prasoon agrawal

prasoon agrawal Lives in Katni, Madhya Pradesh, India

born on 17march 1989, I passionate a long positive attitude in every condition.. my thoughts vis is simple reboot, reunite and achieve your goals..

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सोचा था बताऊंगा मिल कर तुझसे हाल खुद के कैसे गुजरी यह ज़िन्दगी तेरे बिना सुनाऊंगा तुझे पर तुम सामने आए और में बेहाल हो गया ऐसा लगा जैसे में खुले आसमान के नीचे आ गया मानो समंदुर में नदी मिलना चाहती थी कुछ पल ही सही तेरे साथ जीना चाहती थी खुद का वजूद फिर मैं भूल बैठा था तेरे कांधे पे सिर रखकर रोना चाहता था पर एहसास ऐसा क्यों हुआ कि तुम अब बदल गए हो शायद तुम्हारे पैरों को जिम्मदारी की जंजीरों ने जकड़ा था मालूम है मुझे आज भी तड़पती हो सिर्फ मेरे लिए पर फिर भी ऐसा क्यों लगा कि सब कुछ बदल गया हो इक मन हुआ कि सब छोड़ आगे बढ़ जाऊं पर जो देखा तेरी निगाहों में लगा कि डूब ही जाऊ ऐसे ही ना तू मेरी निशा थी शायद हम दोनों के प्यार की ना कभी सुबह थी

 सोचा था बताऊंगा मिल कर तुझसे हाल खुद के
कैसे गुजरी यह ज़िन्दगी तेरे बिना सुनाऊंगा तुझे
पर तुम सामने आए और में बेहाल हो गया 
ऐसा लगा जैसे में खुले आसमान के नीचे आ गया 
मानो समंदुर में नदी मिलना चाहती थी 
कुछ पल ही सही तेरे साथ जीना चाहती थी 
खुद का वजूद फिर मैं भूल बैठा था 
तेरे कांधे पे सिर रखकर रोना चाहता था 
पर एहसास ऐसा क्यों हुआ कि तुम अब बदल गए हो 
शायद तुम्हारे पैरों को जिम्मदारी की जंजीरों ने जकड़ा था
मालूम है मुझे आज भी तड़पती हो सिर्फ मेरे लिए 
पर फिर भी ऐसा क्यों लगा कि सब कुछ बदल गया हो 
इक मन हुआ कि सब छोड़ आगे बढ़ जाऊं
पर जो देखा तेरी निगाहों में लगा कि डूब ही जाऊ
ऐसे ही ना तू मेरी निशा थी 
शायद हम दोनों के प्यार की ना कभी सुबह थी

सोचा था बताऊंगा मिल कर तुझसे हाल खुद के कैसे गुजरी यह ज़िन्दगी तेरे बिना सुनाऊंगा तुझे पर तुम सामने आए और में बेहाल हो गया ऐसा लगा जैसे में खुले आसमान के नीचे आ गया मानो समंदुर में नदी मिलना चाहती थी कुछ पल ही सही तेरे साथ जीना चाहती थी खुद का वजूद फिर मैं भूल बैठा था तेरे कांधे पे सिर रखकर रोना चाहता था पर एहसास ऐसा क्यों हुआ कि तुम अब बदल गए हो शायद तुम्हारे पैरों को जिम्मदारी की जंजीरों ने जकड़ा था मालूम है मुझे आज भी तड़पती हो सिर्फ मेरे लिए पर फिर भी ऐसा क्यों लगा कि सब कुछ बदल गया हो इक मन हुआ कि सब छोड़ आगे बढ़ जाऊं पर जो देखा तेरी निगाहों में लगा कि डूब ही जाऊ ऐसे ही ना तू मेरी निशा थी शायद हम दोनों के प्यार की ना कभी सुबह थी

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es pyar ki na subah hui

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वो सबकी बात सुनती है किसी से ना कुछ कहती है घर का जर्रा जर्रा उसके होने से महकता है भगवान भी उसका प्यार पाने को तरसता है घर में सबकी खुशियों की परवाह करती है पर अपनी मन की बाते किसी से ना कहती है रखती है सबका ख्याल पर अपना ख्याल ना रख पाती है सबके सपने पूरा करने के चक्कर में खुद के अरमान जला देती है हा वो खुदा से बड़ी हस्ती है जिसमे सबकी जान बसी होती है हा वो सिर्फ मां ही होती है

 वो सबकी बात सुनती है 
किसी से ना कुछ कहती है 
घर का जर्रा जर्रा उसके होने से महकता है 
भगवान भी उसका प्यार पाने को तरसता है 
घर में सबकी खुशियों की परवाह करती है 
पर अपनी मन की बाते किसी से ना कहती है 
रखती है सबका ख्याल 
पर अपना ख्याल ना रख पाती है 
सबके सपने पूरा करने के चक्कर में 
खुद के अरमान जला देती है 
हा वो खुदा से बड़ी हस्ती है 
जिसमे सबकी जान बसी होती है 
हा वो सिर्फ मां ही होती है

निशब्द हूं

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तेरी -मेरी बातें रास्ते खूबसूरत है तेरे साथ फिलहाल मंजिल की बात नहीं करते है

 तेरी -मेरी बातें रास्ते खूबसूरत है तेरे साथ 
फिलहाल मंजिल की बात नहीं करते है

तेरी -मेरी बातें रास्ते खूबसूरत है तेरे साथ फिलहाल मंजिल की बात नहीं करते है

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शुभ दीपावली अधर्म पर धर्म की विजय , अंधरे से उजाले का प्रतिक , असत्य पर सत्य की विजय , दीपो के इस त्योहार दीपवाली की आप सभी को बहुत बहुत बधाईया .. ईश्वार आप पर और आपके घर पर हमेशा कृपया बनाए रखे .. माँ ल्क्षमी आपके घर मैं धन , वैभव , यश , रिद्धी , सिद्धी के साथ विराजमान रहे ... शुभ दीपवाली अग्रवाल ड्रूग हॉउस बरही

 शुभ दीपावली    अधर्म  पर धर्म  की  विजय ,
अंधरे  से उजाले  का प्रतिक ,
असत्य  पर सत्य  की विजय ,
दीपो के इस  त्योहार  दीपवाली  की आप सभी को  बहुत बहुत  बधाईया ..
ईश्वार आप पर और आपके घर पर हमेशा  कृपया  बनाए  रखे ..
माँ  ल्क्षमी  आपके घर  मैं  धन , वैभव , यश , रिद्धी , सिद्धी  के साथ  विराजमान  रहे ...


शुभ  दीपवाली 

अग्रवाल ड्रूग हॉउस
बरही

शुभ दीपावली अधर्म पर धर्म की विजय , अंधरे से उजाले का प्रतिक , असत्य पर सत्य की विजय , दीपो के इस त्योहार दीपवाली की आप सभी को बहुत बहुत बधाईया .. ईश्वार आप पर और आपके घर पर हमेशा कृपया बनाए रखे .. माँ ल्क्षमी आपके घर मैं धन , वैभव , यश , रिद्धी , सिद्धी के साथ विराजमान रहे ... शुभ दीपवाली अग्रवाल ड्रूग हॉउस बरही

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#कविता #lifewantchange #moveon
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