वो दरवाजे पर खड़ी थी,,,
मैं खिड़की के पास खड़ा था..
फासले कम थे खिड़की _दरवाजे के,,
मगर दिल भी अपनी ज़िद अरा था...
@awara_shayer_
निगाहें मिल रही थी दोनों कि,,,
दिलों के मिलने में फासला बड़ा था...
फिर हुआ यूं कुछ के,वक़्त गुजरता गया,
फासला बढ़ता गया...
वो दरवाजे पर खड़ी रही, मैं खिड़की पर खड़ा रहा...
बात पहले कौन करें,
यही सोचकर खड़ा रहा....
वो शर्माती रही , मै डरता रहा,,
वो दरवाजे पर खड़ी रही , मै खिड़की पर खड़ा रहा.....
मै इज़हार करने से डरता रहा,
वो भी इकरार से डरती रही....
मुहब्बत ऑर भी बढ़ती रही,,
वो दरवाजे पर खड़ी रही , मै खिड़की पर खड़ा रहा....
दिलों में उनके खुमार बढ़ता रहा,
दरमियान उनके इंतजार बढ़ता रहा....
सिलसिला यूंही चलता रहा,,,
वो दरवाजे पर खड़ी रही, मै खिड़की पर खड़ा रहा....
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