बहन,
ये लफ्ज़ हर किसी के ज़िन्दगी से गुज़रा है,
ये साफ़ नज़र है जहाँ भी फैला कोहरा है,
हर किसी ने इसे अपने तरीके से बताया है,
कुछ ने इसपे गीत भी गाया है,
मैं कुछ नया न बता पाउँगा,
अदब के सलीके से न समझा पाउँगा,
हाँ अहसासों को जता पाउँगा,
पर फिर भी न समझा पाउँगा,
बहन,
बहन उस्ताद होती है,
जब वो गलती पे खरी खोटी सुनाती है,
बहन माँ होती है,
जब वो रोटी खिलाती है
बहन पिता होती है जब वो ज़िन्दगी सीखाती है,
बहनदोस्त होती है,
जब वो मज़ाक उड़ाती है,
बहन बहन होती है,
जब वो आपके ऐब के बावजूद आपको अपनाती है,
ये कमज़र्फ़ जहां बोलता है,
ये तो पराया धन होती है,
अब उन्हें कौन दिखाए,
ये एक परिवार का जीवन होती है,
ये तहज़ीब का हवाला क्यों,
की उन्हें एक दिन जाना है,
सब छोड़ किसी और का साथ निभाना है,
ये साज़िश अलग करने की सदियों से की जाती है,
पर बहन ने कभी अलग थी,न है और न कभी हो पायेंगी, क्योंकि वो हर मुश्किल जीत जाती है।
-लिखने 'वाला'
©Sumeet Kumar
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