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संघर्ष का नारा ही "जय भीम" हैं हैं सबसे बुलंद जो आवाज वो "जय भीम" हैं क्रांति की मशाल ही "जय भीम" हैं हैं अकेले हजारों से टकराने का जो जज्बा दिल में वो "जय भीम" हैं दुसरो के लिए लढने की ताकत ही "जय भीम" हैं है डरते जो सिर्फ सुनकर वो नाम "जय भीम" हैं समानता, स्वतंत्रता और न्याय की पहचान ही "जय भीम" हैं हैं हक - अधिकारो के लिए जो हर मोड पर खडा़ वो "जय भीम" हैं जिसकी शिक्षा से हुआ परिवर्तन वो "जय भीम" हैं ✍✍✍प्रवीन फुलझेले ©pravin fulzele

#thankyouBabasaheb #jaibhim  संघर्ष का नारा ही "जय भीम" हैं
हैं सबसे बुलंद जो आवाज वो "जय भीम" हैं
क्रांति की मशाल ही "जय भीम" हैं
हैं अकेले हजारों से टकराने का जो जज्बा दिल में वो "जय भीम" हैं
दुसरो के लिए लढने की ताकत ही "जय भीम" हैं
है डरते जो सिर्फ सुनकर वो नाम "जय भीम" हैं
समानता, स्वतंत्रता और न्याय की पहचान ही "जय भीम" हैं
हैं हक - अधिकारो के लिए जो हर मोड पर खडा़ वो "जय भीम" हैं
जिसकी शिक्षा से हुआ परिवर्तन वो "जय भीम" हैं

✍✍✍प्रवीन फुलझेले

©pravin fulzele

संघर्ष का नारा ही "जय भीम" हैं हैं सबसे बुलंद जो आवाज वो "जय भीम" हैं क्रांति की मशाल ही "जय भीम" हैं हैं अकेले हजारों से टकराने का जो जज्बा दिल में वो "जय भीम" हैं दुसरो के लिए लढने की ताकत ही "जय भीम" हैं है डरते जो सिर्फ सुनकर वो नाम "जय भीम" हैं समानता, स्वतंत्रता और न्याय की पहचान ही "जय भीम" हैं हैं हक - अधिकारो के लिए जो हर मोड पर खडा़ वो "जय भीम" हैं ✍✍✍प्रवीन फुलझेले ©pravin fulzele

 संघर्ष का नारा ही "जय भीम" हैं

हैं सबसे बुलंद जो आवाज वो "जय भीम" हैं

क्रांति की मशाल ही "जय भीम" हैं

हैं अकेले हजारों से टकराने का जो जज्बा दिल में वो "जय भीम" हैं

दुसरो के लिए लढने की ताकत ही "जय भीम" हैं

है डरते जो सिर्फ सुनकर वो नाम "जय भीम" हैं

समानता, स्वतंत्रता और न्याय की पहचान ही "जय भीम" हैं

हैं हक - अधिकारो के लिए जो हर मोड पर खडा़ वो "जय भीम" हैं

✍✍✍प्रवीन फुलझेले

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जय भीम

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सूरज की किरण ओझल होने लगी हैं हवायें मगरूर होकर बहने लगी हैं महक मिट्टी की अब आने लगी हैं लगता हैं शहर में बरसात होने लगी हैं बादलों की लुकाछिपी होने लगी हैं दिन में भी रात सी होने लगी हैं शोला बनकर बिजलियाँ गिरने लगी हैं लगता हैं शहर में बरसात होने लगी हैं हलचल दिल में होने लगी हैं धड़कन मेरी बढ़ने लगी हैं याद मुझे तेरी आने लगी हैं लगता हैं शहर में बरसात होने लगी हैं ✍✍प्रवीन देवचंद फुलझेले ©pravin fulzele

#RAIN_VECTOR  सूरज की किरण ओझल होने लगी हैं
हवायें मगरूर होकर बहने लगी हैं
महक मिट्टी की अब आने लगी हैं
लगता हैं शहर में बरसात होने लगी हैं

बादलों की लुकाछिपी होने लगी हैं
दिन में भी रात सी होने लगी हैं
शोला बनकर बिजलियाँ गिरने लगी हैं
लगता हैं शहर में बरसात होने लगी हैं

हलचल दिल में होने लगी हैं
धड़कन मेरी बढ़ने लगी हैं
याद मुझे तेरी आने लगी हैं 
लगता हैं शहर में बरसात होने लगी हैं

