Hans gunjal

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महज एक सोच हूं मैं

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#5LinePoetry उन होठों की बात न पूछो, कैसे वो तरसाते हैं इंगलिश गाना गाते हैं और हिंदी में शरमाते हैं इस घर की खिड़की है छोटी, उस घर की ऊँची है मुँडेर पार गली के दोनों लेकिन छुप-छुप नैन लड़ाते हैं  बिस्तर की सिलवट के क़िस्से सुनती हैं सूनी रातें तन्हा तकिये को दरवाजे आहट से भरमाते हैं  चाँद उछल कर आ जाता है कमरे में जब रात गये दीवारों पर यादों के कितने जंगल उग आते हैं  सुलगी चाहत, तपती ख़्वाहिश, जलते अरमानों की टीस एक बदन दरिया में मिल कर सब तूफ़ान उठाते हैं घर-घर में तो आ पहुँचा है मोबाइल बेशक, लेकिन बस्ती के कुछ छज्जे अब भी आईने चमकाते हैं  कितने आवारा मिसरे बिखरे हैं मेरी कॉपी में शेरों में ढ़लने से लेकिन सब-के-सब कतराते हैं ©Hans gunjal

#5LinePoetry  #5LinePoetry 

उन होठों की बात न पूछो, कैसे वो तरसाते हैं
इंगलिश गाना गाते हैं और हिंदी में शरमाते हैं

इस घर की खिड़की है छोटी, उस घर की ऊँची है मुँडेर
पार गली के दोनों लेकिन छुप-छुप नैन लड़ाते हैं 

बिस्तर की सिलवट के क़िस्से सुनती हैं सूनी रातें
तन्हा तकिये को दरवाजे आहट से भरमाते हैं 

चाँद उछल कर आ जाता है कमरे में जब रात गये
दीवारों पर यादों के कितने जंगल उग आते हैं 

सुलगी चाहत, तपती ख़्वाहिश, जलते अरमानों की टीस
एक बदन दरिया में मिल कर सब तूफ़ान उठाते हैं

घर-घर में तो आ पहुँचा है मोबाइल बेशक, लेकिन
बस्ती के कुछ छज्जे अब भी आईने चमकाते हैं 

कितने आवारा मिसरे बिखरे हैं मेरी कॉपी में
शेरों में ढ़लने से लेकिन सब-के-सब कतराते हैं

©Hans gunjal

#5LinePoetry उन होठों की बात न पूछो, कैसे वो तरसाते हैं इंगलिश गाना गाते हैं और हिंदी में शरमाते हैं इस घर की खिड़की है छोटी, उस घर की ऊँची है मुँडेर पार गली के दोनों लेकिन छुप-छुप नैन लड़ाते हैं  बिस्तर की सिलवट के क़िस्से सुनती हैं सूनी रातें तन्हा तकिये को दरवाजे आहट से भरमाते हैं  चाँद उछल कर आ जाता है कमरे में जब रात गये दीवारों पर यादों के कितने जंगल उग आते हैं  सुलगी चाहत, तपती ख़्वाहिश, जलते अरमानों की टीस एक बदन दरिया में मिल कर सब तूफ़ान उठाते हैं घर-घर में तो आ पहुँचा है मोबाइल बेशक, लेकिन बस्ती के कुछ छज्जे अब भी आईने चमकाते हैं  कितने आवारा मिसरे बिखरे हैं मेरी कॉपी में शेरों में ढ़लने से लेकिन सब-के-सब कतराते हैं ©Hans gunjal

10 Love

आज नहीं तो कल बदलेंगे मौसम के हालात । कुछ तो हद है आख़िर कब तक होगी ये बरसात । प्यार-मोहब्बत, इश्क़-ओ-वफ़ा के इंसानी जज़्बात, मुफ़्त मिले हैं हमको, हम भी बाँटेंगे ख़ैरात । सूरज को गन्दा करने का देख रहे हैं ख़्वाब, आँधी के झोंके में ज़र्रे भूल गए औक़ात । कुछ अंगारे इसने डाले कुछ डाले उसने, मुझको जला कर सेंक रहे हैं दोनों अपने हाथ । इस दुनिया में मैनें देखी हैं दो दुनियाएँ, इक दुनिया में दिन होता है इक दुनिया में रात । ©Hans gunjal

 आज नहीं तो कल बदलेंगे मौसम के हालात ।
कुछ तो हद है आख़िर कब तक होगी ये बरसात ।

प्यार-मोहब्बत, इश्क़-ओ-वफ़ा के इंसानी जज़्बात,
मुफ़्त मिले हैं हमको, हम भी बाँटेंगे ख़ैरात ।

