Dr. Alpana suhasini

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Anchor in DD1, Announcer in AIR, Actress, poetess

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न जाने क्या ज़माना चाहता है, मेरी ख़ुशियां मिटाना चाहता है। मेरी मासूमियत को छीन कर क्यों, मुझे शातिर बनाना चाहता है. अभी कोई कमी बाक़ी है शायद, जो फिर से आज़माना चाहता है। मिटाकर तीरगी अब ज़िन्दगी से, उजाले में वो आना चाहता है। निगाहों से लगे सीधा जिगर पर, वो इक ऐसा निशाना चाहता है । परिंदे की है बस इतनी सी ख़्वाहिश, नशेमन फिर बसाना चाहता है। अल्पना सुहासिनी ©Dr. Alpana suhasini

#गजल_सृजन #शायरी #गजल  न जाने क्या ज़माना चाहता है,
मेरी ख़ुशियां मिटाना चाहता है।

मेरी  मासूमियत को छीन कर क्यों,
मुझे शातिर बनाना चाहता है.

अभी कोई कमी बाक़ी है शायद,
जो फिर से आज़माना चाहता है।

मिटाकर तीरगी अब ज़िन्दगी से,
उजाले में वो आना चाहता है।

निगाहों से लगे सीधा जिगर पर,
वो इक ऐसा निशाना चाहता है । 

परिंदे की है बस इतनी सी ख़्वाहिश,
नशेमन फिर बसाना चाहता है।
         अल्पना सुहासिनी

©Dr. Alpana suhasini
#कविता  है ज़रूरत ही कहां लफ़्ज़ों की,
इश्क़ आंखों से अयां होता है।

©Dr. Alpana suhasini

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कोशिशें तुमसे दूर जाने की, बहते दरिया से पार पाने की (अल्पना सुहासिनी) #HeartfeltMessage

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#HeartfeltMessage #शायरी

जूही चंपा टेसू और कचनार की बातें करें #HeartfeltMessage

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धर गए मेहंदी रचे दो हाथ जल में दीप, जन्मों जन्मों ताल सा हिलता रहा मन (श्री किशन सरोज)

#Insaaf_kab_milega  धर गए मेहंदी रचे दो हाथ जल में दीप, 
जन्मों जन्मों ताल सा हिलता रहा मन 
(श्री किशन सरोज)

फ़िर कोई मस'अला न हो जाए, बेसबब फासला न हो जाए, साफगोई की छोड़ दो आदत, कत्ल का सिलसिला न हो जाए. अल्पना सुहासिनी

#कविता  फ़िर कोई मस'अला न हो जाए,
बेसबब फासला न हो जाए,
साफगोई की छोड़ दो आदत,
कत्ल का सिलसिला न  हो जाए.
                  अल्पना सुहासिनी

फ़िर कोई मस'अला न हो जाए, बेसबब फासला न हो जाए, साफगोई की छोड़ दो आदत, कत्ल का सिलसिला न हो जाए. अल्पना सुहासिनी

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