Kishor mani

Kishor mani Lives in Rudrapur, Uttarakhand, India

Poet, Writer, freelancer

  • Latest
  • Popular
  • Video

मेरे जैसे तो बहुत मिलेंगे पर उनमें मैं नहीं मिलूंगा

#विचार  मेरे जैसे तो बहुत मिलेंगे
 पर  उनमें मैं नहीं मिलूंगा

मेरे जैसे तो बहुत मिलेंगे पर उनमें मैं नहीं मिलूंगा

0 Love

#pal

#pal

96 View

सब ने मुझे जाना अच्छी तरह तुमने न पहचाना अच्छी तरह गुम सा बैठा रहता हूँ कभी कभी हर वक्त याद आना अच्छी तरह अकेले छोड़ देती है मुझे दिन भर फिर तन्हाई को पाना अच्छी तरह वो सुनना नहीं चाहती दिल का दर्द मुझे पड़ता है सुनाना अच्छी तरह लाख कोशिश कर ले मुझे हँसाने की मुश्किल है गम भुलाना अच्छी तरह अकेला रहता हूँ गम के बाजार में फिर दिखता मयख़ाना अच्छी तरह तेरा दिल जीतना मुश्किल है सच में सरल है पत्थर पिघलाना अच्छी तरह ~किशोर मनी

 सब  ने  मुझे  जाना  अच्छी  तरह
तुमने   न  पहचाना  अच्छी  तरह

गुम सा बैठा  रहता हूँ कभी कभी
हर  वक्त  याद आना अच्छी तरह

अकेले  छोड़ देती है मुझे दिन भर
फिर तन्हाई को पाना अच्छी तरह

वो सुनना नहीं चाहती दिल का दर्द
मुझे पड़ता  है  सुनाना अच्छी तरह

लाख कोशिश कर ले मुझे हँसाने की
मुश्किल है  गम भुलाना अच्छी तरह

अकेला  रहता  हूँ  गम  के बाजार में
फिर  दिखता  मयख़ाना अच्छी तरह

तेरा  दिल  जीतना  मुश्किल है सच में
सरल  है पत्थर पिघलाना अच्छी तरह
~किशोर मनी

सब ने मुझे जाना अच्छी तरह तुमने न पहचाना अच्छी तरह गुम सा बैठा रहता हूँ कभी कभी हर वक्त याद आना अच्छी तरह अकेले छोड़ देती है मुझे दिन भर फिर तन्हाई को पाना अच्छी तरह वो सुनना नहीं चाहती दिल का दर्द मुझे पड़ता है सुनाना अच्छी तरह लाख कोशिश कर ले मुझे हँसाने की मुश्किल है गम भुलाना अच्छी तरह अकेला रहता हूँ गम के बाजार में फिर दिखता मयख़ाना अच्छी तरह तेरा दिल जीतना मुश्किल है सच में सरल है पत्थर पिघलाना अच्छी तरह ~किशोर मनी

4 Love

कितना दर्द कितनी पीड़ा जब सहती हैं ये बेटियाँ सब जानती हैं फिर भी चुप रहती हैं ये बेटियां फ़िर भी उसे समझने वाला अकसर चुप हो जाता हैं खुद के अरमानों का भी गला घोंट देती है बेटियाँ सारे जिम्मेदारियों को सर पर लेती हैं बेटियाँ फिर भी उसको सहारा देने वाला अकसर सो जाता हैं आयेगा खुशियों का दिन इसी आस में है बेटियाँ जहाँ रहती हैं माँ दुर्गा उसी निवास में है बेटियाँ फिर भी फूल बिछाने वाला अकसर काँटे बो जाता हैं पुष्प के जैसी कोमल नाज़ुक होती है बेटियाँ प्रेम से वंचित रहे फिर बहुत रोती हैं बेटियाँ फ़िर भी आँसू पोछने वाला अकसर खुद ही रो जाता हैं ~किशोर मनी

#Betiyan #kavita  कितना दर्द कितनी पीड़ा
जब सहती  हैं  ये  बेटियाँ
सब जानती  हैं  फिर  भी
चुप  रहती  हैं  ये  बेटियां

