Reena Lawaniya

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पाँव का चूमा लेत निपूता #अमीर खुसरो#मुकरियाँ

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#माखनलालचतुर्वेदी #कविता

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#अमृत प्रीतम#शायरी

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बेइंतहा मुहब्बत   हेलो दोस्तों! मेरा नाम रीना  है। ये मेरी पहली कहानी हैं। मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी बेहद पसंद आएगी। ‘बेइंतहा मुहब्बत’ एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसने कड़ी मेहनत से मुश्किलों को पार करते हुए अपने प्यार को हासिल किया। कौन-कौन से इम्तिहान लेगी यह मुहब्बत? किस-किस मोड़ से गुजरेगी? जानने के लिए पढ़नी होगी आपको ‘बेइंतहा मुहब्बत’:   पार्ट1 निशा… निशा… उठ जा बेटी। तुझे कॉलेज भी जाना है।   निशा ने अंगड़ाई लेते हुए कहा: हां, माँ उठ रही हूँ।   माँ:  चल उठ जा और जल्दी तैयार होकर नीचे आजा। नाश्ता तैयार है।   निशा तैयार होकर नीचे पहुंची। वहां पापा पहले से डाइनिंग टेबल पर इंतजार कर रहे थे। गुड मॉर्निंग पापा।   गुड मॉर्निंग लाडो।  निशा के पापा उसे हमेशा लाडो ही बुलाते हैं।   निशा ने पापा के साथ नाश्ता किया और कॉलेज के लिए निकल गई। कॉलेज पहुँचते ही अपनी बचपन की दोस्त और क्लासमेट अंजलि से मिली।   अंजलि: (हाथ हिलाते हुए) हाय निशा।   निशा (अंजलि के गले लगते हुए) हाय अंजलि।   बस फिर शुरू होती है दोस्तों की कभी न खत्म होने वाली मस्ती। अंजलि (निशा को छेड़ते हुए) कैसी है हीरोइन? बड़ी मस्त लग रही है… आज किस को मारने का इरादा है?   निशा (मस्ती में): तुझे।   फिर दोनों खिल खिला कर हँसती हैं। और क्लास की ओर चल देती हैं। लेक्चर पर लेक्चर अटैंड कर। शाम को दोनों सहेलियां अपने अपने घर चली गईं। निशा ने घर के दरवाजे पर जा कर डोर बैल बजाई।    निशा की माँ (चिल्लाते हुए): आ रही हूँ।   निशा ने घर में घुसते ही रोज की तरह मां से कहा, माँ  बहुत भूख लगी है। कुछ खाने के लिए दो ना।   माँ (हां में सिर हिलाते हुए ): जा तू फ्रेश हो जा। मैं झट से तेरे लिए चाय-पकौड़े लेकर आती  हूँ।   फ्रेश होकर। कुछ खाया ही था कि रेस्ट का मन होने लगा। वो जाकर अपने रूम में लेट गई। न जाने कब उसकी आंख लग गई। पता ही नहीं चला। उठी तो देख शाम के 6:00 बज चुके थे।   निशा (सोचते हुए): अब जब नींद भी पूरी हो गई है, तो क्यों ना पढ़ ही लिया जाए। एक घंटा पढ़ने के बाद नीचे गई। चाय बनाकर पीना शुरू ही किया था कि पापा ऑफिस से आ गए।   उसके पापा बहुत ही शांत नेचर के हैं, तो उन दोनों में ज्यादा बात नहीं होती। थोड़ी बहुत बात की और फिर अपनी दोस्त अंजलि को फ़ोन लगाया। दोनों ने खूब बातें की। जब निगाह घड़ी पर गई, तो होश आया कि एक घंटे से ज्यादा बीत गया।   निशा (अंजलि से ) : चल ठीक है। अब कल कॉलेज में मिलते हैं।   अंजलि (निशा से ) : हां, ठीक है। कल मिलते हैं।   निशा: बाय   अंजलि : बाय बाय    निशा  अगले दिन के लेक्चर के लिए पढ़ने बैठ गयी। सूरज ड़ूब चुका था। अंधेरे ने अपने पैर फैला दिए थे। अब निशा को पढ़ते-पढते बोरियत सी होने लगी थी। तो मोबाइल उठाया और गाने सुनने लगी। थोड़ी ही देर में मां ने खाने के लिए आवाज लगा दी।   खाना खाने के काफी देर बाद भी दिन में सो लेने की वजह से उसे आज नींद नहीं आ रही थी, तो फ़ोन में स्क्रॉलिंग और सर्फिंग शुरू की। इसने स्लीपिंग पिल का काम किया। थोड़ी देर बाद ही उसे नींद आने लगी। मोबाइल को साइड में रख सो गई, तो सुबह सीधे 6:30 बजे आंख खुली। रुटीन टाइम से पूरे आधे घंटे लेट। हड़बड़ी में कॉलेज के बिना नाश्ता किए ही निकल गई।   