तेरी तारीफ क्या करूँ मैं,तु तो बहुत अजीज है
दुर रह के भी सुकुन दे, दोस्ती एक ऐसी चीज है
तुमसे मिलने से चेहरे पर,मुस्कान आ जाती है
पता नहीं बेचैन सा दर्द,कहाँ चली जाती है
बातें इतनी ज्यादा की कभी खत्म नहीं होती
दुर रह के भी प्यार कभी कम नहीं होती
तु नही गयी तो मैं भी नहीं जाऊँगी
तु नहीं खायी तो मैं भी नहीं खाऊँगी
बस छुट गयी तो तुझे घर तक छोड़कर आना
फिर तेरी फरमाईश की अमरूद तोड़कर लाना
जाना कहाँ है अकेले ,अभी और है ज़िन्दगी जीनी
हर जनम में यही दोस्त मिले मुझे,नाम है जिसकी कामिनी
सबकी अलग ज़िन्दगी
सबका अलग किस्सा लिखा है
फुरसत मिले तो कभी झाँक के देख
तेरे नाम का अलग हिस्सा लिखा है
©Nikki Mahant
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