राज दीक्षित

राज दीक्षित Lives in Nuh, Haryana, India

इंसान को इंसान धोखा नहीं देता है बल्कि वो उम्मीदें धोखा दे जाती है जो वो दूसरों से रखता है ।

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चंद मुलाकातों में कैसे मैं ,मोहब्बत के गीत लिख दूँ। गैरों की हथेली पर मैं कैसे ,अपना अतीत लिख दूँ।। बेवफ़ाओं के गुल में कहां वफ़ाओं के फूल खिलते हैं। तेरी चंद वफ़ाओं को कैसे ,मैं अपना मीत लिख दूँ।। *राज* *दीक्षित* ©®✍️✍️

 चंद मुलाकातों में कैसे मैं ,मोहब्बत के  गीत लिख दूँ।
गैरों की  हथेली पर मैं कैसे ,अपना  अतीत  लिख दूँ।।
बेवफ़ाओं के गुल में कहां वफ़ाओं के फूल खिलते हैं।
तेरी चंद  वफ़ाओं  को कैसे ,मैं अपना  मीत लिख दूँ।।

*राज* *दीक्षित*
©®✍️✍️

चंद मुलाकातों में कैसे मैं ,मोहब्बत के गीत लिख दूँ। गैरों की हथेली पर मैं कैसे ,अपना अतीत लिख दूँ।। बेवफ़ाओं के गुल में कहां वफ़ाओं के फूल खिलते हैं। तेरी चंद वफ़ाओं को कैसे ,मैं अपना मीत लिख दूँ।। *राज* *दीक्षित* ©®✍️✍️

13 Love

ग़ज़ब की बात करते हो ,अज़ब बातें बताकर के। मुझसे ही दूर रहते हो ,खुद को क़रीब लाकर के।। तेरे पैरों में जो चुभ जाए ,वो काँटे तो नहीं है हम। फिर भी क्यों लौट जाते हो,मेरी राहों में आकर के।। *राज* *दीक्षित* ©®✍️✍️

#ग़ज़ब  ग़ज़ब की  बात करते हो ,अज़ब बातें  बताकर के।
मुझसे ही  दूर रहते हो ,खुद को  क़रीब लाकर  के।।
तेरे पैरों में जो चुभ  जाए ,वो काँटे तो  नहीं है हम।
फिर भी क्यों लौट जाते हो,मेरी राहों में आकर के।।

*राज* *दीक्षित*
©®✍️✍️

#ग़ज़ब

18 Love

उम्मीदों के धागों से(कविता) उम्मीदों के धागों से सीला है, मैंने जीवन का हर पल। उगते सूरज को सुईं बनाकर, सपनों को जोड़ा है हर पल। दिन को ढलते ढलते, मैं कहीं दूर निकल जाता हूँ। क्योंकि किसी के टूटे विश्वास को, मैंने फिर से जोड़ा है हर पल। पथ पर चलते चलते, न जाने कितने किस्से बन गए। मग़र हर किस्से के पहलू को, मैंने नये किरदार से जोड़ा है हर पल। पंछियों की वो चहचहाट, सुबह और शाम का भान कराती है। क्योंकि हर डूबती शाम को, मैंने अपनों के साथ जोड़ा है हर पल।

#उम्मीदों_के_धागे_से #शायरी  उम्मीदों के धागों से(कविता)

उम्मीदों के धागों से सीला है,
मैंने जीवन का हर पल।
उगते सूरज को सुईं बनाकर,
सपनों को जोड़ा है हर पल।

दिन को ढलते ढलते,
मैं कहीं दूर निकल जाता हूँ।
क्योंकि किसी के टूटे विश्वास को,
मैंने फिर से जोड़ा है हर पल।

पथ पर चलते चलते,
न जाने कितने किस्से बन गए।
मग़र हर किस्से के पहलू को,
मैंने नये किरदार से जोड़ा है हर पल।

पंछियों की वो चहचहाट,
सुबह और शाम का भान कराती है।
क्योंकि हर डूबती शाम को,
मैंने अपनों के साथ जोड़ा है हर पल।

हमसे न कहते हुए भी वो सब कुछ कह गए। ग़मों को छुपाते हए भी जो सब कुछ सह गए।। गर उन्हें भी मालूम होती गहराई समुंदर की। तो छोड़ के किनारों को क्यों लहरों बह गए।।

#शायरी  हमसे न कहते हुए  भी वो सब कुछ कह गए।
ग़मों को छुपाते हए भी जो सब कुछ सह गए।।
गर  उन्हें भी मालूम  होती गहराई समुंदर की।
तो छोड़  के किनारों को क्यों  लहरों बह गए।।

हमसे न कहते हुए भी वो सब कुछ कह गए। ग़मों को छुपाते हए भी जो सब कुछ सह गए।। गर उन्हें भी मालूम होती गहराई समुंदर की। तो छोड़ के किनारों को क्यों लहरों बह गए।।

16 Love

#क़फ़स

#क़फ़स

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#हमने

#हमने भी

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