जैसे तैसे दौड़ते-भागते कॉलेज पहुँची। दौड़ी-दौड़ी क्लास में जा ही रही थी कि रणवीर से जा टकराई। रणवीर निशा का क्लासमेट है। रणवीर (निशा को गिरने से बचते  हुए): अरे मोहतरमा! कहाँ ऐसे एक्सप्रेस की तरह भागी जा रही हो।   निशा: सॉरी वो क्लास स्टार्ट हो गयी? अरे आज मैं लेट हो गयी। इसलिए भागी जा रही हूं।   रणवीर (निशाको रोकते हुए) : अरे रुको मोहतरमा, जरा सांस ले लो। आज सर नही आए हैं।     निशा (खुश होते हुए ): क्या सच में?   रणवीर (जवाब देते हुए ): हा मोहतरमा, आप लेट होकर भी टाइम पर हैं।   निशा (रणवीर से गुस्से): क्या मोहतरमा मोहतरमा लगा रखा है? मेरा नाम निशा है समझे।   रणवीर (निशा का गुस्सा शांत करते हुए): अच्छा सॉरी निशा जी। अब  हम आपको निशा ही बोलेंगे ठीक है।   निशा: हम्म ठीक है।   फिर दोनों क्लास में चले जाते हैं। क्लास में जाते ही अंजलि निशा के पास आती है और पूछती है हीरोइन आज कैसे लेट हो गयी?   निशा : कल शाम को सो गई थी, तो यार आज आँख देर से खुली।   अंजलि: चल कोई नहीं, सर भी नहीं आए।   दोनों वहीं बैठकर उसी सब्जेक्ट के डाउट क्लियर करने लगती हैं। उधर रणवीर निशा को निहारे ही जा रहा था। उसकी नजरें निशा से हट ही नहीं रही थीं। यूं तो निशा रोज ही सुंदर लगती है, लेकिन आज कुछ ज्यादा ही सुंदर दिख रही थी। पूरी क्लास का पढ़ने और रणवीर का पूरा दिन निशा को निहारने में बीत गया। वह उसे इतनी शिद्दत से देख रहा था कि उसे पता ही नहीं चला कब लास्ट लेक्चर हो गया। निशा ओर अंजलि भी कॉलेज से निकल ही रहे थे कि सामने से रणवीर आ गया।   रणवीर (दोनों को रोकते हुए): हाय घर जा रही हो तुम दोनों।   अंजलि (रणवीर को चिढ़ाते हुए) : नहीं जी हम तो पिकनिक पर जा रहे हैं। आप चलोगे?   रणवीर (झूठी हँसी हँसते हुए): हा हा हा, वेरी फनी।   अंजलि दोबारा बोलने को होती है कि तभी निशा उसे रोक देती है।   निशा (अंजलि से) : अंजलि चलें? देर हो रही है। माँ इंतजार कर रही होंगी।   अंजलि (निशा से): हां, निशा चल  काफी देर हो गयी है।   दोनों रणवीर को बाय बोलकर वहाँ से चल देती हैं। लेकिन रणवीर घर जाकर भी मानो जा नहीं पाता। अगले दिन जैसे ही निशा कॉलेज पहुँचती है, तो वह उसके पास आ जाता है।   रणवीर (निशा की तरफ हाथ बढ़ाते हुए ): हेलो निशा। कैसी हो?   निशा (भी हाथ मिलाते हुए ): हेलो रणवीर। मैं ठीक हूं। तुम बताओ?   रणवीर: मैं भी ठीक हूं। कहकर शांत हो जाता है।   निशा (रणवीर की चुप्पी को देखते हुए): क्या हुआ रणवीर? अचानक शांत क्यों हो गए? कुछ बोलने चाहते हो?   रणवीर (झिझकते हुए ): हां, वो निशा… मैं वो…।   निशा (रणवीर का हाथ पकड़ते हुए ): क्या बात है रणवीर बड़े परेशान लग रहे हो।   रणवीर (लंबी सांस लेते हुए) : निशा, क्या हम दोस्त बन सकते हैं?   निशा (मुस्कुराते हुए): बस इतनी सी बात को बोलने में तुम इतना डर रहे थे।   रणवीर:  हां यार मुझे डर गल रहा था कि कहीं तुम बुर न मन जाओ क्योंकि मैंने तुम्हें किसी लड़के से कभी बात करते हुए नहीं देखा। करती भी हो तो सिर्फ काम से काम।   निशा:  हाँ, ये तो है। मगर तुम और लड़को की तरह नहीं हो।    रणवीर (निशा की तरफ हाथ बढ़ाते हुए):  तो फ्रेंड्स    निशा (भी सेम वैसे ही): अफकोर्स।   थोड़े ही समय में दोनों गहरे दोस्त बन जाते हैं। दोनों की दोस्ती इस हद तक बढ़ गई कि  कॉलेज में हमेशा साथ दिखते। घर जाकर भी फोन पर घंटों बतियाते। एक साथ घूमने जाते। शायद दोस्ती से भी कुछ ज्यादा था दोनों में। इस बात को दोनों बखूबी जानते थे पर कहने से डरते थे। अगर दूसरे को बुरा लग गया तो? खैर चलो देखते हैं कि ये दोनों अपने प्यार का इजहार करेंगे या नहीं? कौन पहले बोलेगा? जानने के लिए पढ़िए कहानी ‘बेइंतहा मुहब्बत’ का दूसरा भाग। ©Reena Lawaniya

