वो प्लेटफॉर्म पर हमारा पहली दफा मिलना ,
देखते ही हल्का सा मुस्कुराना ,
और बिना वक़्त ज़ाया किए ,
एक दूसरे को बाहों में भर लेना ,
तेरा बेसब्री से इंतजार था उस दिन ,
हो क्यों ना , वो मुलाक़ात जो पहली थी ,
सालो से वो मुलाक़ात ही तो बना रहें थे ,
और वो हो क्यों ना , हमें मोहब्बत जो मिली थी ,
वो दिन , वो मुलाक़ात जब मुकम्मल हुई ,
जैसे लगा जी भर के जीने का मौका मिला हैं ,
तुझे आंखों के सामने देख कर यूं लगा ,
जैसे सुकून-ए-लम्हा बरसो बाद मिला हैं ,
पल भर के लिए भी हाथ नहीं छोड़ा था ,
तूने भी तो यादें बुनने का कोई बहाना नहीं छोड़ा था ,
वो वक़्त जैसे हवा की तरह बीत गया था ,
और थोड़े ही समय बाद , जाने का समय आ गया था ,
वो मुलाक़ात अपनी कितनी हसीन थी ,
जैसे कुछ घंटो की प्यारी सी ज़िन्दगी थीं ,
दूरियों से कुछ पल के लिए आजाद हुए थे ,
हम दो पंछी प्यार के जब एक साथ हुए थे ।।
- Komal
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