जब वो पास आना नहीं चाहती तो क्यों तुम जाते हो,
अपने स्वाभिमान को क्यों तुम गिराते हो,
माना प्रेम में अहंकार ठीक बात नहीं,
पर ताली भी बजती है एक हाथ से नहीं,
जितना तुम्हें प्रेम उससे है उसे भी तो होना चाहिए,
सिर्फ तुम उसके लिए रोते हो,उसे भी तो रोना चाहिए,
हमदर्द बन के उसके दर्द की हर पीड़ा तुम सहते हो,
देते हर दम साथ उसका फिर भी अकेले तुम रहते हो,
प्रेम करना बड़ी बात नहीं उसे निभाना भी पड़ता है,
प्यार है ये अच्छी बात है पर कभी-कभार जताना भी पड़ता है।
©सिंह एक शायर
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