मेरी प्यारी कविता, आँखो में नई चमक,
सुबह से चमक रही थीं ।
चिडियाँ की गूँज,
आसमा मे गूँज रही थी ।
माँ की बिटियाँ,
नखरे दिखा रही थी ।
पापा के साथ,
कुछ पल जी रही थी ।
जिद्द अपनी मनबाकर,
खुश हो रही थीं ।
कल क्या होगा,
किसे पता है यारा।
मैं आज में जी कर ,
कल की तस्वीर बना रही थी।
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