Yogesh Kumar Mishra

Yogesh Kumar Mishra"yogi Lives in Dholpur, Rajasthan, India

poet, critic ,writer, ex-joint coordinator & GS (organization)akhil bharatiya sahitya parishad

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कृपया follow करें facebook: Yogesh Kumar mishra"yogi" Twitter: yogisahitya_ Instragram: yogisahitya_ अग्रिम धन्यबाद ©Yogesh Kumar Mishra"yogi

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!!विचार कर्णिका!! किसी ने सही ही कहा है, कोई कितना अपना हो लेकिन पहले वो अपना देखते है, यह बात मुझे समय के साथ सिद्ध होती दिख रही है, खैर जब मार्ग पर चल पड़े है, तो फिर लक्ष्य को छोड़ कैसे सकते है, अपने अमित सामर्थ्य को कैसे निराश कर सकते है, क्योंकि वो पूर्ण सामर्थ्यशील है, और तय लक्ष्य को तो हमें ही पूरा करना है, बाकी तो तमाशबीन का झुंड है जहां पलड़ा भरी बस चल देगा, और थोड़ा परिश्रम सही क्योंकि स्वप्न हमारा है ना अपने लिए सबके लिए और देश के लिए... 🙂 बाकी तो don't worry bol hari योगेश कुमार मिश्र"योगी" ©Yogesh Kumar Mishra"yogi

#विचार #Thinking  !!विचार कर्णिका!! 
किसी ने सही ही कहा है, कोई कितना अपना हो लेकिन पहले वो अपना देखते है,
यह बात मुझे समय के साथ सिद्ध होती दिख रही है, खैर जब मार्ग पर चल पड़े है,
तो फिर लक्ष्य को छोड़ कैसे सकते है, अपने अमित सामर्थ्य को कैसे निराश कर सकते है, क्योंकि वो पूर्ण सामर्थ्यशील है, और तय लक्ष्य को तो हमें ही पूरा करना है, बाकी तो तमाशबीन का झुंड है जहां पलड़ा भरी बस चल देगा, और थोड़ा परिश्रम सही क्योंकि स्वप्न हमारा है ना अपने लिए सबके लिए और देश के लिए... 🙂
बाकी तो don't worry bol hari 
योगेश कुमार मिश्र"योगी"

©Yogesh Kumar Mishra"yogi

#Thinking

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।। विचार कर्णिका ।। आज कल संसार में यथार्त् का वातावरण भिन्न है, क्योंकि देखा जाए तो थोड़ी संवेदन शीलता तो है, किंतु उसका प्रतिस्थापन नहीं है। ये बहुत बड़ा दुखात विषय है, और होना भी चाहिए, किंतु क्या थोथी संवेदना से उसका दुःख कम हो सकता है या फिर उसके कष्ट का निवारण है, तो मुझे बताइए ताकि में भी यह अपना सकूं। यदि उसके साथ खड़े नहीं हो सकते तो अपनी थोड़ी संवेदना मत दीजिए, उससे तो वो यूं ही अच्छा है, खैर मानव की रीत मानव ही जाने... बाकी तो don't worry bol hari..... योगेश कुमार मिश्र"योगी" ©Yogesh Kumar Mishra"yogi

#हिंदी_साहित्यकार #हिंदी_साहित्य #विचार_कर्णिका #विचार  ।। विचार कर्णिका ।।
आज कल संसार में यथार्त् का वातावरण भिन्न है, क्योंकि देखा जाए तो थोड़ी संवेदन शीलता तो है, किंतु उसका प्रतिस्थापन नहीं है। ये बहुत बड़ा दुखात विषय है, और होना भी चाहिए, किंतु क्या थोथी संवेदना से उसका दुःख कम हो सकता है या फिर उसके कष्ट का निवारण है, तो मुझे बताइए ताकि में भी यह अपना सकूं। यदि उसके साथ खड़े नहीं हो सकते तो अपनी थोड़ी संवेदना मत दीजिए, उससे तो वो यूं ही अच्छा है, खैर मानव की रीत मानव ही जाने...
बाकी तो don't worry bol hari.....
योगेश कुमार मिश्र"योगी"

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।।विचार कर्णिका।। ये देश मेरा है, हमारा है, अपना है, कोई समझे ना समझे पर मैं ठीक से समझता हूं। क्योंकि इसके कण कण का मैं और मेरा परिवार ऋणी है, और हमारा कर्त्तव्य है, कि हम इसके लिए जिए। परंतु जो भारती के कार्य और राष्ट्रीय कार्य में बाधक होगा, वो उसी प्रकार के दंड का भागी भी होगा, अतः यह समझने की बात है, की हम भारत के भारत का कण कण हमारा है। जो साथ है उनका स्वागत है, जो नहीं है उन्हें भी प्रणाम है, लेकिन जो बाधक के रूप में आगे आएंगे तो उन्हें कठोर उत्तर तो मिलेगा, इतना वो समझले ... बाकी तो अब समझदार है समझ ही गए होंगे..... जय हो ... इसलिए don't worry bol hari योगेश कुमार मिश्र"योगी" ©Yogesh Kumar Mishra"yogi