फ़िर भी 
उसे समझने वाला अकसर चुप हो जाता हैं

खुद के अरमानों का भी
गला घोंट देती है बेटियाँ
सारे  जिम्मेदारियों   को
सर  पर  लेती हैं बेटियाँ

फिर भी
उसको सहारा देने वाला अकसर सो जाता हैं

आयेगा खुशियों का दिन
इसी आस  में  है  बेटियाँ
जहाँ  रहती  हैं  माँ  दुर्गा
उसी निवास में है बेटियाँ

फिर भी
फूल बिछाने वाला अकसर काँटे बो जाता हैं

पुष्प  के जैसी  कोमल 
नाज़ुक होती है बेटियाँ
प्रेम से वंचित रहे  फिर
बहुत  रोती  हैं  बेटियाँ

फ़िर भी
आँसू पोछने वाला अकसर खुद ही रो जाता हैं

~किशोर मनी

सब पास है मेरे फिर भी अकेला होता जा रहा हूँ तुझे पाने की जिद में खुद को खोता जा रहा हूँ

 सब पास है मेरे फिर भी अकेला होता जा रहा हूँ
तुझे  पाने  की जिद में खुद को खोता जा रहा हूँ

सब पास है मेरे फिर भी अकेला होता जा रहा हूँ तुझे पाने की जिद में खुद को खोता जा रहा हूँ

4 Love

तुम यदि भावों को मेरे थोड़ा भी समझ पाती फ़िर न मुझको तुम अकेले छोड़ के जाती कितनी यादें हैं जो दिल में अब तक भूल न पाया कभी-कभी सोचता हूँ तुमने साथ क्यों न निभाया कॉलेज वाले वो दिन भी कितने अच्छे लगते थे रात-रात भर पढ़ने के बहाने बातें करते रहते थे प्यार में रहता था अव्वल,पर पढ़ाई में जीरो आया कभी-कभी सोचता हूँ तुमने साथ क्यों न निभाया घर मे झूठ बोलकर मैं तुमसे मिलने जाता था बाइक में तुमको बिठाकर बहुत सुकून तो पाता था लौंग ड्राइव पर अकसर मैंने दिल की बात सुनाया कभी-कभी सोचता हूँ तुमने साथ क्यों न निभाया मेरी दी हुई अंगूठी क्या अब भी तुम पहनती हो या अब जो मिल गया है सिर्फ उसी पर मरती हो यादें जिंदा रहे,इसलिए एक और अंगूठी मंगवाया कभी कभी सोचता हूँ तुमने साथ क्यों न निभाया ~किशोर मनी

#kavita  तुम यदि भावों को मेरे
थोड़ा भी समझ पाती
फ़िर न मुझको तुम
अकेले छोड़ के जाती

कितनी यादें हैं जो दिल में अब तक भूल न पाया
कभी-कभी सोचता हूँ तुमने साथ क्यों न निभाया

कॉलेज वाले वो दिन भी 
कितने  अच्छे  लगते  थे
रात-रात  भर  पढ़ने  के
बहाने बातें करते रहते थे

प्यार में रहता था अव्वल,पर पढ़ाई में जीरो आया
कभी-कभी सोचता हूँ तुमने साथ क्यों न निभाया

घर मे झूठ बोलकर मैं
तुमसे मिलने जाता था
बाइक में तुमको बिठाकर
बहुत सुकून तो पाता था

लौंग ड्राइव पर अकसर मैंने दिल की बात सुनाया
कभी-कभी सोचता हूँ तुमने साथ क्यों न निभाया

मेरी दी हुई अंगूठी क्या
अब भी तुम पहनती हो
या अब जो मिल गया है
सिर्फ उसी पर मरती हो

यादें जिंदा रहे,इसलिए एक और अंगूठी मंगवाया
कभी कभी सोचता हूँ तुमने साथ क्यों न निभाया

~किशोर मनी

#kavita #nojoto

2 Love

Trending Topic