Tahir Usta

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#विचार

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झुकना सब चाहते है। एक दूसरे को , झुकना कोई भी नही चाहता है। मगर जनाब झुकता वही जिसमे जान होती है। अकड़ना तो मुर्दे की पहचान होती। जिस पेड़ पर फल लग जाता है वो झुक जाता है। ©Tahir Usta

#शायरी  झुकना सब चाहते है। 
एक दूसरे को ,
झुकना कोई भी नही चाहता है। 
मगर जनाब झुकता वही जिसमे 
जान होती है। 
अकड़ना तो मुर्दे की पहचान होती।  
जिस पेड़ पर फल लग जाता है 
वो झुक जाता है।

©Tahir Usta

झुकना सब चाहते है। एक दूसरे को , झुकना कोई भी नही चाहता है। मगर जनाब झुकता वही जिसमे जान होती है। अकड़ना तो मुर्दे की पहचान होती। जिस पेड़ पर फल लग जाता है वो झुक जाता है। ©Tahir Usta

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#hindi_poem_appreciation #कोट्स  White मैं इक तरफ फैसला लु कैसे 
इसी उलझन में हूं
इक बाब तुलिए है। 
इक बाजू मेरा,
इस उलजान से कोई निकले मुझे 
एमौला दोनो को तोफिक दे।

©Tahir Usta
#hindi_poem_appreciation #शायरी  White कल जो मैं निकला अपना थैला उठाकर ,
बाजार को ,सोचा कुछ सुकून के पल खरीद लूं, बाजार से। 
पैसा बहुत था ,जेब में मेरी। 
सौदा हो ही चुका tha  बाजार में 
कमबख्त किसी ने जेब ही काट ली बाजार में।

©Tahir Usta
#hindi_poem_appreciation #शायरी  White कुछ तो है, कुछ तो है,
उन की जुबा पे जब भी मेरा नाम आता है।  
कुछ उनके होटों  पे कंपन सी होती है। 
कुछ रुक जाता है।

©Tahir Usta
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