#विचार #vande_mataram #hindi_vichar #SunSet  ।।विचार कर्णिका।।
ये देश मेरा है, हमारा है, अपना है, कोई समझे ना समझे पर मैं ठीक से समझता हूं।
क्योंकि इसके कण कण का मैं और मेरा परिवार ऋणी है, और हमारा कर्त्तव्य है, कि हम इसके लिए जिए। परंतु जो भारती के कार्य और राष्ट्रीय कार्य में बाधक होगा, वो उसी प्रकार के दंड का भागी भी होगा, अतः यह समझने की बात है, की हम भारत के भारत का कण कण हमारा है। जो साथ है उनका स्वागत है, जो नहीं है उन्हें भी प्रणाम है, लेकिन जो बाधक के रूप में आगे आएंगे तो उन्हें कठोर उत्तर तो मिलेगा, इतना वो समझले ... बाकी तो अब समझदार है समझ ही गए होंगे..... जय हो ...
इसलिए don't worry bol hari 
योगेश कुमार मिश्र"योगी"

©Yogesh Kumar Mishra"yogi

।।विचार कर्णिका।। देखा जाए तो विवेकी जीव बड़ा ही अविवेकी सा कभी कभी प्रतीत होता है, लगता है कभी कभी तो कि इस विवेकी जीव से अच्छे तो वो मूक अविवेकी जीव ठीक है, जिन्हे हम पशु कहते है। वो अवश्य संवेदना, भावना को समझता है। पर यह विवेकी मनुष्य अपने निज स्वार्थ तक ही सीमित रहता है, और उसे केवल अपनी भावनाएं, संवेदना की चिंता रहती है, अन्य की नहीं उसे तो अन्य की संवेदना, भावना बस बोझ ही लगती है। यही है संसार खैर स्वयं को तय करना है स्व निर्णय क्या रखना है। बस सोचना स्वयं को है की हम विवेक जीव जो मनुष्य है तो वैसा बने या हम निष्प्राण निर्जीव व्यक्ति यदि ये समझने में हम असमर्थ है तो फिर हम विवेकी जीव से तो अविवेकी जीव जिसे पशु कहते है वो ठीक है। बाकी आप सब समझदार है ही... इसलिए.... don't worry bol hari 😀😀😀 योगेश कुमार मिश्र"योगी" ©Yogesh Kumar Mishra"yogi

 ।।विचार कर्णिका।।
देखा जाए तो विवेकी जीव बड़ा ही अविवेकी सा कभी कभी प्रतीत होता है, लगता है कभी कभी तो कि इस विवेकी जीव से अच्छे तो वो मूक अविवेकी जीव ठीक है, जिन्हे हम पशु कहते है। वो अवश्य संवेदना, भावना को समझता है। पर यह विवेकी मनुष्य अपने निज स्वार्थ तक ही सीमित रहता है, और उसे केवल अपनी भावनाएं, संवेदना की चिंता रहती है, अन्य की नहीं उसे तो अन्य की संवेदना, भावना बस बोझ ही लगती है। यही है संसार खैर स्वयं को तय करना है स्व निर्णय क्या रखना है।
बस सोचना स्वयं को है की हम विवेक जीव जो मनुष्य है तो वैसा बने या हम निष्प्राण निर्जीव व्यक्ति यदि ये समझने में हम असमर्थ है तो फिर हम विवेकी जीव से तो अविवेकी जीव जिसे पशु कहते है वो ठीक है।
बाकी आप सब समझदार है ही...
इसलिए.... don't worry bol hari 😀😀😀
योगेश कुमार मिश्र"योगी"

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#विचार #हिन्दीसाहित्य #युवासाहित्यकार #findyourself

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पंच प्रण दीप प्रज्ज्वलित राष्ट्र के लिए... एक प्रण दीप राष्ट्र के लिए... एक प्रण दीप समाज के लिए... एक प्रण दीप असक्षम को सक्षम बनाने के लिए... एक प्रण दीप धर्म और संस्कृति के लिए... एक प्रण दीप स्वदेशी को अग्रेसर करने के लिए... आओ सभी देशवासी मिलकर देश को समुत्कर्ष और निश्रेयस बनाए... आप सभी को पंच दिनोत्सव के महापर्व की अनंत कोटि कोटि शुभकामनाएं एवम् बधाई...🙏🙏🙏 आपका ही योगेश कुमार मिश्र"योगी" कार्यकारी प्रमुख एवम् युवा साहित्यकार भारत समुत्कर्ष निश्रेयस कृषि प्रा. लि. ©Yogesh Kumar Mishra"yogi

#विचार #Diwali #BSNAPL  पंच प्रण दीप प्रज्ज्वलित राष्ट्र के लिए...
एक प्रण दीप राष्ट्र के लिए...
एक प्रण दीप समाज के लिए...
एक प्रण दीप असक्षम को सक्षम बनाने के लिए...
एक प्रण दीप धर्म और संस्कृति के लिए...
एक प्रण दीप स्वदेशी को अग्रेसर करने के लिए...
आओ सभी देशवासी मिलकर देश को समुत्कर्ष और निश्रेयस बनाए...

आप सभी को पंच दिनोत्सव के महापर्व की अनंत कोटि कोटि शुभकामनाएं  एवम् बधाई...🙏🙏🙏






आपका ही 
योगेश कुमार मिश्र"योगी"
कार्यकारी प्रमुख एवम् युवा साहित्यकार
भारत समुत्कर्ष निश्रेयस कृषि प्रा. लि.

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