ये *पासे*
सबके पास होते हैं
सब जुआ भी खेलते हैं
भाव, भावनाएं, मन
सब दांव पे लगा
अहम का हाथ पकड़े
देते सब कुछ भुला
आत्मा भी दांव पे लगा
हम जुआ खेलते हैं
जीत के लिए सब
दांवपेंच अपनाते
स्वयं ऊंचा उठने को
सबको नीचा दिखाते
अंतरात्मा से कृष्ण
सब देख मुस्काते
उन्हें वही अनदेखा कर
हम मंदिर जाते
और मांगते क्या?
मुझे विजय का वर दो
अब सोचो
कर्म के *पासे* जो तुमने खेले
विजयी हो पाओगे?
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