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Rajashwani
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Tuesday, 30 July | 03:48 pm
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एक डायरी सफ़र कि लिखनी है जिसमें अधूरे हर सफ़र की ख़बर को लिखनी हैं।। ©Rajashwani
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White कलम आज कल रुकी हुई है मामला खुद के अंतर्मन का है जज़्बात प्रश्नचिन्हों के घेरे में है मेरे अपने हालातो के अंधेरों में हैं। यहां कौन किसका होता है जब बात साहब पैसे का होता हैं यहां प्यार सीतमगर्दी में भी खिल जाता है जब आप जो चाहें वो सब मिल जाता हैं ।। मलाल अन्त में कुछ रहना नहीं चाहिए और जो आप चाहें वो बचना नहीं चाहिए कलम आज कल रुकी ज़रूर है गालिब पर दिल में बसा सपना टूटना नहीं चाहिए।।।। ©Rajashwani
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