सूरज को गन्दा करने का देख रहे हैं ख़्वाब,
आँधी के झोंके में ज़र्रे भूल गए औक़ात ।

कुछ अंगारे इसने डाले कुछ डाले उसने,
मुझको जला कर सेंक रहे हैं दोनों अपने हाथ ।

इस दुनिया में मैनें देखी हैं दो दुनियाएँ,
इक दुनिया में दिन होता है इक दुनिया में रात ।

©Hans gunjal

आज नहीं तो कल बदलेंगे मौसम के हालात । कुछ तो हद है आख़िर कब तक होगी ये बरसात । प्यार-मोहब्बत, इश्क़-ओ-वफ़ा के इंसानी जज़्बात, मुफ़्त मिले हैं हमको, हम भी बाँटेंगे ख़ैरात । सूरज को गन्दा करने का देख रहे हैं ख़्वाब, आँधी के झोंके में ज़र्रे भूल गए औक़ात । कुछ अंगारे इसने डाले कुछ डाले उसने, मुझको जला कर सेंक रहे हैं दोनों अपने हाथ । इस दुनिया में मैनें देखी हैं दो दुनियाएँ, इक दुनिया में दिन होता है इक दुनिया में रात । ©Hans gunjal

13 Love

कोई किस्त है जो अदा नहीं है, साँस बाकी है और हवा नहीं है ! नसीहतें, सलाहें, हिदायतें तमाम, प्रिस्क्रिप्शन हैं पर दवा नहीं है ! आँख भी ढक लीजिये संग मुँह के, मंजर सचमुच अच्छा नहीं है...!. हरेक शामिल है इस गुनाह में, कुसूर किसका है पता नहीं है ! ©Hans gunjal

 कोई  किस्त  है  जो अदा नहीं  है, 
साँस  बाकी  है  और  हवा  नहीं  है !

नसीहतें, सलाहें, हिदायतें तमाम, 
प्रिस्क्रिप्शन  हैं  पर  दवा  नहीं  है !

आँख भी ढक लीजिये संग मुँह के, 
मंजर  सचमुच  अच्छा  नहीं  है...!. 

हरेक  शामिल  है  इस  गुनाह  में, 
कुसूर  किसका  है  पता  नहीं  है !

©Hans gunjal

कोई किस्त है जो अदा नहीं है, साँस बाकी है और हवा नहीं है ! नसीहतें, सलाहें, हिदायतें तमाम, प्रिस्क्रिप्शन हैं पर दवा नहीं है ! आँख भी ढक लीजिये संग मुँह के, मंजर सचमुच अच्छा नहीं है...!. हरेक शामिल है इस गुनाह में, कुसूर किसका है पता नहीं है ! ©Hans gunjal

9 Love

अपना ही घर भरने वालो डूब मरो मेरे देश को ठगने वालो डूब मरो जनता ने तो बख़्शा तख़्त व ताज तुम्हें ताक़त पाकर तपने वालो डूब मरो यह धरती हमने भी लहू से सींची है हमको पराया कहने वालो डूब मरो कोई तुमको लूट रहा तुम चुप बैठे इस बस्ती में रहने वालो डूब मरो जिसके जुल्मो सितम से परेशां हैं जनता उसकी जै-जै करने वालो डूब मरो उनका हश्र यही होगा जो नहीं सुने अंधे कुएँ में गिरने वालो डूब मरो ©Hans gunjal

 अपना ही घर भरने वालो डूब मरो
मेरे देश को ठगने वालो डूब मरो

जनता ने तो बख़्शा तख़्त व ताज तुम्हें
ताक़त पाकर तपने वालो डूब मरो

यह धरती हमने भी लहू से सींची है
हमको पराया कहने वालो डूब मरो

कोई तुमको लूट रहा तुम चुप बैठे
इस बस्ती में रहने वालो डूब मरो

जिसके जुल्मो सितम से परेशां हैं जनता 
उसकी जै-जै करने वालो डूब मरो

उनका हश्र यही होगा जो नहीं सुने
अंधे कुएँ में गिरने वालो डूब मरो

©Hans gunjal

अपना ही घर भरने वालो डूब मरो मेरे देश को ठगने वालो डूब मरो जनता ने तो बख़्शा तख़्त व ताज तुम्हें ताक़त पाकर तपने वालो डूब मरो यह धरती हमने भी लहू से सींची है हमको पराया कहने वालो डूब मरो कोई तुमको लूट रहा तुम चुप बैठे इस बस्ती में रहने वालो डूब मरो जिसके जुल्मो सितम से परेशां हैं जनता उसकी जै-जै करने वालो डूब मरो उनका हश्र यही होगा जो नहीं सुने अंधे कुएँ में गिरने वालो डूब मरो ©Hans gunjal

