smile
एक आवाज-e-मुतालिक,मैं अब;
हर वक्त सुनता हूं।
जैसे कोई होमुझ जैसा,जो मुझसे बोल रहा हो।
उसकी बातें जैसे मेरे सारे दर्द का महल्म बनती हो।
वो,जो हर वक्त हंसते रहते है।
आज कल मुझे भी बहुत हंसाते है।
ये मुझे मेरे सुकून सा अहसास करवाता है।
हां और
कभी कभी मुझे ,ये मेरे पागलपन से भी मिलवाता
वो अपने आप को पागल ही कहता है*
ये तो जमाना ही जाने,
कभी हमारे दिल से देखें,वो भी जाने.
हमें इस पगले से ये लगाव कैसा है।
जनाब गौर फरमाइएगा!
(लगातार २)
"ये नशा,कुछ अजीब सा.. हुआ है मुझे आज कल..
जो मुझे मेरी शराब भी नही करवाती है।"(आगे चलो)
उसके साथ लगता है जैसे,
सारा वक्त ही थाम लिया हो मुट्ठी में।
वो अजनबी सा चेहरा; मुझे मेरे अक्ष से मिलवाता हो जैसे
"कोई है, आज; मेरे वक्त में जैसे
कोई मिलवाता हो मुझे मेरी हंसी से जैसे"
©NEGATIVE STAR
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