कुंदन

कुंदन Lives in Gandhinagar, Gujarat, India

काव्य और हिंदी साहित्य के प्रति घोर निष्ठावान... “हम बाहरी दुनिया में तब तक शांति नहीं पा सकते हैं जब तक कि हम अन्दर से शांत न हों।”

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कुछ तो तेरे मौसम ही मुझे रास न आये , और कुछ मेरी मिट्टी में बगावत भी बहुत थी। ©कुंदन

#विचार #Shayar #Mic  कुछ तो तेरे मौसम ही मुझे रास न आये ,
और कुछ मेरी मिट्टी में बगावत भी बहुत थी।

©कुंदन

#Shayar #Mic

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जिनके आँगन में अमीरी का शहर बसता है , उनका हर ऐब भी जमाने को हुनर लगता है । ©कुंदन

#विचार #Nature #Shayar #Dil  जिनके आँगन में अमीरी का शहर बसता है ,
उनका हर ऐब भी जमाने को हुनर लगता है ।

©कुंदन

कोई कांटा, कोई पत्थर नही है, फिर तू सीधे रस्ते पे नही है । मैं इस दुनिया के अन्दर रह रहा हूँ, ये दुनिया मेरे अन्दर नही हैं ।। ©कुंदन

#विचार #safarnama #Jindagi  कोई कांटा, कोई पत्थर नही है,
फिर तू सीधे रस्ते पे नही है ।
मैं इस दुनिया के अन्दर रह रहा हूँ,
ये दुनिया मेरे अन्दर नही हैं ।।

©कुंदन

साँस भी एक ...नही है तेरे बस में , फिर ये जिंदगी तेरा गुरूर कैसा है । ©कुंदन

#विचार #booklover  साँस भी एक ...नही है तेरे बस में ,
फिर ये जिंदगी तेरा गुरूर कैसा है ।

©कुंदन

#booklover

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इतने खामोश भी रहा न करो  गम जुदाई में यूं किया न करो  ख्वाब होते हैं देखने के लिए  उनमें जा कर मगर रहा न करो  कुछ न होगा गिला भी करने से  जालिमों से गिला किया न करो अपने रुत्बे का करो कुछ लिहाज यार सब को बना लिया न करो ©कुंदन

#शायरी #booklover #Trending  इतने खामोश भी रहा न करो 
गम जुदाई में यूं किया न करो 

ख्वाब होते हैं देखने के लिए 
उनमें जा कर मगर रहा न करो 

कुछ न होगा गिला भी करने से 
जालिमों से गिला किया न करो

अपने रुत्बे का करो कुछ लिहाज 
यार सब को बना लिया न करो

©कुंदन

खुलकर हँसती औरतें खुलकर रोता आदमी बेशक कलियुग की दो सहेजने वाली बातें हैं ©पिंकू कुमार झा

#विचार #AkelaMann  खुलकर हँसती औरतें

खुलकर रोता आदमी

बेशक कलियुग की

दो सहेजने वाली बातें हैं

©पिंकू कुमार झा

#AkelaMann

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