उसने बनाया हर किसी को एक ही भाव,
बस आकृति व बोल में आया थोड़ा सा झुकाब।
शायद उसने सोचा एक जैसी बने मूरत ये नही खास सुझाव,
तब अलग-अलग कृति में उसने रच दिया हर एक स्वभाव।
ममता और समर्पण का सबको मिला लगाव,
फिर क्यों आज एक का दूसरी मूरत पर बुरा प्रभाव।
क्या उनका नही है इस जीवन पर कोई कोई चुनाव,
पहले तो इंसान से इंसान तक ही थे ये जनाव।
अब तो इन मासूमों पर भी नही है कोई पछताब,
उसने सबको बनाया एक ही भाव मत करो इन पर अब अभाव।
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