Jagdeep Justa

Jagdeep Justa Lives in Shimla, Himachal Pradesh, India

CEO JandJFilmProduction.Pvt.Ltd insta: @jagdeepjusta. fb: @jagdeepjusta.

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मैं झूठ नहीं कहूंगा कि मुझे थकान नहीं होती, हां... थक जाता हूं कभी-कभी, जब थकने लगते हैं पैर, दिन भर चलते चलते, तो किसी पेड़ के नीचे बैठकर, रुक जाता हूं कभी-कभी, अपनों के ख्याल सुबह जल्दी उठा देते हैं, जो दुखने लगे आंखें नींद से, तो सो लेता हूं कभी-कभी, हंसने के मौके जिंदगी में बड़े कम ही मिले मुझे, लेकिन बचपन की बातें याद करके, मुस्कुरा लेता हूं कभी-कभी, न जाने इस भाग दौड़ में, कब ये जिंदगी साथ छोड़ दे, बस यही सोच कर, खुद के लिए जी लेता हूं कभी-कभी... ©Jagdeep Justa

#retro  मैं झूठ नहीं कहूंगा कि मुझे थकान नहीं होती,
 हां... थक जाता हूं कभी-कभी,

जब थकने लगते हैं पैर, दिन भर चलते चलते, 
तो किसी पेड़ के नीचे बैठकर, 
रुक जाता हूं कभी-कभी,

अपनों के ख्याल सुबह जल्दी उठा देते हैं, 
जो दुखने लगे आंखें नींद से,
 तो सो लेता हूं कभी-कभी,

हंसने के मौके जिंदगी में बड़े कम ही मिले मुझे,
 लेकिन बचपन की बातें याद करके, 
मुस्कुरा लेता हूं कभी-कभी,

न जाने इस भाग दौड़ में, कब ये जिंदगी साथ छोड़ दे,
 बस यही सोच कर, 
खुद के लिए जी लेता हूं कभी-कभी...

©Jagdeep Justa

#retro

13 Love

Village Life हट तो जाती है चीज़ जगह से, मगर, उसका निशान रह जाता है झूठ तो सुना देता है फैसला, बस, सच का बयान रह जाता है मुदत्तों बाद लौटता है कोई, अपने गांव, अपनी गली, अपने घर बदल चुका है सब कुछ, बस खड़ा मकान रह जाता है निकले घर से, तो दुनियां समझ आई, हर सफ़र पर अकेला इंसान रह जाता है इंसानियत कम, यहां तो क़िरदार निभाते है, साथ में खड़ा तो बस भगवान रह जाता है ©Jagdeep Justa

#villagelife  Village Life हट तो जाती है चीज़ जगह से, मगर, उसका निशान रह जाता है 
झूठ तो सुना देता है फैसला, बस, सच का बयान रह जाता है

मुदत्तों बाद लौटता है कोई, अपने गांव, अपनी गली, अपने घर 
बदल चुका है सब कुछ, बस खड़ा मकान रह जाता है

निकले घर से, तो दुनियां समझ आई, 
हर सफ़र पर अकेला इंसान रह जाता है

इंसानियत कम, यहां तो क़िरदार निभाते है, 
साथ में खड़ा तो बस भगवान रह जाता है

©Jagdeep Justa

#villagelife

16 Love

एक वक्त होता है जब हम चाहते हैं दोस्त बनाना, लोगों के साथ जुड़ना, मिलना-जुलना, हंसना- खेलना। और फिर एक वक्त आता है जब हमें इन सारी चीजों से कुढ़न होने लगती है, अकेलापन सुकून देने लगता है। जिन्दगी के दौड़ में हम कब बदल जाते हैं हमें पता ही नहीं चलता। और फिर अतीत के पन्ने पलट के जब कभी खुद को देखते हैं तो अचंभित होते हुए खुद से ही सवाल करते हैं कि "क्या ये मैं ही हूं".. ©Jagdeep Justa

#fisherman  एक वक्त होता है जब हम चाहते हैं दोस्त बनाना, 
लोगों के साथ जुड़ना, मिलना-जुलना, हंसना- खेलना। 
और फिर एक वक्त आता है 
जब हमें इन सारी चीजों से कुढ़न होने लगती है, 
अकेलापन सुकून देने लगता है।
 जिन्दगी के दौड़ में हम कब बदल जाते हैं 
हमें पता ही नहीं चलता।
 और फिर अतीत के पन्ने पलट के 
जब कभी खुद को देखते हैं 
तो अचंभित होते हुए खुद से
 ही सवाल करते हैं कि
 "क्या ये मैं ही हूं"..