#story  बेइंतहा मुहब्बत
 
हेलो दोस्तों! मेरा नाम रीना  है। ये मेरी पहली कहानी हैं। मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी बेहद पसंद आएगी। ‘बेइंतहा मुहब्बत’ एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसने कड़ी मेहनत से मुश्किलों को पार करते हुए अपने प्यार को हासिल किया। कौन-कौन से इम्तिहान लेगी यह मुहब्बत? किस-किस मोड़ से गुजरेगी? जानने के लिए पढ़नी होगी आपको ‘बेइंतहा मुहब्बत’:
 
पार्ट1
निशा… निशा… उठ जा बेटी। तुझे कॉलेज भी जाना है।
 
निशा ने अंगड़ाई लेते हुए कहा: हां, माँ उठ रही हूँ।
 
माँ:  चल उठ जा और जल्दी तैयार होकर नीचे आजा। नाश्ता तैयार है।
 
निशा तैयार होकर नीचे पहुंची। वहां पापा पहले से डाइनिंग टेबल पर इंतजार कर रहे थे। गुड मॉर्निंग पापा।
 
गुड मॉर्निंग लाडो।  निशा के पापा उसे हमेशा लाडो ही बुलाते हैं।
 
निशा ने पापा के साथ नाश्ता किया और कॉलेज के लिए निकल गई। कॉलेज पहुँचते ही अपनी बचपन की दोस्त और क्लासमेट अंजलि से मिली।
 
अंजलि: (हाथ हिलाते हुए) हाय निशा।
 
निशा (अंजलि के गले लगते हुए) हाय अंजलि।
 
बस फिर शुरू होती है दोस्तों की कभी न खत्म होने वाली मस्ती। अंजलि (निशा को छेड़ते हुए) कैसी है हीरोइन? बड़ी मस्त लग रही है… आज किस को मारने का इरादा है?
 