10 Love

अब किस से कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ इस दिल की झील सी आँखों में इक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ ये हिज्र-हवा भी दुश्मन है इस नाम के सारे रंगों की वो नाम जो मेरे होंटों पे ख़ुशबू की तरह आबाद हुआ उस शहर में कितने चेहरे थे कुछ याद नहीं सब भूल गए इक शख़्स किताबों जैसा था वो शख़्स ज़बानी याद हुआ वो अपने गाँव की गलियाँ थी दिल जिन में नाचता गाता था अब इस से फ़र्क नहीं पड़ता कि मैं गम में रहा या शाद हुआ बेनाम सी मूर्त रहती थी इन गहरी साँवली आँखों में ऐसा तो कभी सोचा भी न था अब जितना बेदाद हुआ ©Hans gunjal

 अब किस से कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ
इस दिल की झील सी आँखों में इक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ

ये हिज्र-हवा भी दुश्मन है इस नाम के सारे रंगों की
वो नाम जो मेरे होंटों पे ख़ुशबू की तरह आबाद हुआ

उस शहर में कितने चेहरे थे कुछ याद नहीं सब भूल गए
इक शख़्स किताबों जैसा था वो शख़्स ज़बानी याद हुआ

वो अपने गाँव की गलियाँ थी दिल जिन में नाचता गाता था
अब इस से फ़र्क नहीं पड़ता  कि मैं गम में रहा या शाद हुआ

बेनाम सी मूर्त रहती थी इन गहरी साँवली आँखों में
ऐसा तो कभी सोचा भी न था अब जितना बेदाद हुआ

©Hans gunjal

अब किस से कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ इस दिल की झील सी आँखों में इक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ ये हिज्र-हवा भी दुश्मन है इस नाम के सारे रंगों की वो नाम जो मेरे होंटों पे ख़ुशबू की तरह आबाद हुआ उस शहर में कितने चेहरे थे कुछ याद नहीं सब भूल गए इक शख़्स किताबों जैसा था वो शख़्स ज़बानी याद हुआ वो अपने गाँव की गलियाँ थी दिल जिन में नाचता गाता था अब इस से फ़र्क नहीं पड़ता कि मैं गम में रहा या शाद हुआ बेनाम सी मूर्त रहती थी इन गहरी साँवली आँखों में ऐसा तो कभी सोचा भी न था अब जितना बेदाद हुआ ©Hans gunjal

9 Love

मेरे दिल को कभी इक पल न भूले से क़रार आये सितम इतने करो मुझ पर के मेरा दम निकल जाये ज़बां पर इस लिए पहरा लबों पर इस लिए ताले जो सच्ची बात है ऐसा न हो मुंह से निकल जाए मैं तुम से बाख़बर और तुम रहे हो बेख़बर मुझ से मेरी क़िस्मत में ही कब हैं तुम्हारे प्यार के साये बसा है जब से इक इन्सां का चेहरा मेरी आँखों में वह मुझ से दूर हो फिर भी मुझे हर पल नज़र आये मेरा मायूस दिल यूं तो "हंस " ख़ामोश रहता है धड़कता है मगर उस पल किसी की याद जब आये ©Hans gunjal

 मेरे दिल को कभी इक पल न भूले से क़रार आये
सितम इतने करो मुझ पर के मेरा दम निकल जाये

ज़बां पर इस लिए पहरा लबों पर इस लिए ताले
जो सच्ची बात है ऐसा न हो मुंह से निकल जाए

मैं तुम से बाख़बर और तुम रहे हो बेख़बर मुझ से
मेरी क़िस्मत में ही कब हैं तुम्हारे प्यार के साये

बसा है जब से इक इन्सां का चेहरा मेरी आँखों में
वह मुझ से दूर हो फिर भी मुझे हर पल नज़र आये

मेरा मायूस दिल यूं तो "हंस " ख़ामोश रहता है
धड़कता है मगर उस पल किसी की याद जब आये

©Hans gunjal

मेरे दिल को कभी इक पल न भूले से क़रार आये सितम इतने करो मुझ पर के मेरा दम निकल जाये ज़बां पर इस लिए पहरा लबों पर इस लिए ताले जो सच्ची बात है ऐसा न हो मुंह से निकल जाए मैं तुम से बाख़बर और तुम रहे हो बेख़बर मुझ से मेरी क़िस्मत में ही कब हैं तुम्हारे प्यार के साये बसा है जब से इक इन्सां का चेहरा मेरी आँखों में वह मुझ से दूर हो फिर भी मुझे हर पल नज़र आये मेरा मायूस दिल यूं तो "हंस " ख़ामोश रहता है धड़कता है मगर उस पल किसी की याद जब आये ©Hans gunjal

7 Love

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