Vinod Sudiya

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तेरे सिवा कुछ लिखा ही नहीं.. 🍁 🍁 फिर भी लोग शायर कहने लगे ☺️ ☺️

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#विचार #love_shayari  White जिंदगी बहुत छोटी है 
बड़े-बड़े फैसले लेने के लिए 
ज्यादा नहीं सोचना चाहिए

©Vinod Sudiya

#love_shayari

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White सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं हम देखने वालों की नज़र देख रहे हैं कोई तो निकल आएगा सरबाज़-ए-मोहब्बत दिल देख रहे हैं वो जिगर देख रहे हैं कुछ देख रहे हैं दिल-ए-बिस्मिल का तड़पना कुछ ग़ौर से क़ातिल का हुनर देख रहे हैं पहले तो सुना करते थे आशिक़ की मुसीबत अब आँख से वो आठ पहर देख रहे हैं ख़त ग़ैर का पढ़ते थे जो टोका तो वो बोले अख़बार का परचा है ख़बर देख रहे हैं पढ़ पढ़ के वो दम करते हैं कुछ हाथ पर अपने हँस हँस के मेरे ज़ख़्म-ए-जिगर देख रहे हैं मैं 'दाग़' हूँ मरता हूँ इधर देखिए मुझ को मुँह फेर के ये आप किधर देख रहे हैं दाग़ देहलवी ©Vinod Sudiya

#शायरी #wallpaper  White सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं 
हम देखने वालों की नज़र देख रहे हैं 

कोई तो निकल आएगा सरबाज़-ए-मोहब्बत 
दिल देख रहे हैं वो जिगर देख रहे हैं 

कुछ देख रहे हैं दिल-ए-बिस्मिल का तड़पना 
कुछ ग़ौर से क़ातिल का हुनर देख रहे हैं 

पहले तो सुना करते थे आशिक़ की मुसीबत 
अब आँख से वो आठ पहर देख रहे हैं 

ख़त ग़ैर का पढ़ते थे जो टोका तो वो बोले 
अख़बार का परचा है ख़बर देख रहे हैं 

पढ़ पढ़ के वो दम करते हैं कुछ हाथ पर अपने 
हँस हँस के मेरे ज़ख़्म-ए-जिगर देख रहे हैं 

मैं 'दाग़' हूँ मरता हूँ इधर देखिए मुझ को 
मुँह फेर के ये आप किधर देख रहे हैं 

           दाग़ देहलवी

©Vinod Sudiya

#wallpaper

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वो जो इक शख़्स मुझे ताना-ए-जाँ देता है मरने लगता हूँ तो मरने भी कहाँ देता है तेरी शर्तों पे ही करना है अगर तुझको क़ुबूल ये सहूलत तो मुझे सारा जहाँ देता है तुम जिसे आग का तिर्याक समझ लेते हो देने लग जाए तो पानी भी धुआं देता है जम के चलता हूं ज़मीं पर जो मैं आसानी से ये हुनर मुझको मेरा बार ए गिरां देता है हां अगर प्यास का ढिंढोरा न पीटा जाए फिर तो प्यासे को भी आवाज़ कुआं देता है अज़हर फ़राग़ ©Vinod Sudiya

#शायरी #sad_shayari  वो जो इक शख़्स मुझे ताना-ए-जाँ देता है
मरने लगता हूँ तो मरने भी कहाँ देता है

तेरी शर्तों पे ही करना है अगर तुझको क़ुबूल
ये सहूलत तो मुझे सारा जहाँ देता है

तुम जिसे आग का तिर्याक समझ लेते हो
देने लग जाए तो पानी भी धुआं देता है

जम के चलता हूं ज़मीं पर जो मैं आसानी से
ये हुनर मुझको मेरा बार ए गिरां देता है

हां अगर प्यास का ढिंढोरा न पीटा जाए
फिर तो प्यासे को भी आवाज़ कुआं देता है

         अज़हर फ़राग़

©Vinod Sudiya

#sad_shayari

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#विचार  ............

©Vinod Sudiya

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#विचार  ...............

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#विचार  ............

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