shubham jain *parag*

shubham jain *parag* Lives in Udaipur, Rajasthan, India

motivation, love and inspirational video..

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#HappyNewYear #newyear #SunSet #status #Happy  नया साल
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कितनी उम्मीदों के साथ 
आ रहा है साल नया,
कितनी खुशियों के गीत
गा रहा है साल नया,
कितनी यादें छोड़ दी
बीते हुए साल में,
कितने सपने ला रहा है
साथ अपने साल नया,
बदला तो बस कैलेंडर है
बाकी सब वैसा ही है,
बदलते-बदलते बदल रहा है
सोच सबकी साल नया,
कुछ ठानेंगे लक्ष्य नये
कुछ पुराने लक्ष्य के साथ चलेंगे,
सबको एक आस बंधा रहा है
आने वाला साल नया,
बीता कड़वा अनुभव भूलों
उनको लेकर वो साल गया,
बुनों नई इबारतें अब
आ गया है साल नया,
चढ़ो सीढ़ी सफलताओं की 
छू लो अब आसमान नया,
मुस्कुरा के भरो जीवन में रंग
संग मुस्का रहा है साल नया...

रचयिता :- शुभम जैन "पराग"
उदयपुर (राज.)

©shubham jain *parag*

261223 वो जो सूखा सा था टुकड़ा लकड़ी का , पल में हो गया राख धधकते- धधकते.. वो जो था समेटे नमी जल ना पाया पुरा, और रह गया अधूरा सुलगते-सुलगते.. ©shubham jain *parag*

 261223
वो जो सूखा सा था
टुकड़ा लकड़ी का ,
पल में हो गया राख 
धधकते- धधकते..

वो जो था समेटे नमी 
जल ना पाया पुरा,
और रह गया अधूरा 
सुलगते-सुलगते..

©shubham jain *parag*

#onenight #SAD #Deep #Love #Quotes #sadquotes #Emotions #feelings #sad_feeling

14 Love

#sadquotes #self_love #Quotes #Broken #Shayar #Chess  151023
सारा भेद मत खोल देना, कुछ अपने पास छुपाकर भी रखना,

थोड़ा सा अपने हिस्से का ,खुद को खुद में बचाकर भी रखना ।

©shubham jain *parag*
#SadStorytelling #dilkibaat #thought #story #Heart
#हिंदी #Hindidiwas #Quotes  करोड़ो लोंगो का मान ,उनका आत्मविश्वाश है
हिंदी सिर्फ एक भाषा नही ,हम सबकी शान है ।

शब्दों का सागर ,संसार का ज्ञान है
इसी में अपना नाम है, इसी में पहचान है ।

©shubham jain *parag*
#Relationships #Pyar #Lumi #SAD   *पानी से रिश्ते*
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कच्ची मिट्टी के घड़ों में भरे पानी से रिश्ते
बह जाते है अक्सर रिसते- रिसते ,

मरम्मत माँगते है, वक़्त दर वक़्त 
नही तो बिखर जाते है घिसते- घिसते,

फिर एक मलाल सा रह जाता है
बादल भी थम जाते है गरज़ते- गरज़ते ,

वक़्त रहते, वक़्त दे दिया करो इन्हें
ये दूर निकल जाते है सरकते - सरकते,

हाथ आता नही फिर जो बीत गया 
और उम्र बीत जाती है तरसते- तरसते,

फिर जब कभी याद आते है बीते लम्हें 
तो आँखें भीग जाती है हँसते-हँसते,

दरख़्त यूँहीं तो फलदार नही बनता
कई दिन बीत जाते है उसे सींचते-सींचते,

रिश्ते हक़ीक़त है, इस फ़रेबी जहाँ में
इनके साथ कट जाएगा सफ़र आहिस्ते- आहिस्ते....

©shubham jain *parag*
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