Meri Mati Mera Desh
ऐ मेरे ख़ुदा! कब लिखना है मुझे-तुझे
ज़रा यह तो बता जा रे
क्या और कितना ज़ालिम ज़माना है,
कितना यह साहित्यिक ज़माना है,
कितना मुझे लगता आधुनिक ज़माना है--
अपनी सूरत से इसका असर तो दिखा जा रे।
ऐ मेरे ख़ुदा!! कब लिखना है मुझे-तुझे
ज़रा यह तो बता जा रे।।
न जाने क्यों!
मुझे लगता तू आज अधिक दूर है,
नहीं जानना मुझे किस बात से मजबूर है
केवल कहना है दिल बेकरार है
और बेकरार इसका मयूर है।
ज़रा मेरे सपनों में आकर
किसी कवि की कविता बनकर
उसके अधरों से अलबेली तान सुनाओ जा रे।
ऐ मेरे ख़ुदा! कब लिखना है मुझे-तुझे
ज़रा यह तो बता जा रे।।
बेहद दिलकश है, नहीं करीब दिलदार है
नयनों न नमकीन पानी नहीं, खूंबार है,
कत्ल करता यह विषैला प्यार है
क्योंकि छूकर देखा तो तू गायब हो गया
होने के बावजूद बेरहम तू रब हो गया।
अब मन में मुद्रित है तेरी तस्वीर
तभी बार-बार लगता आया यार है,
बस तेरे ही साथ यह मुस्कान चली गयी है,
बस तू ही इसे ले गया है और ले गयी है
अतः अब अनुरोध है कि ज़रा अपनी
खट्टी-मीठी यादों से इक बार पुनः
थोड़ी मुझे मुस्कान दिला जा रे।
ऐ मेरे ख़ुदा! कब लिखना है मुझे-तुझे
ज़रा यह तो बता जा रे।।
...✍️विकास साहनी
©Vikas Sahni
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