तुम्हें जो चाहत में देखा तो ख़ुदा सी तुम बन हुई प्रिये
तुम्हें जो परखा साथ देने में तो तुम बनी श्री कृष्ण प्रिये
तुम्हें जो देखा हर नज़र से मैंने मन मंदिर में तुम बसी प्रिये
तुम्हें जो देखा ममता में तोह सबसे अव्वल तुम बनी प्रिये
ना सोचो तुम कि तुम्हें हम याद आये
बस जाए दिल में हम तुम्हें बेहतर सताये
परेशा हो तुम, हम परेशानी बन जाए
शिद्दत इतनी की बिन हमारे तुम्हें भी कभी चैन ना आए
एक अरसा बीत गया भूलने में किसी को
एक शिद्दत लगी पास बुलाने में किसी को
लगी एक ज़िंदगी खड़े होने में ख़ुद के
लगी एक ज़िंदगी साथ चलाने में किसी को
ये तुम हो तो में जी भी रहा हूँ
वरना लगता क्या हे सासें मिटा देने को॥
Poetry is the free form of human being.
Each person looks at it with his own unique perspective.
One poem or sher is equal to infinite horses of each sense any human being have.
#Freedom#yqaestheticthoughts
#love
#shayari
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ना सर्दियों की अकड़ मुझमें
ना गर्मियों में गर्म होता हूँ में
जुड़ा हूँ ज़मीन से अपनी
माँ के पैरो में सोता हूँ में ॥
किसी व्यक्ति की उचाईयों पर पोहचने का अंदाज़ा उसके छोटे छोटे क्षणौ के प्रति विचारधाराओ से किया जा सकता हे।
व्यक्ति की विचारधारा उसके बड़े या छोटे होने का संदेश देती है॥
उपरोक्त पंक्तियाँ अक्स कहना चाहते हैं कि
न सर्दियों सी अकड़ है मुझमें न गर्मियों से गर्माहट है मिज़ाज़ में मेरे
मैं ज़मीन से जुड़ा एक गाँव का आम व्यक्ति हूँ और अपनी माँ के कदमों में ही उनके पैर दबाता हुआ सो जाता हूँ ॥
यही मेरे लिये स्वर्ग हे😇😇✍🏻
#deepredsea
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ये ख़ुशबू मिट्टी की हे इसमें उसका कोई स्पर्श नही
इस ख़ुशबू को मेरी ख़ातिर
फिर क्यों ना पहचाने तू ..!!
दिल क्यों बात ना माने तू ?
दिल क्यों बात न माने तू...
यह प्रेमी प्रेमिका कि अलग होने केआगे की कहानी हे
जिस्म प्रेमी चलती हुई हवाओं में अपनी प्रेमिका की सोंधी-सोंधी सी ख़ुशबू को महसूस करता हे
पर वहअपने दिल को समझता हे कि नहीं
यह बरसात कि बाद गीली हुई मिट्टी की सी ख़ुशबू हे
और अपने दिल ओ दिमाग़ पर ज़ोर दे कर उसे अपने दर्द से दूर ले जाने का प्रयास करता हे
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