Mamta Singh

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#कविता #mothers_day  White कड़ी धूप में भी 
महफूज़ रहे-
   तेरा आंचल जो था।
किल्लत थी भोजन की
तो भी उदर भरा था-
तेरा वक्षस्थल जो था।
बिस्तर की मारा-मारी थी
तो भी नींद हावी था-
तेरी बाहों का पालना जो था।
गंदगी फैलाने को भी
स्वच्छता हीं मिलती थी-
तेरी गोद जो थी
बहुत कमियां थीं
हर सुविधा पर महंगाई भारी थी
फिर भी मनचाहा मिल जाता था-
तेरी पल्लू के छोर में बंधे चिल्लर जो थे।
कोई सल्तनत ना थी
फिर भी शहजादे-शहजादी थे-
तेरी छाया जो थी।
                  अब सब कुछ है
                   पर हम सिर्फ 
     ‌              मजदूर बन के रह 
                   गए।
एक मां के ना होने से दुनियां बदल जाती है 😥
 Miss u maa🙏

©Mamta Singh

#mothers_day

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#कविता #mothers_day  White कड़ी धूप में भी 
महफूज़ रहे-
   तेरा आंचल जो था।
किल्लत थी भोजन की
तो भी उदर भरा था-
तेरा वक्षस्थल जो था।
बिस्तर की मारा-मारी थी
तो भी नींद हावी था-
तेरी गोद जो थी।
बहुत कमियां थीं
हर सुविधा पर महंगाई भारी थी
फिर भी मनचाहा मिल जाता था-
तेरी पल्लू के छोर में बंधे चिल्लर जो थे।
कोई सल्तनत ना थी
फिर भी शहजादे-शहजादी थे-
तेरी छाया जो थी।
                  अब सब कुछ है
                   पर हम सिर्फ 
     ‌              मजदूर बन के रह 
                   गए।
एक मां के ना होने से दुनियां बदल जाती है 😥
 Miss u maa🙏

©Mamta Singh

#mothers_day miss u maa😥🙏

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#कविता #Sad_Status  White ना हासिल मेहबूबा हमेशा चांद
कही जाती है।
जो पहलू में आ जाए तो सिर्फ
कालिमा नज़र आती है।

©Mamta Singh

#Sad_Status

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#शायरी #Romantic  White हां ये सच है कि
हो गया है खत्म ,
 सिलसिला
 हमारी मुलाकातों का ।
बंद हो गया सिलसिला ,
हमारी बातों का ।
पर अब भी,
 बज़्म में जो जिक्र-ए मोहब्बत होती है,
तो आंखों में अब भी तेरी ,
सिर्फ तेरी ही ,
तस्वीर उभरती है।
क्यों कि मोहब्बत तो अब भी है...
    सिर्फ तुमसे
    पर तूम्हे.....??

©Mamta Singh

#Romantic मोहब्बत तो अब भी है, सिर्फ तुमसे..

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#कविता #Dosti  White हर इंसान की अपनी दुविधा,
है अपनी परेशानी।
फिर भी  संग मिल जाए जब यारों का,
खिल उठती है जिंदगानी।

©Mamta Singh

#Dosti

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White ये पत्तियों का शाखाओं को चूमकर कुछ गुनगुनाना। और फिर हवाओं की सरगोशियों से शाखाओं का मचल जाना। मेहरबानियां बरस रही जम कर मौसम की, नामुमकिन है ऐसे में खिजां का टिक पाना। ऐसे आलम-ए-बहार में जरा करीब आ के बैठो, कुछ तुम ना कहना, कुछ मैं ना बोलूं, दिल में चाहे बस,इक -दूजे की खामोशियां गुनगुनाना। ©Mamta Singh

#शायरी #Couple  White ये पत्तियों का शाखाओं को
चूमकर कुछ गुनगुनाना।
और फिर हवाओं की सरगोशियों से
शाखाओं का मचल जाना।
मेहरबानियां बरस रही जम कर मौसम की,
नामुमकिन है ऐसे में खिजां का टिक पाना।
ऐसे आलम-ए-बहार में जरा करीब आ के बैठो,
कुछ तुम ना कहना, कुछ मैं ना बोलूं,
दिल में चाहे बस,इक -दूजे की खामोशियां गुनगुनाना।

©Mamta Singh

#Couple

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