ये कलमकारों का शहर है ज़नाब
यहाँ इश्क़ में गुलाब नहीं,
दिल दिया जाता है,!
46 Love
अपनी यादों से कहो छोड़ दें तनहा मुझ को
मैं परेशां भी हूँ और खुद में गुनाहगार भी हूँ
इतना एहसान तो जायज़ है मेरी जाँ मुझ पर
मैं तेरी नफरतों का पाला हुआ प्यार भी हूँ….
$@
अपनी यादों से कहो छोड़ दें तनहा मुझ को
मैं परेशां भी हूँ और खुद में गुनाहगार भी हूँ
इतना एहसान तो जायज़ है मेरी जाँ मुझ पर
मैं तेरी नफरतों का पाला हुआ प्यार भी हूँ….
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