✍✍प्रवीन देवचंद फुलझेले

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#MaiTumRain

#MaiTumRain

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Alone भीमा तुझ्या मताचे भीमा तुझ्या मताचे जर पाच लोक असते तलवारीचे तयाचे न्यारेच टोक असते. वाणीत भीम आहे, करणीत भीम असता वर्तन तुझ्या पिलांचे सारेच चोख असते. गोळी खुशाल घाला फाशी खुशाल द्यारे खोटे इथे खऱ्‍याचे दुसरेच टोक असते. तत्वाची जाण असती, बिनडोक लोक नसते सारे चलन तयांचे ते रोखठोक असते. सदभाव एकतेचे जर अंतरात असते चुकले कुणीही नसते सारेच एक असते. वामन समान सारे स्वार्थाने अंध नसते तुझिया क्रुतिप्रमाणे सारेच नेक असते - लोकशाहीर वामनदादा कर्डक ©pravin fulzele

#alone  Alone  भीमा तुझ्या मताचे

भीमा तुझ्या मताचे जर पाच लोक असते
तलवारीचे तयाचे न्यारेच टोक असते.

वाणीत भीम आहे, करणीत भीम असता
वर्तन तुझ्या पिलांचे सारेच चोख असते.

गोळी खुशाल घाला फाशी खुशाल द्यारे
खोटे इथे खऱ्‍याचे दुसरेच टोक असते.

तत्वाची जाण असती, बिनडोक लोक नसते
सारे चलन तयांचे ते रोखठोक असते.

सदभाव एकतेचे जर अंतरात असते
चुकले कुणीही नसते सारेच एक असते.

वामन समान सारे स्वार्थाने अंध नसते
तुझिया क्रुतिप्रमाणे सारेच नेक असते

                 - लोकशाहीर वामनदादा कर्डक

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#alone

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चल पडे हैं रास्तो पर बढ रहा ये कारवां सम्भाल ले तु सम्भाल ले की जल रही हैं आग जो कर रही हैं रोशनी जगाने के लिए चल पडे हैं रास्तो पर बढ़ रहा ये कारवां थामले तु थामले की उठ रहे हैं हाथ जो बंध रही हैं मुठ्ठियाँ संघर्ष करने के लिए चल पडे हैं रास्तो पर बढ़ रहा ये कारवां एक हो तु एक हो की लड रहे हैं लोग जो मिल रहें हैं एक सुर स्वाभिमान के लिए चल पडे हैं रास्तो पर बढ रहा ये कारवां साथ चल तु साथ चल की आ रहे है अन्याय के विरूद्ध जो कर रहे हैं क्रांतियाँ जम्हूरियत के लिए चल पडे हैं रास्तो पर बढ रहा ये कारवां साक्षी बन तु साक्षी बन की रच रहा है इतिहास जो हो रहा है बदलाव इन्सानियत के लिए चल पडे हैं रास्तो पर बढ रहा ये कारवां चल पडे हैं रास्तो पर बढ रहा ये कारवां ©pravin fulzele

#revolution  चल पडे हैं रास्तो पर
बढ रहा ये कारवां

सम्भाल ले तु सम्भाल ले
की जल रही हैं आग जो
कर रही हैं रोशनी
जगाने के लिए
चल पडे हैं रास्तो पर
बढ़ रहा ये कारवां

थामले तु थामले
की उठ रहे हैं हाथ जो
बंध रही हैं मुठ्ठियाँ 
संघर्ष करने के लिए
चल पडे हैं रास्तो पर
बढ़ रहा ये कारवां

एक हो तु एक हो
की लड रहे हैं लोग जो
मिल रहें हैं एक सुर
स्वाभिमान के लिए
चल पडे हैं रास्तो पर
बढ रहा ये कारवां

साथ चल तु साथ चल
की आ रहे है अन्याय के विरूद्ध जो
कर रहे हैं क्रांतियाँ
जम्हूरियत के लिए
चल पडे हैं रास्तो पर
बढ रहा ये कारवां

साक्षी बन तु साक्षी बन
की रच रहा है इतिहास जो
हो रहा है बदलाव
इन्सानियत के लिए
चल पडे हैं रास्तो पर
बढ रहा ये कारवां

चल पडे हैं रास्तो पर
बढ रहा ये कारवां

©pravin fulzele
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