रुपल सिंह'भारतीय नारी'

रुपल सिंह'भारतीय नारी' Lives in Safipur, Uttar Pradesh, India

#poetess #bhartiya_naari #bholenath_bhakt🙏 #published_poetess📝 बड़े तूफानों से लड़ी हूँ तभी आज किनारों पर खड़ी हूँ।🙏🏻हर हर महादेव🔥 न सीखा मैंनें नियम कोई न लिखने की विधा आती है भावों की कलम से ही कविता कागज़ पे उतर जाती है।- 'भारतीय नारी' दर्द जो ज़िन्दगी से मिला उसे शब्दों में उतार कर हमनें ज़िन्दगी को जीने का ज़रिया ढूँढ लिया।

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तड़प चीज क्या है ये उनके घरवालों से पूछो जिनके कलेजे का टुकड़ा, देश की हिफाज़त में अपनी जान हथेली पर लिए खड़ा रहता है। ©रुपल सिंह'भारतीय नारी'

#कारगिल_विजय_दिवस #kargilvijaydiwas #विचार #bhartiya_naari #nojotowriters #nojotohindi  तड़प चीज क्या है ये उनके घरवालों से पूछो जिनके कलेजे का टुकड़ा,
देश की हिफाज़त में अपनी जान हथेली पर लिए खड़ा रहता है।

©रुपल सिंह'भारतीय नारी'

पिता के हाथ में अनुशासन की किताब और जेब में अनुभव की दौलत होती है। जो औलाद वक्त रहते उनकी अहमियत नहीं समझती, वो वक्त निकलने के बाद सारी ज़िन्दगी रोती है। ©रुपल सिंह'भारतीय नारी'

#HappyFathersDay #विचार #hindi_shayari #hindi_poetry #lifelessons #nojotohindi  पिता के हाथ में अनुशासन की किताब 
और जेब में अनुभव की दौलत होती है।
जो औलाद वक्त रहते उनकी अहमियत नहीं समझती,
वो वक्त निकलने के बाद सारी ज़िन्दगी रोती है।

©रुपल सिंह'भारतीय नारी'

होती है दुआ में वो ताकत तकदीर बदल जाती है, देते है सहारा भोले तब जब दुनिया मुकर जाती है। रिश्ते-नाते पैसा-रुपया ये तो बस जीवन का भ्रम है, जब मौत किसी की आती है हस्ती ही बिखर जाती है। बिन बात ही रिश्ते टूट गए कुछ यार पुराने छूट गए, सुनते ही यक़ीन का नाम अब ये रूह सिहर जाती है। न सीखा मैंने नियम कोई न लिखने की विधा आती है, भावों की क़लम से ही कविता कागज़ पे उतर जाती है। -रूपल सिंह'भारतीय नारी' ©रुपल सिंह'भारतीय नारी'

#कविता #bhartiya_naari #harharmahadev #hindi_poetry #nojotohindi  होती है दुआ में वो ताकत तकदीर बदल जाती है,
देते है सहारा भोले तब जब दुनिया मुकर जाती है।
रिश्ते-नाते पैसा-रुपया ये तो बस जीवन का भ्रम है,
जब मौत किसी की आती है हस्ती ही बिखर जाती है।
बिन बात ही रिश्ते टूट गए कुछ यार पुराने छूट गए, 
सुनते ही यक़ीन का नाम अब ये रूह सिहर जाती है।
न सीखा मैंने नियम कोई न लिखने की विधा आती है,
भावों की क़लम से ही कविता कागज़ पे उतर जाती है।
-रूपल सिंह'भारतीय नारी'

©रुपल सिंह'भारतीय नारी'

रूपल सिंह'भारतीय नारी' ©रुपल सिंह'भारतीय नारी'

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©रुपल सिंह'भारतीय नारी'
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