निशा (मस्ती में): तुझे।
 
फिर दोनों खिल खिला कर हँसती हैं। और क्लास की ओर चल देती हैं। लेक्चर पर लेक्चर अटैंड कर। शाम को दोनों सहेलियां अपने अपने घर चली गईं। निशा ने घर के दरवाजे पर जा कर डोर बैल बजाई। 
 
निशा की माँ (चिल्लाते हुए): आ रही हूँ।
 
निशा ने घर में घुसते ही रोज की तरह मां से कहा, माँ  बहुत भूख लगी है। कुछ खाने के लिए दो ना।
 
माँ (हां में सिर हिलाते हुए ): जा तू फ्रेश हो जा। मैं झट से तेरे लिए चाय-पकौड़े लेकर आती  हूँ।
 
फ्रेश होकर। कुछ खाया ही था कि रेस्ट का मन होने लगा। वो जाकर अपने रूम में लेट गई। न जाने कब उसकी आंख लग गई। पता ही नहीं चला। उठी तो देख शाम के 6:00 बज चुके थे।
 
निशा (सोचते हुए): अब जब नींद भी पूरी हो गई है, तो क्यों ना पढ़ ही लिया जाए। एक घंटा पढ़ने के बाद नीचे गई। चाय बनाकर पीना शुरू ही किया था कि पापा ऑफिस से आ गए।
 
उसके पापा बहुत ही शांत नेचर के हैं, तो उन दोनों में ज्यादा बात नहीं होती। थोड़ी बहुत बात की और फिर अपनी दोस्त अंजलि को फ़ोन लगाया। दोनों ने खूब बातें की। जब निगाह घड़ी पर गई, तो होश आया कि एक घंटे से ज्यादा बीत गया।
 
निशा (अंजलि से ) : चल ठीक है। अब कल कॉलेज में मिलते हैं।
 
अंजलि (निशा से ) : हां, ठीक है। कल मिलते हैं।
 
निशा: बाय
 
अंजलि : बाय बाय 
 
निशा  अगले दिन के लेक्चर के लिए पढ़ने बैठ गयी। सूरज ड़ूब चुका था। अंधेरे ने अपने पैर फैला दिए थे। अब निशा को पढ़ते-पढते बोरियत सी होने लगी थी। तो मोबाइल उठाया और गाने सुनने लगी। थोड़ी ही देर में मां ने खाने के लिए आवाज लगा दी।
 
खाना खाने के काफी देर बाद भी दिन में सो लेने की वजह से उसे आज नींद नहीं आ रही थी, तो फ़ोन में स्क्रॉलिंग और सर्फिंग शुरू की। इसने स्लीपिंग पिल का काम किया। थोड़ी देर बाद ही उसे नींद आने लगी। मोबाइल को साइड में रख सो गई, तो सुबह सीधे 6:30 बजे आंख खुली। रुटीन टाइम से पूरे आधे घंटे लेट। हड़बड़ी में कॉलेज के बिना नाश्ता किए ही निकल गई।
 
जैसे तैसे दौड़ते-भागते कॉलेज पहुँची। दौड़ी-दौड़ी क्लास में जा ही रही थी कि रणवीर से जा टकराई। रणवीर निशा का क्लासमेट है।
रणवीर (निशा को गिरने से बचते  हुए): अरे मोहतरमा! कहाँ ऐसे एक्सप्रेस की तरह भागी जा रही हो।
 
निशा: सॉरी वो क्लास स्टार्ट हो गयी? अरे आज मैं लेट हो गयी। इसलिए भागी जा रही हूं।
 
रणवीर (निशाको रोकते हुए) : अरे रुको मोहतरमा, जरा सांस ले लो। आज सर नही आए हैं।  
 
निशा (खुश होते हुए ): क्या सच में?
 
रणवीर (जवाब देते हुए ): हा मोहतरमा, आप लेट होकर भी टाइम पर हैं।
 
निशा (रणवीर से गुस्से): क्या मोहतरमा मोहतरमा लगा रखा है? मेरा नाम निशा है समझे।
 
रणवीर (निशा का गुस्सा शांत करते हुए): अच्छा सॉरी निशा जी। अब  हम आपको निशा ही बोलेंगे ठीक है।
 
निशा: हम्म ठीक है।
 
फिर दोनों क्लास में चले जाते हैं। क्लास में जाते ही अंजलि निशा के पास आती है और पूछती है हीरोइन आज कैसे लेट हो गयी?
 