©Jagdeep Justa

#fisherman

13 Love

चलते चला मैं पर रुका नहीं, गिर कर उठा मैं ऐसे जैसे कुछ हुआ नहीं... लगने लगा मैं बुरा, सबको सही कभी लगा नहीं... जंबा पे मेरे खामोशी, दिल में दर्द कभी छुपा नहीं... रोता रहा मैं ऐसे जैसे आँखों से कुछ बहा नहीं... अपना दर्द अपना होता है, गैरों को तो कभी दिखा नहीं... ©Jagdeep Justa

#mountainsnearme  चलते चला मैं पर रुका नहीं,

गिर कर उठा मैं ऐसे

जैसे कुछ हुआ नहीं...

लगने लगा मैं बुरा,

सबको सही कभी लगा नहीं...

जंबा पे मेरे खामोशी, दिल में दर्द कभी छुपा नहीं...

रोता रहा मैं ऐसे जैसे आँखों से कुछ बहा नहीं...

अपना दर्द अपना होता है,

गैरों को तो कभी दिखा नहीं...

©Jagdeep Justa

समय, विश्वास और सम्मान यह ऐसे पक्षी है... उड़ जाए तो वापस नहीं आते है। कोई इंसान हमेशा एक जैसा नहीं रहता, वक्त हालात और लोग बदलने पर मजबुर कर देते है। थोड़ा सा खुद के लिए भी जी लिया करो यह वो जमाना है जिसमें कोई नहीं कहेगा कि आप थक गए हो आराम कर लो... गिरगिट माहौल देखकर रंग बदलता है और इंसान मौका देख कर... बुराई ढूंढने का शौक है तो शुरुआत खुद से कीजिए दूसरों से नहीं... ©Jagdeep Justa

#Apocalypse #Quotes  समय, विश्वास और सम्मान यह ऐसे पक्षी है...
 उड़ जाए तो वापस नहीं आते है।

कोई इंसान हमेशा एक जैसा नहीं रहता,
 वक्त हालात और लोग बदलने पर मजबुर कर देते है।

थोड़ा सा खुद के लिए भी जी लिया करो यह वो जमाना है 
जिसमें कोई नहीं कहेगा कि आप थक गए हो आराम कर लो...

गिरगिट माहौल देखकर रंग बदलता है 
और इंसान मौका देख कर... 

बुराई ढूंढने का शौक है तो 
शुरुआत खुद से कीजिए दूसरों से नहीं...

©Jagdeep Justa

#Apocalypse

12 Love

कोई तमाशा दिखा कर चला गया, कोई तमाशा बना कर चला गया किसी ने पिलाए आंसुओं के जाम तो कोई जहर का पियाला पीला कर चला गया जब-जब हुई सुबह, मैंने कोशिश की फूलों की तरह खिलने की कोई मुझे तोड़ कर चला गया, कोई मुझे रोंद कर चला गया बार-बार कोशिश की, मैंने प्यार का घर बनाने की कोई दीवारे गिरा कर चला गया, कोई बुनियाद हिला कर चला गया बेठा रहा मैं सारी उम्र दिल लेकर मोहब्बत के बाजार में कोई बोली लगा कर चला गया, कोई खोटा सिक्का बता कर चला गया पता ही नहीं चला कब गुजर गई मेरी ज़िंदगी कोई एक पल हंसा कर चला गया, कोई दो पल रुला कर चला गया यूँ तो मैंने निभाए दिल से सभी रिश्ते कोई सच्चा बता कर चला गया, कोई झूठा बता कर चला गया

#travelogue  कोई तमाशा दिखा कर चला गया,
 कोई तमाशा बना कर चला गया
 किसी ने पिलाए आंसुओं के जाम
तो कोई जहर का पियाला पीला कर चला गया
 जब-जब हुई सुबह, मैंने कोशिश की फूलों की तरह खिलने की 
कोई मुझे तोड़ कर चला गया, 
कोई मुझे रोंद कर चला गया
 बार-बार कोशिश की, मैंने प्यार का घर बनाने की
 कोई दीवारे गिरा कर चला गया, 
कोई बुनियाद हिला कर चला गया
 बेठा रहा मैं सारी उम्र दिल लेकर मोहब्बत के बाजार में 
कोई बोली लगा कर चला गया, 
कोई खोटा सिक्का बता कर चला गया 
पता ही नहीं चला कब गुजर गई मेरी ज़िंदगी
 कोई एक पल हंसा कर चला गया, 
कोई दो पल रुला कर चला गया 
यूँ तो मैंने निभाए दिल से सभी रिश्ते
 कोई सच्चा बता कर चला गया, 
कोई झूठा बता कर चला गया

#travelogue

11 Love

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