Govind Pandram

Govind Pandram Lives in Betul, Madhya Pradesh, India

"मेरे अधूरे अल्फाज़"

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#विचार #kitaab  जा रहा है ये 'साल' भी यादों का नजराना देकर..
अगर हो गई हो कोई खता हमसे तो माफ करना!

©Govind Pandram

#kitaab

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लोग नये "साल" में बहुत कुछ नया मांगेंगे... पर मुझे तो तुम्हारा वही पुराना साथ चाहिए! दोस्तों... 2023 के आगमन पर अनन्त शुभकामनाएं!! ©Govind Pandram

#विचार #newyear  लोग नये "साल" में बहुत कुछ नया मांगेंगे...
पर मुझे तो तुम्हारा वही पुराना साथ चाहिए!
दोस्तों...
2023 के आगमन पर अनन्त शुभकामनाएं!!

©Govind Pandram

#newyear

24 Love

#5LinePoetry जमीं से लेकर आसमान के झुक जाने तक, याद आऊँगा तुम्हें साँसो के रुक जाने तक। कर ले सितम मुझको सताने की रुलाने की, तू लाख कर ले कोशिश मुझको भुलाने की। न भूलोगे हमें चाँद - तारों के छुप जाने तक, याद आऊँगा तुम्हें साँसो के रुक जाने तक। ©Govind Pandram

#5LinePoetry  #5LinePoetry जमीं से लेकर आसमान के झुक जाने तक,
याद आऊँगा तुम्हें साँसो के रुक जाने तक।
     कर ले सितम मुझको सताने की रुलाने की,
     तू लाख कर ले कोशिश मुझको भुलाने की।
न भूलोगे हमें चाँद - तारों के छुप जाने तक,
याद आऊँगा तुम्हें साँसो के रुक जाने तक।

©Govind Pandram

#5LinePoetry

125 Love

तेरे नशीले नैनों को शराब लिख दूँ, सुर्ख नाजुक लबों को गुलाब लिख दूँ। इशारों इशारों में ही सही सवाल तो कर तेरे हर सवाल का जवाब लिख दूँ। उधार अनमिट स्याही लेकर शायरों से, मुकम्मल इश्क़ की किताब लिख दूँ।। ©Govind Pandram

#Rose  तेरे नशीले नैनों को शराब लिख दूँ,
सुर्ख नाजुक लबों को गुलाब लिख दूँ।
इशारों इशारों में ही सही सवाल तो कर
तेरे हर सवाल का जवाब लिख दूँ।
उधार अनमिट स्याही लेकर शायरों से,
मुकम्मल इश्क़ की किताब लिख दूँ।।

©Govind Pandram

#Rose

111 Love

#5LinePoetry आसमां में सितारे झिलमिलाने लगे, झोंके हवा के, कुछ गुनगुनाने लगे। शान्त समंदर,खामोश लहर झूमकर, पत्ते पेड़ो के, तट पर...हँस-हंसकर। किस्से अपनी मुहब्बत के सुनाने लगे.. झोंके हवा के, कुछ गुनगुनाने लगे।1। ©Govind Pandram

#5LinePoetry  #5LinePoetry आसमां में सितारे झिलमिलाने लगे,
झोंके हवा के, कुछ गुनगुनाने लगे।
शान्त समंदर,खामोश लहर झूमकर,
पत्ते पेड़ो के, तट पर...हँस-हंसकर।
किस्से अपनी मुहब्बत के सुनाने लगे..
झोंके हवा के, कुछ गुनगुनाने लगे।1।

©Govind Pandram

'सपनो' से दूर 'हकीकत' के गाँव में, जन्नत है माँ के आँचल की छाँव में। गर साथ हैं माँ का राह-ए-सफर में, फिर काँटे भी चुभने से डरे पाँव में। ©Govind Pandram

#MothersDay2021  'सपनो' से दूर 'हकीकत' के गाँव में,
जन्नत है माँ के आँचल की छाँव में।
गर साथ हैं माँ का राह-ए-सफर में,
फिर काँटे भी चुभने से डरे पाँव में।

©Govind Pandram
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