White ये पत्तियों का शाखाओं को
चूमकर कुछ गुनगुनाना।
और फिर हवाओं की सरगोशियों से
शाखाओं का मचल जाना।
मेहरबानियां बरस रही जम कर मौसम की,
नामुमकिन है ऐसे में खिजां का टिक पाना।
ऐसे आलम-ए-बहार में जरा करीब आ के बैठो,
कुछ तुम ना कहना, कुछ मैं ना बोलूं,
दिल में चाहे बस,इक -दूजे की खामोशियां गुनगुनाना।
©Mamta Singh
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