहीं रहते हुए
इसी में ही कुछ न कुछ सही गलत भी कर जाते हैं

पर हमे, इसकी वास्तविकता को जानना व
इसके मर्म को अवश्य पहचानना चाहिए 
क्योंकि हम इसी के उत्पाद व उपज है
और इसी की परंपरा निभाते हुए
सदियों से आज तलक, इसी की कड़ी बने हुए है

हम जो कुछ भी है 
यथा,
आधुनिक -पौराणिक 
सहिष्णु -असहिष्णु
जातिवादी -मानवतावादी 
क्षेत्रीय अस्मिताओं के भंवर में फंसे या जकड़े हुए
वसुधैवकुटुंबकम के पैरोकार हो
रूढ़िग्रस्त व भयभीत हो
इतिहास के अतीत की आत्माओं में 
सीमित या असीमित हो
भय व निर्भय हो
भिन्न -भिन्न प्रक्रियाओं के तहत निर्मिति हैं

इतने विविधपूर्ण रूप -स्वरूप में 
अपने निवासियो व अपनी सार संस्कृतियों को 
नहीं ही गढ़ पायेगा? कोई अन्य देश!
मेरा विश्वास है ये और यथार्थ परक सोच भी

जितना कि
सदियों से अद्यतन
गंगा जमुनी तहजीब का मालिक
इस महान भारत देश ने गढ़ा है

~अपरिचित सलमान

क्या हैं ?भारत देश! भारतवर्ष हम तो वास्तविक रूप से, इसे जानते ही नहीं बस इसी में जीते खाते हैं और यहीं रहते हुए इसी में ही कुछ न कुछ सही गलत भी कर जाते हैं पर हमे, इसकी वास्तविकता को जानना व इसके मर्म को अवश्य पहचानना चाहिए क्योंकि हम इसी के उत्पाद व उपज है और इसी की परंपरा निभाते हुए सदियों से आज तलक, इसी की कड़ी बने हुए है हम जो कुछ भी है यथा, आधुनिक -पौराणिक सहिष्णु -असहिष्णु जातिवादी -मानवतावादी क्षेत्रीय अस्मिताओं के भंवर में फंसे या जकड़े हुए वसुधैवकुटुंबकम के पैरोकार हो रूढ़िग्रस्त व भयभीत हो इतिहास के अतीत की आत्माओं में सीमित या असीमित हो भय व निर्भय हो भिन्न -भिन्न प्रक्रियाओं के तहत निर्मिति हैं इतने विविधपूर्ण रूप -स्वरूप में अपने निवासियो व अपनी सार संस्कृतियों को नहीं ही गढ़ पायेगा? कोई अन्य देश! मेरा विश्वास है ये और यथार्थ परक सोच भी जितना कि सदियों से अद्यतन गंगा जमुनी तहजीब का मालिक इस महान भारत देश ने गढ़ा है ~अपरिचित सलमान

9 Love

दो ज़ुबानी जंग में सबसे ज़्यादा फंसती,लड़ती और कराहती है जीभ होंठ और गला ~~इमरान सम्भलशाही

 दो ज़ुबानी जंग में
सबसे ज़्यादा
फंसती,लड़ती और कराहती है
जीभ
होंठ
और गला

~~इमरान सम्भलशाही

दो ज़ुबानी जंग में सबसे ज़्यादा फंसती,लड़ती और कराहती है जीभ होंठ और गला ~~इमरान सम्भलशाही

10 Love

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