EMERGING WRITERS

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तुम अचानक ऐसे बदल गई जैसे घड़ी का अंतिम सेकंड... जो तारीखें बदल देता है । - सच्ची दीप ©EMERGING WRITERS

#sachinmehrapoetry #lost  तुम अचानक ऐसे बदल गई जैसे
घड़ी का अंतिम सेकंड...
जो तारीखें बदल देता है ।
- सच्ची दीप

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महज चार दिन का याराना तेरा आना और फिर अचानक चले जाना वाकई गजब था ©EMERGING WRITERS

#sachinmehrapoem #alonesoul #thought  महज चार दिन का याराना
 तेरा आना 
और फिर अचानक चले जाना 
वाकई गजब था

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इश्क नहीं है तुमसे मगर तुम्हारा मेरे पास रहना मुझे जन्नत कर देता है तुम रहो, किसी के साथ रहो मगर मेरे पास रहो... -सच्ची दीप ©EMERGING WRITERS

#sachinmehrapoem #walkingalone #thought  इश्क नहीं है तुमसे 
मगर तुम्हारा मेरे पास रहना 
मुझे जन्नत कर देता है 
तुम रहो, किसी के साथ रहो
 मगर मेरे पास रहो...
-सच्ची दीप

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Alone मेरा इश्क कैसा है तुम्हें समझाना नहीं चाहता पर तेरा यह जानना जरूरी है कि मैं तुम्हें चाहता हूं पर तुम्हें पाना नहीं चाहता -सच्ची दीप ©EMERGING WRITERS

#sachinmehrapoem #thought #alone  Alone  मेरा इश्क कैसा है 
तुम्हें समझाना नहीं चाहता 
पर तेरा यह जानना जरूरी है कि 
मैं तुम्हें चाहता हूं पर तुम्हें पाना नहीं चाहता
-सच्ची दीप

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मुझे प्यार-व्यार नहीं है तुमसे बिल्कुल भी पर ना जाने क्यों मुझे लगता है कि मेरा हक है तुझ पर इतना जितना कि चिड़ियों का घोसले पर है.. -सच्ची दीप ©EMERGING WRITERS

#sachinmehrapoetry #ShiningInDark #thought  मुझे प्यार-व्यार नहीं है तुमसे 
बिल्कुल भी 
पर  ना जाने क्यों मुझे लगता है 
कि मेरा हक है तुझ पर इतना 
जितना कि चिड़ियों का घोसले पर है..
-सच्ची दीप

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हाथ थामा था जो कल तक उन्होने, आज उसे छोड़ बैठे है हम ही ना जाने क्यों, उनसे वफाओं के तकाज़े किये बैठे है, यूँ तो तय किया है एक दायरा, उन्होने मुहब्बत में हम ही ना जाने क्यों, हद में रहकर बेहद किये बैठे है, यूँ तो अदावत भी है, तग़ाफुल भी है मुहब्बत में फिर वो ना जाने क्यों, हमसे बेमुरव्वत हुए बैठे है, जिसे समझा था ज़िंदगी भर का साथ हमने मुहब्बत में फिर ना जाने क्यों, वो इसे मुहब्बत में हमारी भूल बताए बैठे है। Afra Mahmood ©EMERGING WRITERS

#afra_mahmood_poetry #leftalone  हाथ थामा था जो कल तक उन्होने, आज उसे छोड़ बैठे है 
हम ही ना जाने क्यों, उनसे वफाओं के तकाज़े किये बैठे है, 

यूँ तो तय किया है एक दायरा, उन्होने मुहब्बत में 
हम ही ना जाने क्यों, हद में रहकर बेहद किये बैठे है, 

यूँ तो अदावत भी है, तग़ाफुल भी है मुहब्बत में 
फिर वो ना जाने क्यों, हमसे बेमुरव्वत हुए बैठे है, 

जिसे समझा था ज़िंदगी भर का साथ हमने मुहब्बत में 
फिर ना जाने क्यों, वो इसे मुहब्बत में हमारी भूल बताए बैठे है। 

Afra Mahmood

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