निशा : कल शाम को सो गई थी, तो यार आज आँख देर से खुली।
 
अंजलि: चल कोई नहीं, सर भी नहीं आए।
 
दोनों वहीं बैठकर उसी सब्जेक्ट के डाउट क्लियर करने लगती हैं। उधर रणवीर निशा को निहारे ही जा रहा था। उसकी नजरें निशा से हट ही नहीं रही थीं। यूं तो निशा रोज ही सुंदर लगती है, लेकिन आज कुछ ज्यादा ही सुंदर दिख रही थी। पूरी क्लास का पढ़ने और रणवीर का पूरा दिन निशा को निहारने में बीत गया। वह उसे इतनी शिद्दत से देख रहा था कि उसे पता ही नहीं चला कब लास्ट लेक्चर हो गया। निशा ओर अंजलि भी कॉलेज से निकल ही रहे थे कि सामने से रणवीर आ गया।
 
रणवीर (दोनों को रोकते हुए): हाय घर जा रही हो तुम दोनों।
 
अंजलि (रणवीर को चिढ़ाते हुए) : नहीं जी हम तो पिकनिक पर जा रहे हैं। आप चलोगे?
 
रणवीर (झूठी हँसी हँसते हुए): हा हा हा, वेरी फनी।
 
अंजलि दोबारा बोलने को होती है कि तभी निशा उसे रोक देती है।
 
निशा (अंजलि से) : अंजलि चलें? देर हो रही है। माँ इंतजार कर रही होंगी।
 
अंजलि (निशा से): हां, निशा चल  काफी देर हो गयी है।
 
दोनों रणवीर को बाय बोलकर वहाँ से चल देती हैं। लेकिन रणवीर घर जाकर भी मानो जा नहीं पाता। अगले दिन जैसे ही निशा कॉलेज पहुँचती है, तो वह उसके पास आ जाता है।
 
रणवीर (निशा की तरफ हाथ बढ़ाते हुए ): हेलो निशा। कैसी हो?
 
निशा (भी हाथ मिलाते हुए ): हेलो रणवीर। मैं ठीक हूं। तुम बताओ?
 
रणवीर: मैं भी ठीक हूं। कहकर शांत हो जाता है।
 
निशा (रणवीर की चुप्पी को देखते हुए): क्या हुआ रणवीर? अचानक शांत क्यों हो गए? कुछ बोलने चाहते हो?
 
रणवीर (झिझकते हुए ): हां, वो निशा… मैं वो…।
 
निशा (रणवीर का हाथ पकड़ते हुए ): क्या बात है रणवीर बड़े परेशान लग रहे हो।
 
रणवीर (लंबी सांस लेते हुए) : निशा, क्या हम दोस्त बन सकते हैं?
 
निशा (मुस्कुराते हुए): बस इतनी सी बात को बोलने में तुम इतना डर रहे थे।
 
रणवीर:  हां यार मुझे डर गल रहा था कि कहीं तुम बुर न मन जाओ क्योंकि मैंने तुम्हें किसी लड़के से कभी बात करते हुए नहीं देखा। करती भी हो तो सिर्फ काम से काम।
 
निशा:  हाँ, ये तो है। मगर तुम और लड़को की तरह नहीं हो। 
 
रणवीर (निशा की तरफ हाथ बढ़ाते हुए):  तो फ्रेंड्स 
 
निशा (भी सेम वैसे ही): अफकोर्स।
 
थोड़े ही समय में दोनों गहरे दोस्त बन जाते हैं। दोनों की दोस्ती इस हद तक बढ़ गई कि  कॉलेज में हमेशा साथ दिखते। घर जाकर भी फोन पर घंटों बतियाते। एक साथ घूमने जाते। शायद दोस्ती से भी कुछ ज्यादा था दोनों में। इस बात को दोनों बखूबी जानते थे पर कहने से डरते थे। अगर दूसरे को बुरा लग गया तो? खैर चलो देखते हैं कि ये दोनों अपने प्यार का इजहार करेंगे या नहीं? कौन पहले बोलेगा? जानने के लिए पढ़िए कहानी ‘बेइंतहा मुहब्बत’ का दूसरा भाग।

©Reena  Lawaniya

बेइंतहा मुहब्बत #story

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